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गुणवत्ता के बल पर प्रतियोगिता

कोई भी योजना बेकार है यदि तुम उसका इस्तेमाल अपने व्यवसाय को दिशा देने के लिए नहीं करते। इसका अर्थ यह है कि तुम्हें व्यवसाय की अपनी योजना को ड्रावर से बाहर निकालकर समय-समय पर देखना होगा, उस पर विचार करना होगा

प्रिय दादू,

आपके पिछले पत्र में दिए गए सुझाव अत्यंत व्यावहारिक थे और मुझे प्रसन्नता है कि मैंने आपके सुझावों के अनुरूप, व्यवसाय की योजना पर काम शुरू कर दिया है। एक संभावना यह भी है कि मैं कोई नया व्यवसाय प्रारंभ करने की बजाय वर्तमान में चल रहे किसी व्यवसाय को खरीद लूं। क्या इस तरह के मामलों में व्यवसाय की योजना एकदम अलग होती है ?

दूसरा प्रश्न, क्या कम कीमत, बेहतर गुणवत्ता और सेवा ही व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा करने के एकमात्र तरीके हैं ?

सप्रेम,

सुदामा

प्रिय सुदामा,

हम तुम्हारे दूसरे प्रश्न से शुरुआत करते हैं।

सच तो यह है कि प्रतिस्पर्धा करने का एक तरीका है अपने प्रतियोगी से ऊंची कीमत पर वस्तुएं बेचना। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों के मन में अक्सर यह धारणा होती है कि जो चीज महंगी है, वह बेहतर गुणवत्ता की होती है। यद्यपि इस तरह की रणनीति अपनाना हम जैसे लोगों के लिए मुश्किल है परंतु अगर तुम ऐसा कर सको तो यह सचमुच कमाल होगा। इस रणनीति के मूल में क्या है, यह मैं तुम्हें समझाना चाहता हूं।

किसी उत्पाद को अधिक कीमत पर बेचने के लिए ऐसी धारणा निर्मित करना आवश्यक है कि वह उत्पाद अधिक मूल्यवान है। कोका कोला या नाइकी जूतों के बारे में सोचो।

 

शायद कोका कोला, अन्य कोल्ड ड्रिंक्स से कुछ बेहतर नहीं होता और नाइकी और उसके समकक्ष अन्य ब्रांडों के जूतों में कोई विशेष फर्क नहीं होता। परंतु कोक या नाइकी अपने उत्पादों की अधिक कीमत इसलिए वसूल पाते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी एक आकर्षक छवि का निर्माण कर लिया है। उत्पाद की डिजाइन और उसकी मार्केटिंग इस प्रकार से की जाती है कि उत्पाद से कुछ अनुभव या भावनाएं जुड़ जाती हैं। ऐसा करके एक ‘ब्रांड’ का निर्माण किया जाता है। ब्रांड का निर्माण करने में काफी समय और अनवरत् प्रयास की आवश्यकता होती है।

परंतु आज की तेजी से बदलती हुई दुनिया में हम देखते हैं कि किस प्रकार माइक्रोसाफ्ट को एपल ने पछाड़ दिया और एपल को गूगल ने। जल्द ही ऐसा हो सकता है कि गूगल, फेसबुक, ट्वीटर या अन्य किसी कंपनी से पीछे हो जाए। इसलिए हमें इस प्रश्न पर गंभीरता से विचार करना होगा कि क्या हम ‘ब्रांड’ का निर्माण कर सकते हैं।

वैसे भी, बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए सुनियोजित ढंग से दो चीजों पर निगाहें रखनी होंगी। पहली यह कि दुनिया के बाजारों में क्या हो रहा है और दूसरी यह कि तुम व्यवसाय की अपनी योजना को लागू कर पा रहे हो या नहीं।

कोई भी योजना बेकार है यदि तुम उसका इस्तेमाल अपने व्यवसाय को दिशा देने के लिए नहीं करते। इसका अर्थ यह है कि तुम्हें व्यवसाय की अपनी योजना को ड्रावर से बाहर निकालकर समय-समय पर देखना होगा, उस पर विचार करना होगा और ‘यदि तुम ऐसा कुछ करना चाहते हो तो’ ईश्वर से उस बारे में बात करनी होगी ताकि तुम यह सुनिश्चित कर सको कि चीजें योजना के अनुसार हो रही हैं। और यह भी कि परिवर्तन की आवश्यकता कहां है। (तुम जिस तरह अपना व्यवसाय चला रहे हो उसमें या व्यवसाय की योजना में या दोनों में)। बेहतर होगा कि सप्ताह में कम से कम एक बार तुम इस मुद्दे पर विचार करो। इसमें चंद मिनट लगेंगे या एक घंटा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि तुम्हारा व्यवसाय कितना जटिल है और बाजार कितनी तेजी से बदल रहे हैं।

व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा करने का अर्थ है निम्न प्रश्नों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना।

1) अगले एक या दो सालों के लिए तुम्हारे लक्ष्य क्या हैं और उन लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए तुम्हें अगले सप्ताह, अगले महीने या अभी तुरंत क्या कदम उठाने होंगे।

2) हर माह के लिए आवश्यक खर्चों को जोडऩा (उदाहरणार्थ किराया, बिजली का बिल, यात्रा व्यय, वेतन-जिसमें तुम्हारा स्वयं का वेतन शामिल है और जो इस बात पर निर्भर करेगा कि तुम्हें व्यवसाय से कितने धन की आवश्यकता है।)

3) व्यवसाय की दृष्टि से महत्वपूर्ण तारीखों और किसी कार्य को करने की अंतिम तिथियों की सूची बनाना ताकि वे तुम्हारे दिमाग में रहें और तुम समय पर वे काम कर सको। इसमें त्योहार और छुट्टियां शामिल हैं क्योंकि इनका तुम्हारे व्यवसाय पर हमेशा असर पड़ेगा। तुम्हारे व्यवसाय में इससे वृद्धि हो सकती है या कमी आ सकती है।

4) अगर तुमने किसी और से व्यवसाय के संबंध में मदद मांगी है तो उन कार्यों की सूची बनाओ, जिनको करने की जिम्मेदारी तुमने दूसरे व्यक्ति को दी है और यह भी कि तुम कब तक उन कामों को पूरा होता देखना चाहते हो।

5) पहले साल के लिए बिक्री का पूर्वानुमान लगाओ। इसको कई टुकड़ों में बांटो (भले ही घंटों या दिनों में)। इसमें यह भी लिखो कि तुम्हारा उत्पाद औसतन कितनी कीमत पर बिकने की तुम्हारी अपेक्षा है और उत्पाद की प्रत्येक इकाई की औसत लागत कितनी है।

किसी स्थापित व्यवसाय के मामले में व्यवसाय की योजना में निम्न चीजें शामिल होनी चाहिए।

* मिशन वक्तव्य- जो यह बताता है कि तुम्हारा व्यवसाय क्या है। यह छोटे से छोटा होना चाहिए-बेहतर होगा कि यह एक वाक्य का हो या ज्यादा से ज्यादा एक छोटे पैराग्राफ  का।

* कंपनी के बारे में सूचनाएं- इसमें तुम्हें लिखना होगा वह तारीख जब तुम्हारा व्यवसाय शुरू हुआ, उसकी स्थापना करने वालों के नाम और उनकी भूमिकाएं, कर्मचारियों की संख्या और तुम्हारा व्यवसाय जिन स्थानों पर चल रहा है, उनके नाम।

* वृद्धि संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य- जिसमें कंपनी के व्यवसाय में वृद्धि के उदाहरण होंगे जिनमें शामिल हैं आर्थिक या बाजार संबंधी उपलब्धियां (उदाहरणार्थ लाभ, बिक्री, ग्राहकों की संख्या या बाजार में हिस्सेदारी में वृद्धि से संबंधित आंकड़े) इन्हें ग्राफ  या तालिका के रूप में प्रस्तुत करना बेहतर होगा ताकि पढऩे वाला एक नजर में चीजों को समझ सके।

* उत्पाद/सेवाएं- जिसमें तुम्हारे उत्पादों या सेवाओं का वर्णन होगा। (परंतु यदि यह जानकारी मिशन वक्तव्य में शामिल है तो उसे यहां दोहराओ मत)

* आर्थिक जानकारी- जिसमें शामिल होना चाहिए तुम्हारे बैंक और निवेशकों (जिसमें तुम भी शामिल हो) की जानकारी।

* भविष्य की योजनाओं का संक्षिप्त विवरण- जिसमें तुम यह लिखोगे कि तुम अपने व्यवसाय को कहां ले जाना चाहते हो, इसके लिए कितने धन की जरूरत है और क्यों?

अगर तुम्हारे मन में व्यवसाय की योजना के बारे में और कोई प्रश्न हो तो तुम मुझे बताओ। वरना हम अब व्यवसाय की योजना बनाने की प्रक्रिया के बारे में चर्चा करेंगे क्योंकि योजना तैयार करने की प्रक्रिया, योजना से अधिक महत्वपूर्ण है। या दूसरों शब्दों में कहूं तो अंतिम परिणाम (योजना) तो महत्वपूर्ण है ही परंतु व्यवसाय में सफलता के लिए यह आवश्यक है कि हम नियमित रूप से और लगातार व्यवसाय की योजना बनाने की प्रक्रिया में जुटे रहें।

सप्रेम,    दादू

(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2014 अंक में प्रकाशित )


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

दादू

''दादू'' एक भारतीय चाचा हैं, जिन्‍होंने भारत और विदेश में शैक्षणिक, व्‍यावसायिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में निवास और कार्य किया है। वे विस्‍तृत सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक मुद्दों पर आपके प्रश्‍नों का स्‍वागत करते हैं

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