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क्रिकेट एक हिन्दू विरोधी खेल

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की केन्द्र सरकार से मामले की गंभीरता- संवेदनशीलता को देखते हुये अपील है कि देशभर में गाय के चमड़े से बनने वाले क्रिकेट बॉल को खोजवाकर जब्त करे, साथ ही इस हिंदू विरोधी खेल के भारत में खेले जाने पर रोक लगाकर धर्मनिरपेक्ष होने का सबूत दे

Cow and cricket_Forward Pressएक बहुत ही गंभीर बात है। 1857 में गाय की चर्बी कारतूस में होने के चलते अंग्रेजों की फौज में जीवन- यापन के लिये काम करने वाले सैनिकों ने  हथियार डाल दिये थे और लड़ने से इन्कार कर दिया था। इस धार्मिक आपत्ति को अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करार देकर भारत का प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन घोषित कर दिया गया था। जैसे कारतूस में गाय की चर्बी की बात लोगों को पता नहीं थी उसी तरह अबतक आमलोगों को यह पता नहीं है कि क्रिकेट का सबसे उत्कृष्ट व बेहतरीन चिकनाईवाला बॉल गाय के ही चमड़े से बनता है। वैसे कुछ दिन पहले वैज्ञानिकों ने भी यह खोज निकाला है कि सभी जानवरों में सिर्फ गाय के पेशाब में ही सोना होता है। कारतूस में गाय की चर्बी होने से धर्म भ्रष्ट हो सकता है तो क्रिकेट बॉल में गाय का चमड़ा होने से क्या यह नहीं होगा?

अगर उपर्युक्त सवाल सही है तो यह तथाकथित हिंदू धर्म और उसके मानने वाले लोगों को भ्रष्ट करने की अंतरराष्ट्रीय  साजिश है कि इसे  विदेशी खेल ‘क्रिकेट’ बना कर हर गली- मुहल्ले व घर-परिवार में घुंसा दिया गया है। देश के सभी हिंदू क्रिकेट खिलाड़ियों से और जिस किसी हिंदू ने जीवन में कभी भी क्रिकेट बॉल छुआ है, उन सभी से सख्त अपील है कि गंगा स्नान कर अपना-अपना शुद्धिकरण हरिद्वार या संगम तट पर करायें। जो क्रिकेट खेलते हुये मर गये उनकी अशुद्ध आत्मा को ‘गया (बिहार)’ में अर्पण-तर्पण कराकर मुक्ति दिलायें, नहीं तो फिर वे भूत बनकर भटकते रहेंगे। यह सब रहस्योदघाटन होने के बाद सभी हिंदू मान्यता वालों को क्रिकेट का खुलकर बहिष्कार करना चाहिये। यही नहीं हिन्दू  धर्म मानने वालों को शपथ लेनी चाहिये कि क्रिकेट बॉल छुना तो दूर, जीवन में कभी क्रिकेट नहीं खेलेंगे।

कितनी बुरी व तकलीफ की बात है कि वो गाय जिसे सभी हिंदू अपनी माता मानते हैं, उसके मरने के बाद मृत शरीर का चमड़ा छीलकर-निकालकर क्रिकेट का बॉल बनता है। एक बॉलर उसे जोर से पटककर बॉलिंग करता है और बैट्समैन कितनी बेदर्दी से शॉट मारता है। इसी चौके-छक्के वाले शॉट पर सभी ताली बजाते हैं, इनमें हिंदू भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। इस गाय समर्थक एवं क्रिकेट विरोधी विचार पर गैर हिंदुओं को आपत्ति हो सकती है तो अन्यथा न लें, संविधान में दिये गये धार्मिक मान्यता की स्वतंत्रता के लिहाज से क्रिकेट खेल सकते हैं।

अभी हाल ही में भारत की पर्यावरण नीति से संबंधित एक ड्राफ्ट के बारे में पता चला कि वह अमेरिकी पर्यावरण नीति का ही हूबहू नकल किया गया है, वह भी बिना रेफरेंस नोट या आभार व्यक्त किये। यह खबर पूरी सोशल मीडिया पर छाई हुई है। जिन महानुभाव प्रकाश जावडेकर के मंत्रालय के अंतर्गत यह कॉपी-पेस्ट पॉलिसी ड्राफ्ट हुई वे  अब मानव संसाधन मंत्री बन चुके हैं। वैसे भी भारत की शिक्षा नीति, आर्थिक नीति, विदेश नीति तो अमेरिका के ही रास्ते पर, उसके ही आदेश-निर्देश का पालन करते हुये चलती है तो क्यों नहीं भारत की खेल नीति भी अमेरिका के हिसाब से कॉपी-पेस्ट कर बनाई जाती है, जिसमें क्रिकेट जैसे घटिया खेल के लिये कोई जगह नहीं है। वैसे भी क्रिकेट ब्रिटिश साम्राज्यवाद का प्रतीक खेल माना जाता है, जिसमें गाहे-बगाहे आतंकियों के भी पैसे लगे होने की बात कई बार खबरों की सुर्खियाँ भी बनती रही हैं।

क्रिकेट के बॉल का दाम पिछले एक साल में दुगना हो गया है यानि 400 रूपये से बढ़कर 800 रूपये हो गया है। क्रिकेट बॉल बनाने के लिये आमतौर पर गाय के चमड़े का इस्तेमाल होता आया है लेकिन केन्द्र में बीजेपी सरकार आने के बाद राजनीतिक कारणों से उत्तर प्रदेश में cricket as religionगौमांस पर रोक लगा दी गई है। हालांकि भारत के कई राज्यों केरल, पश्चिम बंगाल, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में गाय का वध वैध/मान्य है। लेकिन बदले राजनीतिक माहौल के चलते गौमांस व चमड़े की खरीद- बिक्री व परिवहन एक चुनौतिपूर्ण खतरनाक काम हो गया है, जिसपर अखलाक का साया पड़ गया है। इन्हीं सब कारणों से उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित वो खेल कारखाने, जो क्रिकेट बॉल बनाते हैं संकटकाल से गुजर रहे हैं। लेकिन जब हिंदू धर्म पर ही संकट माना जा रहा हो तो व्यापार-उद्योग को कौन पूछे, इन धंधों पर निर्भर लोग कोई दूसरा जीवन- यापन का रास्ता तलाश सकते हैं।

सरकार और सरकार की आड़ में हिन्दूवाद-राष्ट्रवाद की ठेकेदारी करने वाले लोगों ने गौहत्या, गौमांस की बिक्री व गाय के चमड़े- अवशेषों आदि के परिवहन को लेकर सख्ती का माहौल बना रखा है। देश में कई घटनायें घट चुकी हैं, जिनमें कट्टर हिन्दूवादी संगठन के लोगों ने गायों की तस्करी, गौमांस पकाने आदि शक के आधार पर कई लोगों को नृशंस हत्या भी कर दी है। इन सब कारणों से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की केन्द्र सरकार से मामले की गंभीरता-संवेदनशीलता को देखते हुये अपील है कि देशभर में गाय के चमड़े से बनने वाले क्रिकेट बॉल को खोजवाकर जब्त करे, साथ ही इस हिंदू विरोधी खेल के भारत में खेले जाने पर रोक लगाकर धर्मनिरपेक्ष होने का सबूत दे।

लेखक के बारे में

निखिल आनंद

निखिल आनंद एक ओबीसी-सबल्टर्न पत्रकार एवं सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, आईआईएमसी जैसे संस्थानोंमें पढ़ाई करते हुये निखिल ने मीडिया एवं विदेश नीति से जुड़े विषय पर एम.फिल किया और पीएचडी के लिए शोधरत हैं । 1999 से सीएसडीएस, राष्ट्रीय सहारा, ईटीवी, सहारा समय, ज़ी न्यूज, इंडिया न्यूज, मौर्या टीवी जैसे संस्थान में रिसर्चर/रिसर्च सुपरवाइजर, ट्रेनी जर्नलिस्ट, कॉपी एडीटर, संवाददाता, सीनियर प्रोड्यूसर, पॉलिटिकल एडिटर, ब्यूरो चीफ के तौर पर दिल्ली, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में नौकरी की।

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