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आगरा के धर्मान्तरण के पीछे का सच

आगरा के देवरी रोड स्थित वेद नगर में 8 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े बजरंग दल और हिन्दू जागरण मंच ने 57 मुस्लिम परिवारों के 150 से अधिक सदस्यों का तथाकथित रूप से हिन्दू धर्म में सामूहिक धर्मान्तरण कर दिया

ताजमहल की नगरी आगरा इन दिनों सुर्खियों में है। आगरा के देवरी रोड स्थित वेद नगर में 8 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े बजरंग दल और हिन्दू जागरण मंच ने 57 मुस्लिम परिवारों के 150 से अधिक सदस्यों का तथाकथित रूप से हिन्दू धर्म में सामूहिक धर्मान्तरण कर दिया। धर्मांतरित लोग लगभग 15 वर्षों से वेद नगर इलाके की झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। शहर और उसके आसपास के इलाकों में कूड़े से बेचने लायक चीज़ें चुनकर ये लोग अपनी जिंदगी गुजर-बसर करते हैं। इनमें से अधिकतर मूल रूप से पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों के निवासी हैं।

इनके धर्मांतरण की खबर जब अगले दिन अखबारों में छपी तो इस मामले ने तूल पकड़ लिया। खबर प्रकाशित होने के पहले धर्मांतरित लोगों को खुद यह नहीं पता था कि उनका धर्म बदल दिया गया है। खबर छपने के बाद लोगों ने इसका विरोध किया और कहा कि उन्हें धोखे में रखकर, जबरन और प्रलोभन देकर उनका धर्म बदला गया है।

एक ‘धर्मान्तरित’ व्यक्ति इस्माईल का कहना है कि पिछले एक महीने से हिन्दू जागरण मंच के लोग मुस्लिम झुग्गियों में संपर्क कर उन्हें हिन्दू धर्म स्वीकारने के लिए तरह-तरह से मना रहे थे। धर्मांतरण के एक दिन पहले हिन्दू संग्ठनों के लोगों ने झुग्गी में जाकर कहा कि उनके इलाके में मतदाता पहचान पत्र कैंप लगाया जा रहा है। कैंप में उन लोगों के मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड और राशन कार्ड बनाये जायेंगे जिनके पास ये दस्तावेज नहीं हैं। उनसे यह भी कहा गया था कि उसी स्थान पर एक काली मंदिर की भी नींव भी रखी जाएगी। मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड के लालच में झुग्गी की सारी महिलाएं और पुरूष पूर्व निर्धारित स्थान पर पहुंच गए। लेकिन वहां कोई मतदाता कैंप नहीं था। वहां पर काली मंदिर की स्थापना के लिए आयोजन चल रहा था। वहां पहले से मौजूद भीड़ ने महिलाओं और पुरूषों को हवन करने के लिए कहा। हवन के पहले पुरूषों को मुस्लिम टोपी भी पहनाई गई। उस समय वे चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर सके। हवन के बाद उन लोगों के हाथ में मां काली की मूर्ति देकर और उनका टीकाकरण करते हुए फोटो खींचा गया। फोटो लेने का जब कुछ महिलाओं ने विरोध किया तो उन्हें फोटो के बदले पैसे मिलने की बात कहकर शान्त करा दिया गया।

अगले दिन जब स्थानीय अखबारों में स्वेच्छा से 200 मुसलमानों के धर्मांतरण की खबर प्रकाशित हुई तो झुग्गीवासियों के होश उड़ गए। झुग्गी की महिलाओं ने रोना-पीटना शुरू कर दिया और पुरूषों ने आक्रोश व्यक्त किया। इस्माइल ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में जबरन और धोखे में रखकर धर्मांतरण करने का केस दर्ज करवाया। यद्यपि शिकायत में हवन कार्यक्रम में उपस्थित कई लोगों के नामों का जिक्र किया गया था, लेकिन हिन्दूवादी संगठनों ने बड़ी चालाकी से खुद को बचाते हुए बजरंग दल के स्थानीय कार्यकर्ता किशोर वाल्मीकि और उसके सहयोगियों को आरोपी बना दिया।

इस मामले में बजरंग दल के जिला अध्यक्ष अज्जू चौहान धोखा और लालच देकर धर्मांतरण के आरोपों को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि ‘धर्मांतरित’ होने वाले लोगों ने हिन्दू धर्म में आस्था होने के कारण स्वेच्छा से अपना धर्म बदला है, क्योंकि उनके पूर्वज हिन्दू थे। जबकि पीडि़तो का कहना है कि हिन्दू धर्म में उनकी कोई आस्था नहीं है, वे धोखे में आकर हवन में बैठ गए और उन्हें हिन्दू बना दिया गया। एक महिला सूफिया का कहना है कि पीढिय़ों से उसके खानदान के लोग मुस्लिम हैं। उनके पूर्वजों ने कब इस्लाम स्वीकार किया था, उसे इस बात का कोई इल्म नहीं है। ऐसी ही दूसरी महिला सकीना ने कुरान की आयतें पढ़कर सुनाईं और अपने घर में कुरान होने की बात कही। उसने कहा कि वह अपना धर्म बदलना नहीं चाहती। वह राशन कार्ड के लालच में वहां गई थी। चूकि हवन में हिस्सा ले रहे अधिकतर लोग झुग्गी में रहने वाले हिन्दू दलित थे, जो उनके पड़ोसी और परिचित थे इसलिए उसने हवन में भाग ले लिया था।

मामले के तूल पकडऩे के बाद शहर के मुस्लिमों ने इसे जबरन धर्मांतरण करार देते हुए इसका विरोध किया और पुलिस से आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। आगरा के एसएसपी सुलभ माथुर के अनुसार इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया गया है और इसकी मजिस्ट्रेट जांच कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस धर्मांतरण को ‘घर वापसी’ का नाम दिया गया है। विश्व हिन्दू परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय ने कहा कि पिछले वर्ष के अंत तक देश में एक लाख ऐसे मुसलमानों और ईसाइयों का धर्मांतरण कर उनकी घर वापसी की योजना थी, जिनके पूर्वज हिन्दू थे। संगठन सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि धर्मांतरण का मामला नया नहीं है। संगठन हर साल ऐसे हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए घर वापसी के कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है। इससे पहले 2013 में भी सगठन ने उत्तर प्रदेश के बदायूं, बिजनौर, बरेली, कासगंज, शाहजहांपुर, मैनपुरी और फिरोजाबाद में हजारों ईसाई और मुस्लिम परिवारों की घर वापसी कराई थी।

धर्मांतरण पर विवाद बढऩे के बाद 11 दिसंबर से लगातर कई दिनों तक विपक्षी दलों ने इस मुददे पर संसद में हंगामा कर संसद की कार्यवाही ठप्प कर दी। प्रधानमंत्री का स्पष्टीकरण मांगा गया लेकिन सरकार ने इस पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। संसदीय कार्य मंत्री वैंकैया नायडू ने धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने की बात कही, जिसका विपक्षी दलों ने इस आधार पर विरोध किया कि धर्मांतरण पर किसी तरह का रोक नहीं होनी चाहिए। यह व्यक्ति पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वह किस धर्म को अपनाए और उसका आचरण करे।

 

(फारवर्ड प्रेस के जनवरी, 2015 अंक में प्रकाशित)


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लेखक के बारे में

ताबिश बलभद्र

मनवाधिकारकर्मी ताबिश बलभद्र फारवर्ड प्रेस समेत अनेक संस्थानों में बतौर पत्रकार काम कर चुके हैं। उन्होंने माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता व संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से पीएचडी की है

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