h n

पहला कदम उठाने से पहले

यदि तुम्हें अपने व्यवसाय को लंबे समय तक चलाना है तो तुम्हें धन कमाने के बारे में सोचना ही होगा-बल्कि तुम्हें समाज की ऐसी कोई आवश्यकता ढूंढ निकालनी होगी जो अब तक कोई पूरी न कर रहा हो

प्रिय दादू,
स्वैच्छिक कार्य के बारे में अल्का को आपके पत्र के लिए धन्यवाद। वह नौकरी पाने तक स्वैच्छिक कार्य करना चाहती थी। मेरा इरादा कोई व्यवसाय शुरू करने का है। क्या आप मुझे सलाह देना चाहेंगे।
सप्रेम
विनोदिनी

प्रिय विनोदिनी,

अगर तुम सिर्फ इसलिए कोई व्यवसाय शुरू करना चाहती हो, क्योंकि तुम्हें कोई नौकरी नहीं मिल रही है तब भी संभव है कि तुम व्यवसाय में सफल हो जाओ। परन्तु बेहतर तो यह होगा कि तुम सही कारण से व्यवसाय शुरू करो (नौकरी पाने में असमर्थता सही कारण नहीं है)।

व्यवसाय शुरू करने का सही कारण है कि तुम लाभ कमाते हुए समाज की अपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति करना चाहती हो। ध्यान दो कि यहां दो बातें महत्वपूर्ण हैं। पहला लाभ और दूसरी अपूर्ण मांग।

कई लोग दूसरों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं परन्तु वे लाभ कमाने के लिए ऐसा नहीं करते या फिर उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें लाभ हो रहा है या नहीं। ऐसे लोगों का व्यवसाय में सफल होना बहुत मुश्किल होता है-यद्यपि ऐसे लोग निस्संदेह भले होते हैं और मैं ठीक ऐसे ही लोगों को अपना दोस्त बनाना चाहूंगा। परन्तु क्या मैं उनके द्वारा शुरू किए गए व्यवसाय में अपना पैसा लगाना चाहूंगा? हां, अगर मैं परोपकार करना चाहता हूं तो। अगर मैं व्यापार या लाभ कमाने की दृष्टि से सोचूंगा तो मैं शायद ही उनके व्यवसाय में अपना पैसा लगाऊंगा।

लाभप्रदता, व्यवसाय में सफलता की अति आवश्यक शर्त क्यों है? इसलिए, क्योंकि व्यापार, धन से जुड़ा हुआ है। अगर तुम लाभ नहीं कमाओगी तो तुम्हारा व्यापार देर-सबेर बैठ जाएगा।

परन्तु यदि तुम्हें अपने व्यवसाय को लंबे समय तक चलाना है तो तुम्हें धन कमाने के बारे में सोचना ही होगा-बल्कि तुम्हें समाज की ऐसी कोई आवश्यकता ढूंढ निकालनी होगी जो अब तक कोई पूरी न कर रहा हो। जब तक वह आवश्यकता बनी रहेगी और तुम लाभ कमाते हुए उसकी पूर्ति करती रहोगी तब तक तुम्हारा व्यवसाय फलता-फूलता रहेगा।

अब प्रश्न यह है कि समाज में कई अपूर्ण आवश्यकताएं हैं और तुम्हें-कम से कम शुरुआत में-उनमें से केवल एक पर फोकस करना होगा। दो या दो से अधिक पर क्यों नहीं? इसलिए, क्योंकि किसी एक मांग की पूर्ति भी लाभप्रदता से कर पाना एक कठिन कार्य है और इस लेख को आगे पढऩे पर तुम्हें समझ में आ जाएगा कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं। किसी एक आवश्यकता को पूरी करने में सफलता के बाद तुम अपने व्यापार का विस्तार करने के बारे में सोच सकती हो…अगर ऐसा है तो मैं अपने अगले पत्र में तुम्हें यह बताऊंगा कि व्यापार का विस्तार करने का सबसे बेहतर तरीका क्या है।

तुम्हें किस आवश्यकता पर फोकस करना चाहिए? यह एक जटिल प्रश्न है परन्तु इसका उत्तर ढूंढने की शुरुआत तुम इस प्रकार से कर सकती हो कि तुम स्वयं से पूछो कि क्या तुम उस आवश्यकता की पूर्ति कर सकती हो और दूसरा यह कि क्या उस आवश्यकता की पूर्ति करने का विचार तुम्हें रोमांचित करता है। अगर तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम इस काम को कम से कम शुरुआती एक या दो साल तक चौबीसों घंटे और उसके बाद कई सालों तक सप्ताह में छ: दिन कई घंटों तक कर सकोगी। तभी इस बारे में आगे कुछ भी सोचने का अर्थ है, क्योंकि अपने व्यवसाय में व्यक्ति को किसी भी नौकरी की अपेक्षा कहीं ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है (अगर तुम किसी कार्यालय में काम करती हो तो तुम्हें वहां केवल तयशुदा घंटों तक काम करना पड़ता है और उसके बाद तुम अपने घर जा सकती हो और काम के बारे में तुम्हें कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं होगी। परन्तु व्यवसाय में ऐसा नहीं होता। तुम्हारी चिंताएं तुम्हारे साथ चौबीसों घंटे रहेंगी)। जो कड़ी मेहनत तुम करोगी आगे चलकर उसके अनुरूप फायदा भी तुम्हें मिलता है, परन्तु कई बार,असफलता का डर तुम्हें कड़ी मेहनत करने पर मजबूर करता है, क्योंकि व्यापार में असफल हो जाना, स्कूल या कालेज की परीक्षा में फेल हो जाने से कहीं बढ़कर है। यहां तुम अपना-और यदि किसी दूसरे ने तुम्हारे व्यापार में धन लगाया है तो उसका भी-पैसा गंवा बैठोगी।

व्यवसाय में सफलता के संदर्भ में दूरगामी सोच रखना क्यों आवश्यक है? इसलिए क्योंकि तुम नहीं चाहोगी कि तुम अपने जीवन के एक या दो या पांच या दस साल खर्च करके जो कुछ खड़ा करो, वह धूल में मिल जाए। तुम निश्चित रूप से चाहोगी कि वह कम से कम एक या दो पीढ़ियों तक तो चले और उसका विस्तार हो और वह लाभ कमाता रहे।

इसलिए, अगर तुम्हें ऐसी दो चीजें दिखती हैं जो तुम्हें रोमांचित करती हैं तो उन दोनों में से एक को चुनने का एक आधार यह हो सकता है कि किस व्यवसाय में तुम्हें ज्यादा लाभ होगा (इसके लिए तुम्हें कुछ हिसाब-किताब करना होगा और मैं किसी और पत्र में यह बताऊंगा कि यह कैसे किया जाता है)।

एक दूसरा आधार यह है कि क्या तुम्हारे पास इतना धन है कि तुम व्यवसाय शुरू कर सको और कम से कम एक या दो वर्षों तक उसे चला सको, ताकि तुम उस धंधे में जम जाओ (अधिकांश व्यवसायों में पहले साल नुकसान की गारंटी होती है। यद्यपि कुछ व्यवसायों में नुकसान उठाने की अवधि छ: महीने हो सकती है और कुछ में तीन साल भी)। इसके साथ-साथ मैं तुम्हें सावधान भी करना चाहता हूं। यह जान लो कि अधिकांश व्यवसाय-लगभग 80 प्रतिशत-पहले तीन वर्षों में बंद हो जाते हैं।

इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि कोई व्यवसाय शुरू करने के पहले तुममें पर्याप्त उत्साह तो हो ही, तुम्हारे पास आवश्यक संसाधन भी हों।

पहली जरूरत है बाजार का अध्ययन और विश्लेषण करने की ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि तुमने जो व्यवसाय चुना है, वह सही है। इस बारे में हम अपने अगले पत्र में चर्चा करेंगे।

सप्रेम
दादू

(फारवर्ड प्रेस के जुलाई 2013 अंक में प्रकाशित)

लेखक के बारे में

दादू

''दादू'' एक भारतीय चाचा हैं, जिन्‍होंने भारत और विदेश में शैक्षणिक, व्‍यावसायिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में निवास और कार्य किया है। वे विस्‍तृत सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक मुद्दों पर आपके प्रश्‍नों का स्‍वागत करते हैं

संबंधित आलेख

क्या है ओबीसी साहित्य?
राजेंद्र प्रसाद सिंह बता रहे हैं कि हिंदी के अधिकांश रचनाकारों ने किसान-जीवन का वर्णन खानापूर्ति के रूप में किया है। हिंदी साहित्य में...
बहुजनों के लिए अवसर और वंचना के स्तर
संचार का सामाजिक ढांचा एक बड़े सांस्कृतिक प्रश्न से जुड़ा हुआ है। यह केवल बड़बोलेपन से विकसित नहीं हो सकता है। यह बेहद सूक्ष्मता...
पिछड़ा वर्ग आंदोलन और आरएल चंदापुरी
बिहार में पिछड़ों के आरक्षण के लिए वे 1952 से ही प्रयत्नशील थे। 1977 में उनके उग्र आंदोलन के कारण ही बिहार के तत्कालीन...
कुलीन धर्मनिरपेक्षता से सावधान
ज्ञानसत्ता हासिल किए बिना यदि राजसत्ता आती है तो उसके खतरनाक नतीजे आते हैं। एक दूसरा स्वांग धर्मनिरपेक्षता का है, जिससे दलित-पिछड़ों को सुरक्षित...
दलित और बहुजन साहित्य की मुक्ति चेतना
आधुनिक काल की मुक्ति चेतना नवजागरण से शुरू होती है। इनमें राजाराम मोहन राय, विवेकानंद, दयानंद सरस्वती, पेरियार, आम्बेडकर आदि नाम गिनाए जा सकते...