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फोटो फीचर : चैत्यभूमि : भारत का एक ऐसा स्मारक जहां उमड़ते हैं सर्वाधिक लोग

जब, 6 दिसंबर 1956 को डॉ भीमराव आम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिल्ली में हुआ तब तत्कालीन बंबई (अब मुम्बई) का दादर चौपाटी उनके अंतिम संस्कार के लिए चुना गया। यह भारतीय इतिहास में सरदार पटेल के अंतिम संस्कार (1956) के बाद दूसरा ऐसा अंतिम संस्कार था, जहां सर्वाधिक लोग उमड़े

जब , 6 दिसंबर 1956 को डॉ भीमराव आम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिल्ली में हुआ तब तत्कालीन बंबई (अब मुम्बई) का दादर चौपाटी उनके अंतिम संस्कार के लिए चुना गया। यह भारतीय इतिहास में सरदार पटेल के अंतिम संस्कार (1950) के बाद दूसरा ऐसा अंतिम संस्कार था, जहां सर्वाधिक लोग उमड़े। यह अब चैत्यभूमि के रूप में प्रसिद्द है। तब से हर वर्ष ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ पर डॉ अम्बेडकर को मानने वाले लाखो लोग अपनी श्रद्धा प्रकट करने यहां उमड़ते हैं. 5 दिसंबर 1971 को डा. आंबेडकर की पुत्रवधु मीरा आंबेडकर ने चैत्य भूमि को लोकार्पित किया।

6 दिसंबर 1956 को डॉ आम्बेडकर के सरकारी निवास, 26 अलीपुर रोड, नई दिल्ली, में अंतिम दर्शन के लिए आये शोकग्रस्त लोग

 

7 दिसंबर 1956 को डा. आम्बेडकर की शवयात्रा में 5 लाख से अधिक लोग उमड़े

 

6 दिसंबर 2013 को चैत्य भूमि पर डा. आंबेडकर को श्रद्धा अर्पित करते आर पी आई (अ) के नेता अठावले और अन्य

 

6 दिसम्बर 2013 को चैत्य भूमि पर उमड़ी भीड़ का एक हिस्सा

 

(फारवर्ड प्रेस के दिसम्बर 2014 अंक में प्रकाशित)


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