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भगवानदास मोरवाल की ‘नरक मसीहा’ लोकार्पित

'किसी भी कथाकार की श्रेष्ठता उसकी कथा की संरचना व दृश्य चित्रण और संवाद प्रेषण में उसकी पटुता पर निर्भर करती है। ये तीनों ही विशेषताएं भगवानदास मोरवाल के उपन्यास 'नरक मसीहा' में हैं

पटना : ‘किसी भी कथाकार की श्रेष्ठता उसकी कथा की संरचना व दृश्य चित्रण और संवाद प्रेषण में उसकी पटुता पर निर्भर करती है। ये तीनों ही विशेषताएं भगवानदास मोरवाल के उपन्यास ‘नरक मसीहा’ में हैं। मोरवाल की कलम में बहुत ताकत है, बहुत शहजोर कलम है इनकी।’उक्त बातें हिंदी के प्रख्यात काव्यालोचक नंदकिशोर नवल ने पटना पुस्तक मेले में मोरवाल के नए उपन्यास ‘नरक मसीहा’ के लोकार्पण समारोह में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कही। मेले के मुख्य मंच से 14 नवम्बर को अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता, नंदकिशोर नवल व उषाकिरण खान ने संयुक्त रूप से इस पुस्तक का लोकार्पण किया। सांस्कृतिक संगठन ‘बागडोर’ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अवधेश प्रीत, विनोद अनुपम, पूनम सिन्हा, फिरोज मंसूरी, पुष्पराज, जयप्रकाश, विनीत, अनीश अंकुर आदि लेखक-संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे।

 

(फारवर्ड प्रेस के जनवरी, 2015 अंक में प्रकाशित)


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लेखक के बारे में

अरुण नारायण

हिंदी आलोचक अरुण नारायण ने बिहार की आधुनिक पत्रकारिता पर शोध किया है। इनकी प्रकाशित कृतियों में 'नेपथ्य के नायक' (संपादन, प्रकाशक प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, रांची) है।

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