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स्वैच्छिक कार्य नौकरी के पहले काम

तुम्हें किस तरह का स्वैच्छिक काम करना चाहिए, यह तुम्हारे अनुभव, रुचि और कौशल पर निर्भर करता है। हमारे देश में समस्याओं का इतना अंबार है कि तुम्हारी रुचि और कौशल के अनुरूप कोई न कोई स्वैच्छिक काम तुम्हें अवश्य मिल जाएगा।

प्रिय दादू,
मुझे अब तक कोई नौकरी नहीं मिल सकी है। घर के बाहर करने के लिए कोई उपयोगी काम मेरे पास नहीं है। मैं बहुत बोर हो रही हूं। क्या मुझे किसी संस्थान में वालेन्टियर बनने पर विचार करना चाहिए? अगर हां, तो मैं इसकी शुरुआत कैसे करूं और किस तरह के संस्थान में मुझे वालेन्टियर का काम करना चाहिए?
सप्रेम
अल्का

प्रिय अल्का,
तुम्हें निश्चित तौर पर वालेन्टियर बनने पर विचार करना चाहिए। कुछ लोग तो आईएएस/आईएफएस/केन्द्रीय सेवाओं/राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं की तैयारी या अपनी पढ़ाई के साथ-साथ वालेन्टियर का काम भी करते हैं।

तुम्हारे बतौर वालेन्टियर काम करने से समाज को तो लाभ होगा ही, तुम्हें भी कुछ अच्छा करने का संतोष मिलेगा। तुम्हारे मित्रों और परिचितों का दायरा बढ़ेगा और तुम्हें नई चीजें सीखने को मिलेंगी।

 

तुम्हें किस तरह का स्वेच्छिक काम करना चाहिए, यह तुम्हारे अनुभव, रुचि और कौशल पर निर्भर करता है। हमारे देश में समस्याओं का इतना अंबार है कि तुम्हारी रुचि और कौशल के अनुरूप कोई न कोई स्वैच्छिक काम तुम्हें अवश्य मिल जाएगा।

अपने स्वयं के बल पर वालेन्टियर का काम करना अच्छा हो सकता है, बशर्ते तुम ऐसी व्यक्ति हो जिसे अकेले कोई नया काम करना अच्छा लगता हो। उदाहरण के लिए, तुम अपने इलाके के गरीब बच्चों को पढ़ा सकती हो या तुम उनकी अन्य जरूरतों का पता लगाकर उन्हें पूरा करने का प्रयास कर सकती हो। तुम इलाके को साफ-सुथरा रखने में मदद कर सकती हो, रिश्वतखोरी के खिलाफ लड़ सकती हो या मोहल्ले की चोरों से रक्षा के काम में मदद कर सकती हो।

परंतु अपने बल पर अकेले स्वैच्छिक कार्य करने में समस्या यह है कि तुम्हें कई काम नए सिरे से करना और सीखना पड़ेगा। दूसरे शब्दों में तुम्हें चक्के का अविष्कार फिर से करना पड़ेगा। तुम्हारे आसपास कोई ऐसा व्यक्ति न होगा जिसे इस काम का अनुभव हो और जिससे तुम सलाह ले सको। इसके अलावा, हर व्यक्ति के साथ कभी न कभी ऐसा मौका आता है जब वह निराशा या कभी-कभी अवसाद का अनुभव करता है। ऐसे में हमें मदद की जरूरत होती है और यह मदद केवल हमारे मित्र और रिश्तेदारों से नहीं मिल सकती। यह मदद हमें वही लोग दे सकते हैं जिन्हें हमारे काम की समझ और जानकारी हो।

इसलिए मैं चाहूंगा कि जिस भी क्षेत्र में तुम स्वैच्छिक काम करना चाहती हो उस क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं को ढूंढ निकालो। आजकल तो इंटरनेट की सहायता से तुम बहुत आसानी से अपने आसपास स्थित छोटे-बड़े ऐसे संगठनों की सूची तैयार कर सकती हो जो कि तुम्हारी रुचि के क्षेत्र में काम कर रहे हों। तुम इसके लिए अपने परिचितों की मदद भी ले सकती हो।

अब प्रश्न है संबंधित संस्था से संपर्क स्थापित करने का। सबसे बेहतर तो यही होगा कि तुम ऐसे लोगों के जरिए जाओ जिन्हें तुम जानती हो। परंतु अगर तुम ऐसे किसी व्यक्ति को, जो संस्था से संपर्क स्थापित करने में तुम्हारी मदद कर सकता हो, को नहीं भी जानती हो, तब भी तुम्हें उस संस्था के बारे में इंटरनेट या अपने परिचितों के जरिए हरसंभव जानकारी इकट्ठी कर लेनी चाहिए।

अगर संगठन की वेबसाइट से यह स्पष्ट नहीं होता हो कि संगठन में वालेन्टियर के तौर पर काम करने के इच्छुक लोगों को किस तरह आवेदन करना है तो यही आपके लिए एक काम हो सकता है। आप संस्था के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि इंटरनेट पर इस संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध हो।

यदि तुम्हें इंटरनेट पर इस तरह के काम करना नहीं आता है तो तुम ऐसे किसी व्यक्ति को ढूंढ सकती हो जो यह काम कर सके।

जो भी हो, इंटरनेट और व्यक्तिगत पूछताछ के जरिए संबंधित संस्था के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी कर लेने के पश्चात तुम या तो बतौर वालेन्टियर काम करने के इच्छुक लोगों के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करो या फिर वहां फोन करके यह पता लगाओ कि उनकी संस्था में वालेन्टियर का काम करने के लिए तुम्हें क्या करना होगा।

अधिकांश संस्थाओं के पदाधिकारी तुमसे व्यक्तिगत तौर पर मिलना चाहेंगे ताकि वे इस बात का आकलन कर सकें कि तुम उनके लिए उपयुक्त हो या नहीं और अगर हां, तो किस तरह के काम के लिए। तुम्हें यह भी साफ कर देना चाहिए कि क्या तुम कोई कार्य विशेष करने की इच्छुक हों या फिर तुम कोई भी ऐसा काम करने को तैयार हो जो तुम्हें सौंपा जाए।

यद्यपि ऐसे काम में अपने समय का कुछ हिस्सा देना भी स्वीकार्य हो सकता है (कुछ संस्थाएं तो तुम्हारे तीन या चार हफ्तों में एक बार काम करने पर भी खुश हो जाएंगी)? परंतु मेरे विचार से तुम्हें कम से कम आधा समय इस काम के लिए देना चाहिए (सप्ताह में पांच आधे दिन) ताकि सप्ताह के हर दिन, तुम्हें अपने काम और नई चीजें सीखने के लिए आधा दिन मिल सके।

तुम्हें वालेन्टियर के तौर पर चुने जाने के बाद भी लगभग हर संस्था चाहेगी कि तुम अपना काम शुरू करने के पहले संस्था के बारे में कुछ जानो-समझो, उन व्यक्तियों को पहचानो जो तुम्हारे साथ काम करेंगे और उस काम के बारे में जानकारी इकट्ठा करो, जो तुम्हें करना होगा।

बाइबल कहती है, ‘तुम्हारे हाथों को जो भी काम मिले, उसे अपनी पूरी ताकत से करो’। यह एक वालेन्टियर के लिए अच्छा आदर्श वाक्य है। तुम्हारे कौशल और अनुभव में कमी के कारण तुम्हें जो कठिनाइयां पेश आती हैं, उन्हें अपने उत्साह और ऊर्जा से दूर करो। संस्था के अन्य सदस्यों के अनुभवों से सीखने के लिए हमेशा तैयार रहो। मुझे विश्वास है कि वालेन्टियर के तौर पर काम करने से तुम्हें बहुत संतोष का अनुभव होगा।

कुछ लोग तुमसे यह कहेंगे या कम से कम सोंचेगे कि तुम बहुत अजीब हो, क्योंकि तुम बिना बदले में पैसा पाए काम कर रही हो। परंतु याद रखो कि काम के बदले पैसा कमाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है एक उपयोगी जीवन जीना और अगर तुम घर पर बैठे-बैठे बोर होकर अपना समय काटोगी तो निश्चित रूप से तुम्हारा जीवन उपयोगी नहीं हो सकता।

एक आखिरी बात। किसी संस्थान में वालेन्टियर के तौर पर काम करने से तुम्हारा बायोडाटा अधिक आकर्षक बन जाता है और तुम्हें कम से कम एक ऐसा व्यक्ति और मिल जाता है जो तुम्हारे नौकरी के आवेदन को अनुमोदित कर सकता हो। याद रखो, अक्सर किसी भी नियोक्ता के लिए सबसे ताजा संदर्भ सबसे महत्वपूर्ण होता है।
सप्रेम
दादू

(फारवर्ड प्रेस के जून 2013 अंक में प्रकाशित)

लेखक के बारे में

दादू

''दादू'' एक भारतीय चाचा हैं, जिन्‍होंने भारत और विदेश में शैक्षणिक, व्‍यावसायिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में निवास और कार्य किया है। वे विस्‍तृत सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक मुद्दों पर आपके प्रश्‍नों का स्‍वागत करते हैं

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