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योजना बनाना सचमुच उपयोगी है

व्यवसाय की योजना बनाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उससे तुम व्यवसाय के सभी पक्षों या कोणों को देख सकते हो, मानो वे किसी पहेली का हिस्सा हों या शतरंज के मोहरे हों। इससे तुम यह समझ सकोगे कि एक मोहरे को खिसकाने से दूसरे मोहरों पर क्या प्रभाव पड़ता है

प्रिय दादू,

अगर ‘योजना कुछ नहीं है’, जैसा कि आपने पिछले पत्र में कहा था, तब, माफ कीजिए, क्या मैं यह जान सकता हूं कि व्यवसाय की योजना तैयार करने में इतनी ऊर्जा खर्च करने की क्या उपयोगिता है ? क्या यह बेहतर नहीं होगा कि हम पहले अपना व्यवसाय शुरू कर दें और समय के साथ सीखते चलें ?

सप्रेम,

सुदामा

 

प्रिय सुदामा,

यह विचार आकर्षक लगता है, बल्कि बहुत से लोग, बिना योजना बनाए व्यवसाय में कूद पड़ते हैं। इससे निश्चित तौर पर समय की बचत होती है। परंतु यह भी तय है कि यह अधिक महंगा और कम प्रभावकारी रास्ता है।

इस संदर्भ में मैं तुम्हें अपनी कहानी सुनाना चाहूंगा। कुछ वर्ष पहले, मैं एक उद्यमी के साथ व्यवसाय योजना पर काम कर रहा था। हमारे अनुसंधान के दौरान हम न केवल कच्चा माल प्रदाय करने वालों और संभावित ग्राहकों से मिले, बल्कि हम इसी उद्योग में रत अन्य व्यवसायियों (जो सीधे-सीधे हमारे प्रतियोगी नहीं थे) से भी मिले। इन सब ने अपने अनुभव हमसे बांटे। नतीजा यह हुआ कि व्यवसाय की योजना तैयार होने से पहले ही मेरे क्लाइंट ने उस व्यवसाय को शुरू करने का इरादा ही त्याग दिया क्योंकि यह साफ  हो गया था कि जिस कोण से वे सोच रहे थे, उसमें मुनाफा कमाने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। अनुसंधान और व्यवसाय की योजना बनाने पर मेरे क्लाइंट ने जितना समय, ऊर्जा व धन ‘बरबाद’ किया, वह उससे कहीं कम था जो कि तब बरबाद होता अगर वे बिना सोचे-समझे इस व्यवसाय में कूद जाते।

दूसरी ओर, यदि तुम्हारे अनुसंधान और व्यवसाय योजना से ऐसा लगता है कि तुम मुनाफा कमा सकते हो और व्यवसाय में सफ ल हो सकते हो, तब भी तुम्हें यह सीखना होगा कि बाजार में नित बदलती परिस्थितियों के बीच अपना अस्तित्व तुम कैसे बनाए रखोगे।

किसी भी व्यवसाय में सफ लता की एक कुंजी तो यह है कि संभावित ग्राहक की तुम्हारी परिभाषा एकदम ठीक-ठाक होनी चाहिए वरना तुम्हें हर व्यक्ति अपना संभावित ग्राहक नजर आएगा। एक बार तुम अपने ग्राहक की पहचान कर लो उसके बाद तुम्हें उस तरह के ग्राहक पर अनुसंधान करना होगा और उसे समझना होगा। तुम्हारी व्यवसाय योजना और मॉडल की अंतिम कसौटी है तुम्हारा ग्राहक। अगर तुम किसी व्यवसाय में अच्छी तरह से जमे हुए हो तब भी तुम्हारे ग्राहक के व्यवहार, आवश्यकताओं और पसंद में परिवर्तनों पर तुम्हें लगातार निगाह रखनी होगी ताकि तुम ग्राहक को संतुष्ट करने की अपनी क्षमता में लगातार सुधार लाते रहो।

यद्यपि ‘ग्राहक बाजार का शहंशाह है’ तथापि व्यवसाय के शतरंज की बिसात के दूसरे मोहरे भी महत्वपूर्ण हैं उदाहरणार्थ तकनीकी, सप्लायर व कर्मचारी।

तकनीकी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तुम इससे अपने व्यवसाय की पहुंच को बढ़ा सकते हो, अपने खर्च घटा सकते हो और अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं को परिवर्तित कर सकते हो। अगर तुम तकनीकी में होने वाले सुधारों से उत्पन्न संभावनाओं का दोहन करते चलोगे तो तुम अपने उन व्यावसायिक प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर प्रदर्शन कर पाओगे, जो नई तकनीकी का उपयोग नहीं करेंगे।

सप्लायरों से अच्छे रिश्ते रखना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे तुम्हारी साख-सीमा को घटा-बढ़ा सकते हैं और साथ ही वे तुम्हें बाजार के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं भी दे सकते हैं।

यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि तुम्हारे कर्मचारी अपने काम में दक्ष हों और यह भी कि तुम उन्हें अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करो। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि तुम्हारा हर कर्मचारी, ग्राहकों के लिए तुम्हारी कंपनी का प्रतिनिधित्व करता है। तुम्हारी सफ लता इसी में है कि तुम्हारे कर्मचारी प्रशिक्षित हों, पसन्न रहें और वे ग्राहकों की जरूरतों को अच्छे से अच्छे ढंग से पूरा करने के लिए प्रेरित हों।

यह भी सही है कि तुम्हारे व्यवसाय के लिए तुम्हारे कर्मचारियों से बड़ा खतरा और कोई नहीं है। कर्मचारियों के लिए धोखाधड़ी करना सबसे आसान होता है। हर व्यवसाय आपसी विश्वास पर चलता है परंतु इसके साथ-साथ, यह भी जरूरी है कि किसी तरह के घोटाले को रोकने के लिए पर्याप्त नियंत्रण हों और यह भी कि तुम्हारे कर्मचारियों के साथ तुम्हारे मधुर संबंध हों और संस्थान का आंतरिक माहौल खुशनुमा और प्रेरणादायक हो।

यह महत्वपूर्ण है कि कम से कम खरीदी और हिसाब-किताब करने वाले कर्मचारी अपने काम में दक्ष हों। जरा सोचो कि अगर लेखाकार सही आंकड़े प्रस्तुत न करे या अपने लाभ के लिए आंकड़ों में हेराफेरी कर दे, तो क्या होगा? या फिर, अगर गलत चीजों की खरीदी के आदेश जारी कर दिए जाएं और ऐसी गलत चीजों को स्वीकार भी कर लिया जाए, भले ही उनकी कीमत अनुचित हो और उन्हें खरीदने का समय भी।

इससे हम पहुंचते हैं नकद धनराशि के बहाव के प्रश्न पर। इसके महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अगर तुम्हें ग्राहकों से बहुत सा धन वसूलना बाकी हो तब तुम उन लोगों का पैसा नहीं चुका सकोगे जिनसे तुमने सामान आदि खरीदा है। याद रखो, दिवालिया उसे कहते हैं जो अपने बिल अदा नहीं कर पाता। दूसरे शब्दों में, अच्छा मुनाफा कमा रहे व्यवसाय में रहते हुए भी तुम दिवालिया हो सकते हो अगर तुम्हारे ग्राहक समय पर तुम्हें भुगतान न करें। मुनाफा महत्वपूर्ण है परंतु यह नकदी के बहाव से अलग मुद्दा है। मुनाफा और नकदी का बहाव दोनों बराबर महत्वपूर्ण हैं बल्कि नकदी का बहाव ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि उसके जरिए ही तुम व्यवसाय में बने रह सकते हो।

व्यवसाय की योजना बनाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उससे तुम व्यवसाय के सभी पक्षों या कोणों को देख सकते हो, मानो वे किसी पहेली का हिस्सा हों या शतरंज के मोहरे हों। इससे तुम यह समझ सकोगे कि एक मोहरे को खिसकाने से दूसरे मोहरों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

सलाह के कुछ शब्द :

1) कभी अपने विचार या व्यवसाय करने के अपने तरीके या अपने व्यवसाय से प्रेम न करने लगना। प्रेम बहुत महान है परंतु इससे व्यावसायिक निर्णय लेने में परेशानी होती है। कई बार हमें उस चीज को पूरी तरह छोड़ देना पड़ता है जो हमें कोई मुनाफा नहीं दे रही और भविष्य में भी नहीं देगी। कई बार हमें यह समझना होता है कि जो व्यवसाय हम कर रहे हैं, उसे बेच देना ही हमारे हित में है क्योंकि उससे मिलने वाले धन का हम बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं।

2) बिना सोचे-समझे किसी धंधे में कूद पडऩा तो गलत है ही परंतु किसी भी काम को बिल्कुल ठीक-ठीक करने की जिद भी अच्छी नहीं है। कभी ‘एकदम सही’ उत्तर की तलाश में मत रहो। कोई ऐसा क्षण, उत्पाद, सेवा या अवसर नहीं होता जिसमें कोई न कोई कमी न हो। कब जब एक ही प्रश्न के कई उत्तर होते हैं जैसे कि शतरंज के खिलाड़ी के सामने जीत हासिल करने की कई अलग-अलग रणनीतियां होती हैं। कई बार हमारी जीत इस पर भी निर्भर करती है कि हमारा विपक्षी कौन सी चाल चल रहा है।

3) तो काम में जुट जाओ, काम में लगे रहो और अपने व्यवसाय को सफ ल बनाने के लिए जो कुछ तुम कर सकते हो, करो। परंतु यह कभी मत भूलो कि तुम्हें न केवल उन समस्याओं को सुलझाना है जो तुमसे आज मुकाबिल हैं बल्कि तुम्हें अपनी जमीन इस तरह से तैयार करना है कि कल आने वाली चुनौतियों से भी तुम सफ लतापूर्वक मुकाबला कर सको।

सप्रेम व तुम्हारी सफलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना के साथ,

दादू

इसके साथ ही उद्यमिता पर केन्द्रित श्रृंखला समाप्त होती है। अगर तुम दादू से कोई प्रश्न पूछना चाहते हो तो उन्हें, <askdadu@gmail.com> पर ई-मेल भेज सकते हो।

 

(फारवर्ड प्रेस के अप्रैल 2014 अंक में प्रकाशित)


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लेखक के बारे में

दादू

''दादू'' एक भारतीय चाचा हैं, जिन्‍होंने भारत और विदेश में शैक्षणिक, व्‍यावसायिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में निवास और कार्य किया है। वे विस्‍तृत सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक मुद्दों पर आपके प्रश्‍नों का स्‍वागत करते हैं

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