वर्ष 2014-15 के बजट से स्कूलों और विश्वविद्यालयों के अधिकांश दलित-बहुजनों की पहुँच से दूर हो जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है । बजट में जहाँ छात्रवृत्तियों की संख्या घटाई गयी है, वहीं सर्वशिक्षा अभियान और मध्यान्ह भोजन योजना के लिए आवंटन कम किया गया है । दूसरी ओर भूमि अधिग्रहण विधेयक 2015 के जरिये बिल्डरों और खनन कंपनियों को दलित-बहुजनों को उनके जीविकोपार्जन के साधनों से वंचित करने की खुली छूट देने की तैयारी है। नरेन्द्र मोदी सरकार के इन वर्गों को समाज की हाशिये पर खिसकाए जाने के प्रयासों के विरुद्ध दलित-बहुजन पिछले माह सड़क पर उतर आये।
(फारवर्ड प्रेस के अप्रैल, 2015 अंक में प्रकाशित )
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