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अब राम की जगह गंगा का नाम जप रही है भाजपा

भाजपा नीत एनडीए अगर आज सत्ता में है तो इसका कारण हिन्दुओं और मुसलमानों की आपसी फूट है। भाजपा का तो एजेंडा ही यही है। राम मन्दिर के नाम पर सरकार बनाने के बाद अब वह गंगा के नाम का इस्तेमाल अपने चुनावी फायदे के लिये कर रही है

बसपा की मुखिया मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके ओएसडी रहे गंगाराम आम्बेडकर अब पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गये हैं। लखनऊ जिले की मलिहाबाद सीट से पार्टी ने उन्हें 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। गंगाराम के आग्रह पर मायावती ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के अन्तर्गत उनके निर्वाचनक्षेत्र के ‘मालगांव’ को गोद लिया है। गंगाराम आम्बेडकर से फारवर्ड प्रेस के संवाददाता अंकित पाल ‘बंजारा’ ने बात की।

आप राजनीति में कैसे आये?

फरवरी 1989 में उत्तरप्रदेश के जहानाबाद में बसपा संस्थापक कांशीराम साहब की एक नुक्कड़ सभा थी। मैं उस समय आठवीं का छात्र था। मैं भी वहां पहुंचा। उन्होंने कहा कि अपने वोट की हिफाजत अपनी मां, बहन, बेटी की तरह करो। इसे गलत लोगों के हवाले मत करो। यह सुनने के बाद मेरे अन्दर हलचल पैदा हुई और मैं बसपा का सदस्य बन गया। मैं ट्रैक्टर ट्राली से सभाओं में जाता और बसपा के कार्यक्रमों में जमकर भाग लेता।

आप बसपा का युवा चेहरा हैं। अन्य पार्टियों में नेतृत्व की नई पीढ़़ी तैयार हो रही है, क्या बसपा में भी नये चेहरों को अपेक्षित मौके मिल रहे हैं?

बसपा तीस साल की जवान पार्टी है। हमारी पार्टी के अस्सी फीसदी से ज्यादा कार्यकर्ता युवा हैं। अभी बहन जी ने आदेश दिया है कि प्रत्येक सेक्टर में दस सदस्य 18 से 25 साल के और दस सदस्य 25 से 35 साल के होने चाहिये।

अन्य पार्टियों के युवा और बसपा के युवा में क्या फर्क है?

दूसरी पार्टियाँ हमारे समाज के युवकों को प्रलोभन देतीं हैं। बसपा में युवकों को उनके इतिहास की सही जानकारी देकर उनका भविष्य गढ़ा जाता है

2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण से कैसे निपटेगी

आजादी के बाद से अब तक इस देश के लोगों को गुमराह किया गया है। कांग्रेस ने तो दशकों पहले गरीबी हटाओ का नारा दिया था परन्तु हमारे समाज में अब भी गरीबी है। भाजपा नीत एनडीए अगर आज सत्ता में है तो इसका कारण हिन्दुओं और मुसलमानों की आपसी फूट है। भाजपा का तो एजेंडा ही यही है। राम मन्दिर के नाम पर सरकार बनाने के बाद अब वह गंगा के नाम का इस्तेमाल अपने चुनावी फायदे के लिये कर रही है।

कांशीराम ने बसपा को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में वर्तमान पीढ़ी को सौंपा था। आज बसपा फिर से शून्य पर लौट आयी है। क्या कारण है?

पहले बसपा के मुकाबले में कई पार्टियां होती थीं। सन 2007 के चुनाव में हमारी पार्टी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनने के बाद सारी विरोधी पार्टियां एकजुट हो गईं और आपस में परिस्थितियों के आधार पर अपने वोट बैंक को ट्रांसफर किया। सन् 2009 के लोकसभा चुनावों से लेकर आज तक यही हो रहा है। सपा, भाजपा और कांग्रेस में से जिसके भी उमीदवार के जीतने की सम्भावना होती है, बाकी पार्टियां उसे अपना वोट ट्रांसफर कर देतीं हैं। बसपा का रास्ता रोकने के लिये सारी पार्टियां इक_ा होती हैं लेकिन हम उनका डटकर मुकाबला करेंगे।

 

(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2015 अंक में प्रकाशित)


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लेखक के बारे में

अंकित पाल 'बंजारा'

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