सामाजिक बहिष्कार ख़त्म कर भगाणा गाँव के दलितों के पुनर्वास की मांग कर रहे लगभग 100 दलित परिवारों के लोगों ने अपनी कोई सुनवाई न होने से निराश होकर अपना धर्म छोड़कर इस्लाम क़ुबूल कर लेने का दावा किया है। पिछले चार साल से हरियाणा के हिसार जिले के भगाणा गाँव के कई दलित और ओबीसी परिवारों के लोग, अपने उत्पीडऩ के खिलाफ नई दिल्ली के जंतर-मंतर और हिसार के मिनी सचिवालय में धरना पर बैठे हैं।
भगाना में 21 मई 2012 को दलितों का दबंगों से विवाद हुआ था। इसके बाद दबंगों ने उनका बहिष्कार कर दिया था। दबंगों ने गांव के खेल मैदान में दलित परिवारों के बच्चों को नहीं खेलने देने का फरमान भी सुना दिया और गांव के लाल डोरे के चौक व दलितों के घरों के आगे दीवार बना दी थी।
इस्लाम क़ुबूल करने के एक दिन पहले धरने पर बैठे लोगों का एक प्रतिनधिमंडल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से मिला था। भगाना कांड संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजेंद्र बगोडिय़ा ने कहा कि ‘हमने यह निर्णय इसलिए लिया कि हमारी कोई नहीं सुन रहा था। हम ऊंची जातियों के उत्पीडऩ के शिकार थे और न्याय की हमारी मांग को नजऱंदाज़ किया जा रहा था। इसलिए हम इस्लाम धर्म स्वीकार करने को विवश हुए हैं’।
सतीश काजला (धर्मपरिवर्तन के बाद अब्दुल कलाम) ने बताया कि वे हरियाणा के गाँवों में दलितों को इस्लाम क़ुबूल करने के लिए समझाने की मुहीम छेड़ेंगे। इसी बीच, 9 अगस्त की देर रात दिल्ली पुलिस ने धरने पर बैठे नव-धर्मान्तरित दलितों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गये। अचानक हुए इस घटनाक्रम से जिले व गांव में हड़कंप मच गया। गांव व आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
फारवर्ड प्रेस के सितंबर, 2015 अंक में प्रकाशित