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विवाह का मंत्र : मात्रा से आती है गुणवत्ता

विवाह के बाद के दौर में एक-दूसरे के साथ जो समय हम बिताते भी हैं, उसका संबंध गृहस्थी की समस्याओं से होता है। जब हम साथ होते भी हैं तब भी हम अपने वैवाहिक संबंध को समृद्ध करने और उसे मजबूती देने के लिए कुछ नहीं करते। एक-दूसरे के साथ पर्याप्त समय न बिताना, विवाहों के असफल होने का एक प्रमुख कारण है।

रात साढ़े ग्यारह बजे, मेरी मां ने मुझे टोका कि इतनी रात गए, ठंड में, बाहर बैठकर फोन पर बात करना ठीक नही है। मैं अपनी मंगेतर प्रिसला से बातें करने में डूबा हुआ था। हम लोगों की सगाई कुछ ही हफ्ते पहले हुई थी और हम आपस में मिलने और बातचीत करने के लिए हर संभव कोशिश किया करते थे। सच तो यह है कि हमने हर मौके का इस्तेमाल एक-दूसरे से मिलने के लिए करने की कला में महारत हासिल कर ली थी।

क्या ऐसा आपके साथ भी हुआ था? मैं विश्वास से कह सकती हूं कि हम सब हमारी शादी के पहले कभी न कभी न कभी ऐसे ही अनुभव से गुजरते हैं। वह ऐसा दौर था, जब हमें एक-दूसरे के लिए उपलब्ध रहने में कोई समस्या नहीं होती थी। दुर्भाग्यवश, हनीमून हमेशा नहीं चलता। यह आनंददायक वक्त जल्दी ही गुजर जाता है और मुश्किलें तब शुरू होती हैं जब हम अपने कैरियर, घर, आर्थिक आवश्यकताओं व बच्चों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना शुरू करते हैं। इसके बाद हमारा वैवाहिक जीवन हमारी प्राथमिकता नहीं रह जाता और हममें से कई यह भूल जाते हैं कि विवाह में प्रेम तभी कायम रह सकता है जब हम उसके लिए सयास प्रयास करें। विवाह के बाद के दौर में एक-दूसरे के साथ जो समय हम बिताते भी हैं, उसका संबंध गृहस्थी की समस्याओं से होता है। जब हम साथ होते भी हैं तब भी हम अपने वैवाहिक संबंध को समृद्ध करने और उसे मजबूती देने के लिए कुछ नहीं करते। एक-दूसरे के साथ पर्याप्त समय न बिताना, विवाहों के असफल होने का एक प्रमुख कारण है।

कोशिश करके निकालिए समय  

वैवाहिक जीवन अपने आप सफल नहीं हो जाता। उसकी सफलता के लिए कोशिश करनी होती है। हमें जल्दी ही यह समझ में आ गया कि अगर हम आपस में मिलने के लिए समय और मौके का इंतजार करेंगे तो हम शायद ही एक-दूसरे के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिता पाएंगे और एक-दूसरे को आहत करने से नहीं बच सकेंगे हमें अपने समय का प्रबंधन इस तरह करना होगा कि हमें लगातार एक-दूसरे के साथ समय बिताने के अवसर मिलते रहे।

क्या तुम्हें अपने विवाह के पूर्व के दिन और हफ्ते याद हैं? क्या तुम्हें याद है कि तुम किस तरह अपनी व्यस्तता के बीच भी अपने मंगेतर से मिलने का समय निकाल लेते थे? तुम काफी कोशिश करके दिन भर की योजना इस तरह बनाते थे कि अपनी दिनचर्या में कुछ परिवर्तन कर या अपने काम को जल्दी-जल्दी निपटाकर, तुम अपनी मंगेतर से मिलने के लिए समय निकाल सको। याद है, तुम किस तरह “अनलिमिटेड टाक टाईम प्लान” की तलाश में रहते थे? मैं विश्वास से कह सकता हूं कि तुमने उन दिनों की यादें अपने मन में संजोकर रखी होंगी। आज कई शादियां, रोजमर्रा के घरेलू काम की चक्की में पिस जाती हैं। कामकाजी दंपत्तियों पर जबरदस्त दबाव रहता है, जिसके कारण उनके आपसी रिश्ते तनावपूर्ण हो जाते हैं। आज शहरों में रहने वाले सभी दंपत्तियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने जीवनसाथी के साथ बिताने के लिए कुछ समय अलग से निकालें।

मात्रा से आती है गुणवत्ता

व्यवसायिक दृष्टि से सोचें तो यह अजीब जान पड़ता है परंतु जहां तक समय साथ बिताने का प्रश्न है, यह एकदम सटीक बैठता है। हमें समझ में आया कि जब हम तीस मिनट एक साथ बिताते हैं तब उनमें से पन्द्रह मिनट गुणवत्तापूर्ण होते हैं। अलग-अलग दंपत्तियों के लिए यह अनुपात अलग-अलग हो सकता है परंतु ‘टू मिनट नूडल्स’ की तरह, रोमांस के इंस्टेंट पैक नहीं आते। गुणवत्तापूर्ण समय बिताने से हमारा एक-दूसरे के प्रति प्रेम बढेगा और हमारे आपसी रिश्ते और गहरे व मजबूत बनेंगे। जब हम मिलें तो यह आवश्यक है कि हम एक-दूसरे की भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करें और जब बात किसी संवेदनशील मुद्दे पर हो रही हो तो अपने ध्यान को इधर-उधर न भटकने दें। हमारा साथी हमसे जो कह रहा है, उसे सही परिपेक्ष्य में समझने की कोशिश करें। याद रखो, तुम्हारा जीवन साथी ईश्वर द्वारा तुम्हें प्रदत्त एक अमूल्य उपहार है। उसके साथ बिताए गए जीवन के हर क्षण को संजोकर रखो।

अब तक की हमारी यात्रा

हम दोनों नौकरी करते हैं और हमारी तीन छोटी-छोटी बेटियां हैं। जाहिर है कि हमारे जीवन में ढेर सारे तनाव रहते हैं। कई बार महीनों तक हम एक-दूसरे के साथ गुणवत्तापूर्ण समय नहीं बिता पाते थे। बाद में, हमने अपने समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना शुरू किया। पिछले कई सालों से हम एक-दूसरे के साथ समय बिताने के कई अलग-अलग तरीकों से प्रयोग कर चुके हैं। इस विषय में हम जितना अधिक सोचते हैं हमें उतने ही रचनात्मक तरीके सूझते हैं। नीचे दिए गए ऐसे ही कुछ तरीकों का उद्देश्य यद्यपि आपसी प्यार बढ़ाना है, परंतु सच कहूं तो इन मौकों का इस्तेमाल हमने अक्सर हमारे मतभेदों को दूर करने के लिए किया है और इसके बहुत शानदार नतीजे सामने आए हैं। जो तरीके हमने अपनाए, उनमें से कुछ है :

  • हम यह सुनिश्चित करते हैं कि कम से कम महीने में एक या दो बार, किसी शनिवार को हम दोनों हमारे पसंदीदा रेस्तरां में नाश्ता करने जाएं।
  • कभी-कभी हम काम के दिनों में लंच पर मिलते हैं। विश्वास कीजिए यह अनुभव इतना आनंददायक होता है कि इसके लिए हमें जो यात्रा करनी पड़ती है वह हमें जरा भी नहीं अखरती।
  • दो महीने में एक बार हम छुट्टी लेकर कोई फिल्म देखने जाते हैं, खरीददारी करते हैं, आईस्क्रीम खाते हैं और एक-दूसरे के साथ का मजा लेते हैं। हम इसे ‘घर से छुट्टी’ कहते हैं। इससे हमें ढेर सारा गुणवत्तापूर्ण समय मिलता है जिसमें हम अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण मसलों पर आपस में चर्चा कर पाते हैं।
  • पिछले दो सालों से हम बच्चों को सुलाने के बाद, बिस्तर पर कॉफी पीते हैं। हम लगभग तीस मिनट तक कॉफी की चुस्कियों के बीच, बिना किसी एजेन्डे के बातचीत करते हैं। यह हमारा साथ बिताया हुआ सबसे रोमांटिक समय होता है।
  • हम शाम की सैर एक साथ करते हैं।
  • एक साथ प्रार्थना करने से हमें बहुत संतोष मिलता है। हम प्रार्थना करते समय एक-दूसरे का हाथ पकड़कर ईश्वर से कहते हैं कि वह हमारे वैवाहिक जीवन को सुमधुर और सुदीर्घ बनाने के लिए हमें रास्ता दिखलाए। हमें यह सोचकर अत्यंत प्रसन्नता होती है कि जब हम एक साथ प्रार्थना कर रहे होते हैं तब ईश्वर भी हमारे हाथ पकड़े होता है।
  • जहां तक संभव हो, हम घरेलू कामकाज मिलकर करते हैं। इससे हमारे बीच प्यार बढ़ता है।

सीखने की राह

जहां हम अपने वैवाहिक अनुभवों से सीख लेते हैं वहीं हमारे मित्रों में हमारे समुदाय के बहुत सारे दम्पत्ति शामिल हैं। हमने दूसरों से बहुत कुछ सीखा है क्योंकि वे भी हमारे जैसे अनुभवों से गुजरे हैं। उनके सिद्धांतों को हमने भी अपनाया है और इसने हमारे आपसी रिश्तों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

(फारवर्ड प्रेस के अगस्त 2013 अंक में प्रकाशित)

लेखक के बारे में

जेरोम व प्रिसला क्रिस्टोफर

प्रिसला क्रिस्टोफर एक बाल अधिकार संगठन में सामाजिक विकास कार्यकर्ता हैं। जेरोम क्रिस्टोफर बैंगलोर की एक साफ्टवेयर कंपनी में एचआर मैनेजर के पद पर काम करते हैं

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