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कर्मचारियों की भरती

जब तुम उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेते हो तो एक अनुशासन का पालन करो, एक समय पर एक ही सवाल पूछो, और अपना सवाल जितना संक्षिप्त रख सकते हो, रखो। सुनिश्चित करो कि तुम 60 से 80 प्रतिशत समय उम्मीदवार की बातें सुनने में लगाते हो। और केवल उसके शब्दों को ही न सुनो बल्कि उसके चेहरे के हाव-भाव, ईशारों और उसके शारीरिक संकेतों पर भी ध्यान दो। इससे तुम्हें उम्मीदवार को आँकने के लिए जरूरी सूचना मिलेगी।

प्रिय दादू,

मेरी नौकरी की शुरुआत के संबंध में पत्र लिखने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने उसमें बहुत ही बेशकीमती सलाह दी थी। आपके परामर्श मैंने अब प्रिंट करवा कर अपने आइने पर चिपका लिए हैं जहाँ मैं हर सुबह शेव करता हुआ उन्हें देखता हूँ। सबसे महत्वपूर्ण है कि वह मेरे मन में घर कर गए हैं। मेरा लक्ष्य हैं कि मैं अपनी विश्वसनीयता स्थापित करूँ, अपनी विजिबिलिटी बढ़ाऊँ, कंपनी के मूल्य में बढ़ोत्तरी करूँ, ब्रांड को उभारूँ और इंडस्ट्री को ऐसे रूपांतरित करूँ कि वह बेहतर हो जाए। आपके पत्र से पहले मैं अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित था,  और अब मुझे यह प्रेरणा मिली है कि मुझे कदम-दर-कदम किस बात को लक्ष्य बनाना है — और आपने मेरे सामने बहुत ऊँचे ध्येय रखे हैं।

लेकिन, मेरा एक व्यवहारिक सवाल है। मुझे पता लगा है कि मुझे लोगों को भरती भी करनी है! मैंने पहले कभी यह काम नहीं किया है। इस बारे में आपकी सलाह मेरे लिए बहुत मददगार साबित होगी — मैं सही लोगों को कैसे भरती करूँ, गलत लोगों को नहीं? मैं आपका जवाब अपने छोटे भाई-बहनों के साथ भी साँझा करूँगा क्योंकि मुझे यकीन है कि जब वे लोग नौकरी की तलाश कर रहे होंगे तो ये सुझाव उनके भी बहुत काम आएँगे।

सप्रेम,
मनोज

प्रिय मनोज,

तुमने यह नहीं बताया कि क्या तुम्हें मौजूदा टीम में भरती करनी है या फिर एकदम नई टीम बनानी है।

चलो देखते हैं कि दोनों सूरतों में तुम्हें संभावित उम्मीदवारों में किन बातों की तलाश करनी चाहिए।

तीन मौलिक गुण

तुम्हें पता ही है कि पहली देखने वाली बात है ऊँची से ऊँची तकनीकी या पेशेवराना योग्यता। अगर तुम्हारे पास कोई सेकेंड क्लास डिग्री वाला उम्मीदवार है तो वह फर्स्ट क्लास डिग्री वाले जितना योग्य नहीं होगा। लेकिन किसी प्रमुख विश्वविद्यालय से कम अंक प्राप्त किए उम्मीदवार को किसी दोयम दर्जे के विश्वविद्यालय के उच्च अंक प्राप्त किए उम्मीदवार से अधिक प्राथमिकता देनी पड़ सकती है। थ्यूरी में ऐसा मूल्याँकन करना मुश्किल लगता है, लेकिन मेरा खयाल है कि तुम्हारी कंपनी के लिए इतने लोग आवेदन करेंगे कि तुम्हारे पास चुनाव करने के लिए कई विकल्प होंगे, और इस तरह तुम्हें सर्वोच्च तकनीकी या पेशेवराना योग्यता वाले उम्मीदवारों की शिनाख्त करने में कोई खास मुश्किल नहीं होगी।

और यहाँ दूसरी कसौटी काम आएगी। दूसरी बात जो तुम्हें देखनी होगी वह है रिलेशनल कॉम्पिटेंस, यानी संबंधात्मक योग्यता — क्या यह आवेदक कंपनी में और टीम में फिट होगा? क्या वह टीम में योगदान भी देगा? दो उम्मीदवारों में, जिन दोनों के पास प्रमुख विश्वविद्यालय से फर्स्ट क्लास डिग्री है, जो उम्मीदवार बेहतर संबंधात्मक योग्यता दिखाता है उसे अगले चरण के लिए चुना जाना चाहिए।

किसी कर्मचारी को चुनते वक्त आखिरी और सबसे खास बात : क्या यह उम्मीदवार सेल्फ-स्टार्टर है (खुद शुरुआत करने वाला)। क्या यह सफलता प्राप्त करना चाहता है?  क्या उसमें भूख है? क्या उसमें पहल करने का गुण है? नेतृत्व करने का संभाव्य? ऐसे व्यक्ति की व्याख्या के लिए कई प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है — लेकिन चलिए हम भूख का इस्तेमाल करते हैं। अर्थात् जितना हो सके उतनी अच्छी तरह अपना काम करना ताकि कंपनी का व्यापक फायदा हो और व्यक्तिगत तौर पर उत्कृष्टता प्राप्त हो (नोट करो, मैंने यह नहीं कहा कि केवल “यही महत्वाकांक्षा होनी चाहिए कि जल्द से जल्द जितना पैसा बनाया जा सकता है बनाया जाए।”)

व्यवहारिक अंतर्दृष्टियाँ

तुम कह सकते हो कि थ्यूरी में यह सुनना अच्छा लगता है लेकिन मैं व्यवहारिक तौर पर उस व्यक्ति में जो बड़ी-बड़ी बातें करता है लेकिन नतीजे नहीं लाता और दूसरे व्यक्ति में, जो थोड़ा शरमीला और संकोची है लेकिन बहुत ही उम्दा कर्मचारी और टीम खिलाड़ी है, अंतर कैसे कर पाऊँगा?

इसका पता लगाने के दो रहस्य हैं।

पहला, जो वह व्यक्ति कह रहा है उस पर ध्यान देने की बजाय उसके ट्रैक रिकॉर्ड पर ध्यान दो। उम्मीदवार के अंकों के मामले में यह करना आसान होता है, लेकिन उसकी संबंधात्मक योग्यता और जिसे हम भूख कह रहे हैं उस मामले में अधिक मुश्किल होता है।

तो फिर संबंधात्मक योग्यता के मामले में तुम उसके ट्रैक रिकॉर्ड पर ध्यान कैसे दे सकते हो?

एक बात तो यह कि तुम उस उम्मीदवार के पिछले सुपरवाइजर या सहकर्मी को फोन कर सकते हो। और वैसे भी, उम्मीदवार का इंटरव्यू लेते वक्त तुम उससे पूछ सकते हो कि वह अपनी दो या तीन सबसे बड़ी उपलब्धियाँ किन्हें मानता है। तुम उससे पूछ सकते हो कि वह अपने सहकर्मियों में से कितनों को अपना दोस्त मानता है, या फिर उस व्यक्ति के कितने दोस्त हैं और बचपन से लेकर अबतक उसके कितने दोस्त रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, जब दोस्त इकट्ठे होते हैं तो किस तरह की गतिविधियों में समय बिताना पसंद करते हैं। तुम परिवार के बारे में सवाल कर सकते हो — माता-पिता या दूसरे बुजुर्ग संबंधियों के बारे में और भाई-बहनों के बारे में। जो वह कहते हैं केवल वह ही सब कुछ नहीं होता, बल्कि यह देखना भी जरूरी है कि वह इन सबके बारे में बात करते हुए किन-किन बिंदुओं पर उत्साहित और जीवंत होते लगते है, अर्थात् किन किस्सों को याद करते या बयान करते वह उत्तेजित होते हैं। इससे तुम्हें पता चलेगा कि उस उम्मीदवार के संबंध किन खास बातों के आसपास बनते हैं। मिसाल के तौर पर, उनकी उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए यह साफ हो जाएगा कि क्या यह उन्होंने अकेले हासिल की थी या फिर दूसरों के साथ या दूसरों के साथ संबंधों के आधार पर हासिल की थीं।

उपलब्धियों के बारे में तुम्हारे सवालों से यह जानने में भी मदद मिलेगी कि उम्मीदवार में कितनी भूख और नेतृत्व का संभाव्य है।

अपनी टीम में सही लोगों को भरती करने का दूसरा रहस्य क्या है? उम्मीदवार का आकलन करने में दूसरों को शामिल करो! अधिकांश कंपनियों में भरती के लिए औपचारिक प्रक्रियाएँ तो होती हैं लेकिन वास्तविकता में प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण वोट तुम्हारा होगा (या होना चाहिए!) क्योंकि तुम टीम के लीडर हो और नतीजे लाने के लिए इस टीम के साथ तुम्हें काम करना होगा।

सो उम्मीदवारों का आकलन करने में तुम्हारी सहायता करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण लोग कौन-से होंगे? स्वभाविक है तुम्हारा बॉस अपनी राय देना चाहेगा। चाहे वह कितने भी व्यस्त हो, सुनिश्चित करो कि वह कम से कम अंतिम दो या तीन उम्मीदवारों से जरूर मिले ताकि उनकी राय पर भी ध्यान दिया जा सके — या कम से कम तुम्हारे चुनाव में तुम्हें अपने बॉस की रजामंदी मिल सके।

इससे भी अधिक जरूरी है कि अगर कोई टीम पहले से ही है तो उसके सदस्यों को भी उम्मीदवार का आकलन करने में शामिल करो — और अगर किसी कारणवश ऐसा करना संभव नहीं तो यह सुनिश्चित करो कि तुम्हारी टीम से कम से कम दो लोग सर्वोत्तम उम्मीदवार से अनौपचारिक रूप से कुछ बातचीत करें, वे मिल कर जलपान कर सकते हैं या साथ भोजन कर सकते हैं (इसमें जो समय या पैसा लगेगा वह बहुत होगा, जबकि ऐसा करने के द्वारा सही लोगों को चुनने की तुम्हारी सटीकता बहुत बढ़ जाएगी — और याद रखो कि अगर तुमने गलत आदमी चुना तो चाहे वह थोड़े ही समय के लिए तुम्हारे साथ काम करे, उसके लिए तुम्हें और तुम्हारी कंपनी को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है!) जाहिर है अपनी टीम के सदस्यों से उपयोगी जानकारी प्राप्त करने के लिए तुम्हें उन्हें पहले से ही उपर कही गई बातें बतानी होंगी।

और हाँ, एक और बात, जब तुम उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेते हो तो एक अनुशासन का पालन करो, एक समय पर एक ही सवाल पूछो, और अपना सवाल जितना संक्षिप्त रख सकते हो, रखो। सुनिश्चित करो कि तुम 60 से 80 प्रतिशत समय उम्मीदवार की बातें सुनने में लगाते हो। और केवल उसके शब्दों को ही न सुनो बल्कि उसके चेहरे के हाव-भाव, ईशारों और उसके शारीरिक संकेतों पर भी ध्यान दो। इससे तुम्हें उम्मीदवार को आँकने के लिए जरूरी सूचना मिलेगी। और सबसे जरूरी, ईश्वर से प्रार्थना करो कि वह तुम्हें उम्मीदवारों का आकलन करने की बुद्धि दे, क्योंकि केवल वह ही लोगों को हृदयों को जाँच सकते हैं।

और जब तुम काम के नए क्षेत्र में प्रवेश करते हो और नई प्रकार की विशेषज्ञता प्राप्त करते हो तो मेरी प्रार्थनाएँ और आशीर्वाद तुम्हारे साथ हैं।

सप्रेम, दादू

(फारवर्ड प्रेस के जनवरी 2012 अंक में प्रकाशित)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

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लेखक के बारे में

दादू

''दादू'' एक भारतीय चाचा हैं, जिन्‍होंने भारत और विदेश में शैक्षणिक, व्‍यावसायिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में निवास और कार्य किया है। वे विस्‍तृत सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक मुद्दों पर आपके प्रश्‍नों का स्‍वागत करते हैं

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