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अब केंद्र पर बढ़ा दबाव

हरियाणा के जाट प्रदेश में आरक्षण मिलने के बाद अब केंद्र में भी आरक्षण की चाह रखने लगे हैं और केंद्र सरकार से अपने लिए आरक्षण की मांग करने लगे हैं

हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के सवर्णों एवं जाटों के साथ चार अन्य जातियों के लिए आरक्षण पर सर्वसम्मति से मुहर लगा दी गई है। कैबिनेट के इस फैसले के बाद प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण वर्टिकल आधार पर दिया गया है, वहीं जाट सिख, रोड़, त्यागी व विश्नोई जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग नाम से 10 प्रतिशत आरक्षण अलग से देने का फैसला किया गया है।

सरकार के इस फैसले के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित समुदाय के लोग स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं व न्याय के लिए हाई कोर्ट जाने की तैयारी करने लगे हैं। सरकार के इस फैसले के बाद जहां हरियाणा के विशेष पिछड़ा वर्ग और सवर्ण वर्ग के लोगों ने खुशी जताई है, वहीं प्रदेश के शोषित और वंचित तबकों को निराशा हाथ लगी है। हरियाणा सरकार का यह फैसला अपनी तरह का पहला फैसला है, जिसमें आर्थिक और सामाजिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण दिया गया है। दूसरी ओर, हुडडा सरकार के इस फैसले के बाद से प्रदेश में जाटों और गैर-जाटों के बीच सामाजिक विषमता पनपने लगी है। हरियाणा के जाट प्रदेश में आरक्षण मिलने के बाद अब केंद्र में भी आरक्षण की चाह रखने लगे हैं और केंद्र सरकार से अपने लिए आरक्षण की मांग करने लगे हैं। इस अभियान की कमान प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्वयं संभाल रखी है। हरियाणा विधानसभा के पूर्व सदस्य लहरी सिंह के अनुसार प्रदेश की हुडडा सरकार दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य जाति के साथ केवल छलावा कर अपने राजनीतिक हित साध रही है और इस निर्णय ने केंद्र के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। गौरतलब है कि हरियाणा के जाट समेत सामान्य वर्ग के लोग केंद्र सरकार की नौकरियों में अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार उनकी इस मांग को स्वीकार नहीं कर रही है।

(फारवर्ड प्रेस के मार्च 2013 अंक में प्रकाशित)


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लेखक के बारे में

अमरेंद्र कुमार आर्य

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