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एडवांस बिक्री से धन इकट्ठा करना

अपने निवेश को खो देने के डर के कारण ही अधिकांश लोग अपना व्यवसाय शुरू नहीं करते। परन्तु यही वह मुद्दा है जिस पर विचार कर तुम यह आकलन कर सकते हो कि तुममें व्यवसायी बनने की क्षमता है या नहीं

प्रिय दादू,

बाजार की मांग, बाजार का आकार, प्रतियोगिता आदि के बारे में आपने जो कुछ लिखा, वह तो ठीक है परन्तु अक्सर किसी भी व्यवसाय को शुरू करने में सबसे बड़ी चुनौती होती है पैसे का इंतजाम करना। इस समस्या का आपके पास क्या समाधान है?

सप्रेम

सुदामा

प्रिय सुदामा,

तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो। यह सचमुच एक चुनौती ही है। अगर तुम्हारे पास धन नहीं है तो तुम कोई व्यवसाय प्रारंभ नहीं कर सकते। सच तो यह है कि व्यवसाय एक तरह का जुआ है (यद्यपि इस जुए में आपकी जीत का निर्धारण केवल भाग्य से नहीं वरन् आपकी अक्लमंदी, दूसरों को प्रभावित करने और कड़ी मेहनत करने की क्षमता से भी होता है)। परंतु यह तथ्य है कि तुम तब तक कोई व्यवसाय शुरू नहीं कर सकते जब तक कि तुम्हारे पास ऐसी धनराशि न हो, जिसे तुम गंवाने को तैयार हो।

अपने निवेश को खो देने के डर के कारण ही अधिकांश लोग अपना व्यवसाय शुरू नहीं करते। परन्तु यही वह मुद्दा है जिस पर विचार कर तुम यह आकलन कर सकते हो कि तुममें व्यवसायी बनने की क्षमता है या नहीं। क्या तुम, तुम्हारे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन है, उसे खोने के लिए तैयार हो?

तुम यह जोखिम ले सकते हो या नहीं, यह मुख्यत: एक मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक चुनौती है, विशेषकर अगर तुम ऐसे परिवार से आते हो जो गरीब है। यह चुनौती तब और गंभीर बन जाती है यदि तुम्हारा परिवार लंबे अरसे से गरीबी से जूझ रहा हो। इसलिए तुम्हारे लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि तुम अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए जितने धन की आवश्यकता है, उसे जुटाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद लो। इसी तरह, व्यवसाय शुरू हो जाने के बाद भी तुम्हें उसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए भी अधिक से अधिक लोगों की मदद लेनी होगी।

व्यवसाय एक ऐसा खेल है जिसे अकेले नहीं खेला जा सकता। तुमने देखा होगा कि कई मौकों पर सफल व्यवसायियों को सम्मानित किया जाता है। परन्तु तुम यदि थोड़ी भी खोजबीन करोगे तो तुम्हें समझ में आ जाएगा कि सफल व्यवसायी के पीछे उन बहुत से व्यक्तियों का हाथ होता है जिन्हें वह इकट्ठा करता है, प्रेरित करता है और अपने साथ जोड़े रहता है।

अब हम मूल प्रश्न पर वापस आते हैं और वह यह कि तुम अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए धन का इंतजाम कैसे करो?

स्पष्टत:, धन का पहला स्रोत तुम स्वयं हो। अपने संसाधनों की सावधानी से गणना करो। यह देखो कि तुम्हें अपना जीवन चलाने के लिए कितने धन की आवश्यकता है और उस धन को अलग हटा देने के बाद, तुम्हारे पास कितना ऐसा धन बचता है जिसे तुम किसी व्यवसाय में लगाकर, उसके डूब जाने का जोखिम उठा सकते हो। अगर तुम्हें ऐसा लगे कि तुम्हारे पास जितना भी पैसा है, वह सभी तुम्हारा जीव चलाने के लिए जरूरी है तो भी दिल छोटा न करो। आज भले ही यह स्थिति हो परन्तु तुम सोच-समझकर ऐसा कोई रास्ता निकाल सकते हो जिससे तुम्हारी बचत राशि बढ़े और तुम्हारी आवश्यकताएं कम हों। इस तरह, तुम भविष्य में अपने व्यवसाय में निवेश के लिए कुछ धन इकट्ठा कर सकोगे।

अगर तुम्हें ऐसा लगे कि तुम्हारे पास व्यवसाय में लगाने के लिए बहुत कम धन है तब भी निराश होने की जरूरत नहीं है। व्यवसाय के अपने सपने के बारे में अपने मित्रों, परिवारजनों और सहकर्मियों से बात करो। यह जानने की कोशिश करो कि वे तुम्हारी योजना के बारे में क्या सोचते हैं और तुम्हारे साथ किस तरह सहयोग कर सकते हैं।

ध्यान रखो, निवेश के लिए धन का इंतजाम करने के तीन स्रोत हैं-पहले की चर्चा मैं कर चुका हूं। यह वह धन है जिसे तुम और तुम्हारे साथी अपनी व्यक्तिगत बचत में से निवेश करने को तैयार हैं। दूसरा स्रोत है कर्ज। जहां तक हो सके, तुम्हें कर्ज लेने से बचना चाहिए। परन्तु कभी-कभी कर्ज लेना आवश्यक हो जाता है और बहुत उपयोगी भी सिद्ध होता है। तीसरा तरीका है एडवांस बिक्री।

‘वर्जिन समूह’, जो 6 महाद्वीपों में 400 से अधिक व्यवसायों का संचालन कर रहा है, के संस्थापक रिचर्ड ब्रेनसन ने अपना पहला व्यवसाय 16 साल की उम्र में शुरू किया था। उन्होंने एक पत्रिका निकाली थी। यह पत्रिका उन्होंने पैसा कमाने के लिए नहीं निकाली थी बल्कि इसलिए निकाली थी क्योंकि वे किसी पत्रिका के संपादक बनना चाहते थे। उस समय इंग्लैंड में विद्यार्थियों द्वारा विद्यार्थियों के लिए कोई पत्रिका नहीं थी। जिस तरह उन्हें स्कूल में पढ़ाया जाता था, वह रिचर्ड ब्रेनसन को पसंद नहीं था। उसे दुनिया में कई चीजें गलत नजर आती थीं और वह उन्हें बदलना चाहता था। उसे जल्दी ही समझ में आ गया कि अगर उसे दुनिया को बदलना है तो उसे एक पत्रिका निकालनी ही होगी। उसे यह भी समझ आ गया कि अनेक ऐसे व्यवसायी हैं जो विद्यार्थी वर्ग के बीच अपने उत्पाद का प्रचार करना चाहते हैं। उसने ऐसे व्यवसायियों से पत्रिका में विज्ञापन के शुल्क बतौर धन मांगा और उसे इतने विज्ञापन मिल गए जिससे वह पत्रिका की 50 हजार प्रतियां छपवा कर बेच सके। चूंकि छपाई और लागत का खर्च उसे पहले ही विज्ञापन की राशि के रूप में मिल चुका था, अत: पत्रिका की बिक्री से जो भी पैसा आया, वह उसका मुनाफा था। वह यह सब इसलिए कर सका, क्योंकि उसमें आत्मविश्वास था, वह चीजों को जानता-समझता था और उसने आपसी संबंधों का एक ऐसा जाल तैयार कर लिया था, जिसके जरिए वह संभावित विज्ञापनदाताओं तक पहुंच सका और उनसे विज्ञापन का धन ले सका। यदि हम गहराई से सोचें तो वह यह सब इसलिए कर सका क्योंकि वह दीवाना था। दुनिया में जो कुछ गलत है, वह उसे सुधारना चाहता था।

ब्रेनसन का उदाहरण मैंने इसलिए दिया ताकि मैं तुम्हें यह समझा सकूं कि कब जब उत्साही और जुनूनी व्यक्ति, पैसे की कमी की समस्या से उबर सकता है। परन्तु चाहे तुम कितने ही उत्साही हो, तुम्हें अपने व्यवसाय में निवेश करने के लिए कुछ न कुछ धन तो चाहिए ही होगा। सोलह साल की उम्र में ब्रेनसन को यह फिक्र करने की जरूरत नहीं थी कि वह कहां सोएगा, कौन से कपड़े पहनेगा या उसे दिन का खाना कैसे मिलेगा। इस सब की फिक्र करने के लिए उसका परिवार था। इसके अलावा, उसके पास इतना पैसा और समय था कि वह विज्ञापन इकट्ठा करने के लिए सही कंपनियों को चुन सके, उनकी मार्केटिंग व सेल्स मैनेजरों से संपर्क स्थापित कर उनसे समय मांग सके और फिर उनसे मिलने जा सके।

परन्तु केवल विज्ञापन मिलने से ब्रेनसन का काम चलने वाला नहीं था। उसे ऐसे लोगों को ढूंढना था जो उसकी पत्रिका के लिए अच्छे लेख लिख सकें। उसे एक ऐसी प्रिटिंग प्रेस की तलाश करनी थी जो एक अनजान पत्रिका की 50 हजार प्रतियां इस भरोसे पर छाप दे कि सोलह साल का ब्रेनसन, जिसे व्यवसाय का कोई पूर्व अनुभव नहीं है, उसका बिल चुका देगा। ब्रेनसन को यह भी समझना था कि पत्रिकाओं को बिक्री के लिए स्टेंडों पर कैसे पहुंचाया जाता है। और सब कुछ हो जाने के बाद, उसे विज्ञापनदाताओं से विज्ञापन के पैसे भी इकट्ठा करने थे। उसकी सफलता का राज था एडवांस बिक्री। सोचो। क्या तुम ऐसे कोई उत्पाद के बारे में सोच सकते हो, जिसके बनने से पहले ही लोग उसे खरीदने के लिए तैयार हों। अगर तुम्हारे पास ऐसे ग्राहक भी हैं जो यह वायदा करने को तैयार हैं कि वे तुम्हारा उत्पाद खरीदेंगे, तो भी चीजें तुम्हारे लिए बहुत आसान हो जाएंगी।

अगर तुम्हारे पास एडवांस खरीदार न हों तब तुम अपना व्यवसाय कैसे शुरू करोगे? फिर तुम्हारे पास दो ही रास्ते बचते हैं। अपनी जेब का पैसा लगाओ या कर्ज लो। इस बारे में और ज्यादा अगले पत्र में। इस बीच, क्यों न तुम अपने घर से बाहर निकलो और अपने उत्पाद के संभावित ग्राहकों की खोज करो!

सप्रेम

दादू

(फारवर्ड प्रेस के अक्टूबर 2013 अंक में प्रकाशित)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

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लेखक के बारे में

दादू

''दादू'' एक भारतीय चाचा हैं, जिन्‍होंने भारत और विदेश में शैक्षणिक, व्‍यावसायिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में निवास और कार्य किया है। वे विस्‍तृत सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक मुद्दों पर आपके प्रश्‍नों का स्‍वागत करते हैं

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