ऑल इंडिया बैकवर्ड स्टूडेंट्स फोरम (एआईबीएसएफ) ने सामाजिक न्याय की प्रगतिशील ताकतों का आह्वान करते हुए महिषासुर शहादत दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की अपील की है। एआईबीएसएफ की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि संगठन, वर्ष 2011 से देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन करता रहा है। गत् वर्ष देशभर में लगभग 60 स्थानों पर महिषासुर दिवस का आयोजन किया गया था। संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘महिषासुर शहादत दिवस, दशहरा के पांचवें दिन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष महिषासुर शहादत दिवस 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा।’
ब्राह्मणवादी ताकतों से लम्बा संघर्ष कर जेएनयू में महिषासुर शहादत दिवस मनाने वाले एआइबीएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र यादव ने इस कार्यक्रम की महत्ता बताते हुए कहा कि महिषासुर शहादत दिवस के माध्यम से हम अपने इतिहास और नायकों को जानने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि महिषासुर शहादत दिवस, ब्राह्मणवादी वर्चस्व के प्रतिरोध और दलित-बहुजन की सांस्कृतिक मुक्ति का आंदोलन है।
उन्होंने कहा कि महिषासुर इस देश के मूलनिवासियों के राजा थे। आर्य जातियों ने जब देश पर हमला किया तो महिषासुर की संगठित सेना के सामने उन्हेंं कई बार परास्त होना पड़ा। अंत में उन्होंने छलपूर्वक दुर्गा को राजा महिषासुर के महल में भेजा। दुर्गा 9 दिनों तक महिषासुर के किले में रही और उसने 10वें दिन राजा महिषासुर की छलपूर्वक हत्या कर दी।
जेएनयू, नई दिल्ली में इस वर्ष आयोजित महिषासुर शहादत दिवस कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए जितेंद्र यादव ने कहा कि इसमें छात्रों के साथ-साथ देश के प्रमुख शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और राजनेता भी शामिल होंगे। 9 अक्टूबर को आयोजित इस कार्यक्रम में सबसे पहले राजा महिषासुर की स्मृति को नमन करते हुए उनकी याद में एक मिनट का मौन रखा जाएगा। इसके बाद उपस्थित वक्ता महिषासुर और दलित-बहुजन की संस्कृति और इतिहास के संबंध में अपने-अपने विचार रखेंगे। संगठन, हत्या के जश्न के त्योहार दशहरा को प्रतिबंधित कर ने के लिए प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपेगा। यादव ने इस अवसर पर बहुजन तबकों के युवाओं से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।
(फारवर्ड प्रेस के सितम्बर 2014 अंक में प्रकाशित)
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