h n

सबसे अच्छे जीवनसाथी का चुनाव

कुछ दशकों पहले तक, मित्र और रिश्तेदार आपको कहीं अधिक प्रासंगिक जानकारियां दिया करते थे, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण होती थी पारिवारिक पृष्ठभूमि। यह दुख की बात है कि आज पारिवारिक पृष्ठभूमि का महत्व कम होता जा रहा है क्योंकि हमारी दुनिया व्यक्तिवादी बनती जा रही है। इसलिए, आजकल पारिवारिक पृष्ठभूमि से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है किसी व्यक्ति के निकट के मित्रों के बारे में जानना

प्रिय दादू ,

मेरे माता-पिता का कहना है कि मुझे अब जल्दी से जल्दी विवाह कर लेना चाहिए। वे मुझे विवाह योग्य नवयुवकों के बारे में बताबता
कर लगातार परेशान कर रहे हैं। मैं केवल लड़के की फोटो देखकर और उसकी शिक्षा, नौकरी (व जाति) की जानकारी  के आधार पर किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकती। इनमें से कोई अधिक शिक्षित है तो कोई अधिक सुदर्शन। किसी के बारे में ऐसा लगता है कि उसके साथ जिंदगी बिताना मजेदार होगा तो किसी के बारे में नहीं। परंतु सच क्या है, यह मैं कैसे पता लगाऊं। और अगर मैं सही निर्णय पर पहुंच भी जाऊं तो मेरे लिए यह तय करना मुश्किल है कि इस विशेष मौके पर मैं कौन-सी साड़ी पहनूं और अपने किन मित्रों को आमंत्रित करूं। आखिर मैं यह कैसे तय करूं कि मुझे अपनी शेष जिंदगी किसके साथ बितानी है?

सप्रेम,
आशा

प्रिय आशा,

मैं तुम्हारी दुविधाएं अच्छी तरह समझ सकता हूं। सच तो यह है कि हम जीवन में जो भी निर्णय लेते हैं, वह अपर्याप्त व अपूर्ण जानकारी पर आधारित होते हैं। जिन लोगों को हम बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, वे भी समय के साथ बदल जाते हैं और कभी-कभी मूर्खतापूर्ण निर्णय ले लेते हैं। कब-जब, खतरों, अवसरों या तकलीफ़ों से सामना होने पर वे अप्रत्याशित व्यवहार करने लगते हैं। जीवन में किसी चीज की कोई गारंटी नहीं होती। परंतु एक बात तय है, और वह यह, कि यदि हम चाहें तो जीवन की अनिश्चितताओं का ईश्वर के सहारे मुकाबला कर सकते हैं। मैं नहीं जानता कि तुम्हारा ईश्वर से परिचय है या नहीं या तुम ईश्वर में विश्वास करती भी हो या नहीं। परंतु अभी के लिए हम ईश्वर को अकेला छोड़ दें और विवाह के प्रश्न पर, केवल मनुष्य की दृष्टि से, विचार करें।

तुम बिल्कुल ठीक कहती हो कि जिस तरह की जानकारी (फोटो व नौकरी और शिक्षा संबंधी) हमें आजकल मिलती है, उसके आधार पर हम कोई निर्णय नहीं ले सकते।

कुछ दशकों पहले तक, मित्र और रिश्तेदार आपको कहीं अधिक प्रासंगिक जानकारियां दिया करते थे, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण होती थी पारिवारिक पृष्ठभूमि। यह दुख की बात है कि आज पारिवारिक पृष्ठभूमि का महत्व कम होता जा रहा है क्योंकि हमारी दुनिया व्यक्तिवादी बनती जा रही है। इसलिए, आजकल पारिवारिक पृष्ठभूमि से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है किसी व्यक्ति के निकट के मित्रों के बारे में जानना। परंतु वैवाहिक रिश्तों की बात करते समय शायद ही कोई मित्रों के बारे में कुछ पूछता-बताता हो। तो हम शुरू करें उन चीजों से जो तुम्हें अपने संभावित पति के बारे में पता करनी चाहिए। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि उसके निकटतम मित्र कौन हैं? वे लोग किस तरह के व्यक्ति हैं? और अगर उसका कोई निकट का मित्र है ही नहीं तो यह भी एक ऐसा महत्वपूर्ण तथ्य है जिसे तुम्हें ध्यान में रखना चाहिए।

तुम्हें उसकी पसंद और नापसंदगी की जानकारी होनी चाहिए। उदाहरणार्थ, अगर तुम्हें बाहर घूमना-फिरना बहुत पसंद है जबकि वह घर
में समय बिताना बेहतर समझता है तो तुम्हें कम से कम यह तो पता होगा कि यह एक ऐसा मसला है, जिस पर तुम दोनों को एक दूसरे से सामंजस्य बिठाना होगा। अगर तुम्हें प्रसन्नतापूर्वक अपना जीवन बिताना है तो तुम्हें यह तय करना होगा कि किन दिनों (हर हफ़्ते, हर महीने या त्योहारों आदि पर) तुम लोग बाहर जाओगे और किन दिनों पर अपने घर में रहोगे।

तुम्हारे लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वह कितना बड़ा परिवार चाहता है। निस्संदेह, बच्चे ईश्वर की देन हैं। परंतु जहां तक तुम इस बारे में निर्णय कर सकते हो, तुम लोग बच्चे चाहोगे या नहीं और अगर हां, तो एक, दो या कई? यह भी महत्वपूर्ण है कि उसकी रुचि नजदीकी और मजबूत पारिवारिक रिश्ते बनाने में है या उसका ज्यादा ध्यान करियर बनाने, पैसा कमाने और बड़े पद पर पहुंचने या मजा-मौज करने में है। अगर तुम उसके साथ शादी करती हो तो क्या वह अपने मां-बाप के साथ रहेगा या तुम लोगअलग रहोगे? अगर तुम्हें उसके मां-बाप के साथ रहना है तो उनके बारे में जानना भी जरूरी होगा। अक्सर घरों में कई भाई एक साथ रहते हैं। अगर तुम्हारे पति के बड़े भाई हैं तो संभावना यही है कि वे पहले से शादीशुदा होंगे। ऐसी हालत में तुम्हें अपनी भाभियों से भी सामंजस्य बिठाना होगा।

फिर, यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि उसके जीवन के लक्ष्य क्या हैं। अगर तुम चैन की जिंदगी चाहती हो और वह दुनिया को बदलना चाहता है तो तुम दोनों के जीवन की गाड़ी पटरी से उतर सकती है। यह अच्छी तरह से समझ लो कि अगर कोई व्यक्ति किन्हीं आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध है तो उसका जीवन आसान नहीं रहेगा। वह जीवनभर उन निहित स्वार्थी तत्वों से टकराता रहेगा जो उसके आदर्शों के विरोधी हैं। सुखी और शांत जीवन उसकी किस्मत में नहीं होगा।

अंत में, यह भी जरूरी है कि तुम जानो कि (कम से कम वर्तमान में) उसके क्या मूल्य हैं, क्या लक्ष्य हैं और इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वह किन साधनों का इस्तेमाल उचित या अनुचित मानता है? मेरा मतलब यह है कि अगर तुम दोनों का एक ही लक्ष्य हो (उदाहरणार्थ, आरामदायक जिंदगी बिताना) तब भी उसे पाने के साधनों के बारे में मतभेद हो सकते हैं। उदाहरणार्थ, एक व्यक्ति यह मान सकता है कि जीवन की सुख-सुविधाएं जुटाने के लिए बेईमानी करने में कोई बुराई नहीं है तो दूसरे व्यक्ति की यह मान्यता हो सकती है कि वह केवल सही रास्ते पर चलकर धन जुटाएगा।

एक और समस्या यह है कि आरामदायक जिंदगी की परिभाषा अलग-अलग हो सकती है। उदाहरणार्थ, उसकी इच्छा सबसे महंगी कार खरीदने की हो सकती है जबकि तुम शायद अच्छे फ र्नीचर और क्राकरी पर पैसे खर्च करना चाहो।

इस तरह की चीजों के बारे में लोग शायद ही कुछ बताते हैं और कबजब तो हमें इस तरह के प्रश्नों का उत्तर तब तक पता ही नहीं होता जब तक कि कोई हमसे इस बारे में पूछे ना, क्योंकि हम इन मुद्दों पर सोचते ही नहीं हैं।

अत:, तुम्हारे माता-पिता द्वारा दी गई अपूर्ण जानकारी के आधार पर, जब तुम किसी एक व्यक्ति के प्रति झुकाव महसूस करो तो यह महत्वपूर्ण है कि फोन या ई-मेल के जरिए तुम ऊपर दिए गए मुद्दों और अन्य ऐसे मसलों, जिन्हें तुम जरूरी समझती हो, के बारे में उससे बात कर लो। इसके बाद ही तुम उससे मिलने का निर्णय करो।

ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी संस्कृति में लड़के और लड़की का मिलना इस बात का संकेत समझा जाता है कि शादी लगभग तय हो गई है और
अगर मिलने के बाद किसी कारणवश रिश्ता नहीं हो पाता तो दोनों परिवारों में निराशा और कभी-कभी कटुता हो जाती है। दोनों परिवारों को यह भी लगता है कि दुनिया के सामने उनकी नाक कट गई। मुझे उम्मीद है कि मैंने जो चेकलिस्ट तुम्हें बताई है उसके आधार पर (और ईश्वर की मदद से) तुम अपने जीवन कायह सबसे महत्वपूर्ण निर्णय ले सकोगी।

दादू 

 

(फारवर्ड प्रेस के जून, 2014 अंक में प्रकाशित)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, संस्कृति  व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। द मार्जिनालाज्ड प्रकाशन, इग्नू रोड, दिल्ली से संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

दादू

''दादू'' एक भारतीय चाचा हैं, जिन्‍होंने भारत और विदेश में शैक्षणिक, व्‍यावसायिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में निवास और कार्य किया है। वे विस्‍तृत सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक मुद्दों पर आपके प्रश्‍नों का स्‍वागत करते हैं

संबंधित आलेख

प्यार आदिवासियत की खासियत, खाप पंचायत न बने आदिवासी समाज
अपने बुनियादी मूल्यों के खिलाफ जाकर आदिवासी समाज अन्य जाति, धर्म या बिरादरी में विवाह करने वाली अपनी महिलाओं के प्रति क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने...
कामकाजी महिलाओं का यौन उत्पीड़न
लेखक अरविंद जैन बता रहे हैं कि कार्यस्थलों पर कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनों में तमाम सुधारों के बावजूद पेचीदगियां कम नहीं...
सभी जातियों के नौजवान! इस छोटेपन से बचिये
हिंदी के ख्यात साहित्यकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कहते हैं कि जो आदमी अपनी जाति को अच्‍छा और दूसरी जाति काे बुरा मानता है वह...
विदेश में बसने के लिए व्यक्तित्व परिवर्तन आवश्यक
विदेश में रहने से जहां एक ओर आगे बढऩे की अपार संभावनाएं उपलब्ध होती हैं वहीं कठिन चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है।...
कभी घर से अपने जीवनसाथी से नाराज होकर मत निकलिए
जब अलग-अलग पृष्ठभूमियों के दो लोगों में विवाह होता है तब उनके बीच मतविभिन्नता और मतभेद होने स्वाभाविक हैं। जरूरत इस बात की है...