प्रथम नमो चार्वाक,द्वितीय बुद्धम शरणम,
तृतीय अम्बेडकर नमो, लोहिया स्वामी नायकरम।
चतुर्थ ज्योति राव फूले विद्यादेही स्त्रियम,
पंचम नमों नमो जगदेव लालू यादवम।
यह नमन एवं समर्पण आरएल चन्द्रबोस का है, जिन्हें झारखण्ड के धनबाद जिले में नास्तिक बाबा के नाम से जाना जाता है। चंद्रबोस, “भारत नास्तिक महासमाज”, झारखंड के अध्यक्ष हैं तथा इनकी पत्नी रंगनायिका बोस “अखिल भारतीय शोषित महिला समाज”, झारखंड की संस्थापिका हैं। नास्तिक बाबा ने ब्राह्मणवाद के खिलाफ कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें ’सुधार नहीं क्रांति (पांच भागों में)’, ’कलियुग का रावण’, ‘सम्पूर्ण क्रांति बनाम मनुस्मृति’, ‘रामायण क्यों जलाई जाए’, ‘नास्तिक–सिस्टर संवाद’ एवं ‘नारी, नास्तिक, शूद्र को समर्पित कविता’ प्रमुख हैं। अपनी किताबों के माध्यम से उन्होंने समाज के पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों को भाग्य और भगवान के चक्कर में नहीं पड़ने की सीख दी है।
बोस दम्पत्ति अर्जक संघ के सक्रिय नेता रहे हैं। समाज में व्यवस्था परिवर्तन के लिए पाखंड मिटाओ सम्मेलन करना एवं अर्जक पद्धति से शादियाँ कराना इनकी प्रमुख गतिविधियाँ हैं. बोस दंपत्ति लोगों को बताते हैं कि नास्तिकता के पाँच निषेध हैं – ब्राह्मणवाद, पुनर्जन्म, भाग्य, धर्म और जाति विशेष। पति-पत्नी काले वस्त्र पहनते हैं और दूर से ही इन्हें पहचाना जा सकता है। जिले में कई बार अर्जक संघ के सम्मेलन हुए जिसमें इनकी प्रमुख भूमिका रही है। उन सम्मेलनों को चौधरी महाराज सिंह भारती, रामस्वरुप वर्मा, सूरज सिंह भोजपुरिया, मोतीराम शास्त्री, राम अवधेश सिंह, प्रो जयराम प्रसाद जैसे बहुजन समाज के कई नायकों ने संबोधित किया।
नास्तिक बाबा एमएससी व एलएलबी हैं तथा भारत सरकार के दूरसंचार विभाग से सेवनिवृत्त हुए हैं। वे मूल रुप से बिहार के ग्राम उमैराबाद, जिला अरवल के रहने वाले हैं।
फारवर्ड प्रेस के अगस्त, 2015 अंक में प्रकाशित