h n

दिल्ली में जुटे रामस्वरुप वर्मा के लोग

पिछले 14-15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर अर्जक संघ और शोषित समाज दल के लोगों ने दो दिल्ली के जंतर-मंतर पर अलग-अलग धरना दिया। एक दूसरे के पूरक इन सगठनों की स्थापना क्रमशः एक जून 1968 , और 7 अगस्त 1972 को हुई थी। अर्जक संघ की स्थापना रामस्वरुप वर्मा ने की थी और शोषित समाज दल की स्थापना रामस्वरूप वर्मा जगदेव प्रसाद और ने एक साथ की थी

14 नवंबर को शोषित समाज दल ने राष्ट्रपति से 5 सूत्री मांगें रखीं

दिल्ली के जंतर-मंतर पर शोषित समाज दल की ओर से शहीद बिरसा मुंडा की जयन्ती, 14 नवंबर के अवसर पर धरना दिया गया और दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्म, अन्याय का कड़ा विरोध किया गया। धरना में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि राज्यों से भारी संख्या में किसानों, मजदूरों, छात्रों और महिलाओं ने भाग लिया।

unnamed-1-1
अर्जक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस आर सिंह और शोषित समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनी राम शास्त्री

एक प्रतिनिधि मंडल ने दसवीं तक शिक्षा अनिवार्य, एक समान, मानववादी, राष्ट्रीयकृत और सारी शिक्षा मुफ्त करने, दलित प्रतिनिधियों का चुनाव दलित मतदाताओं द्वारा कराने और दलितों की नियुक्ति में दलित पदाधिकारियों द्वारा साक्षात्कार लेने, जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण लागू करने, पुस्तकालयों में डाक्टर आंबेडकर साहित्य लागू करने, खेती और मिल से उपजे सामान की कीमत में समानुपात कायम करने और खेतों में सिंचाई के लिए भरपूर पानी देने जैसी पाँच सूत्री माँगों का ज्ञापन-पत्र राष्ट्रपति के नाम समर्पित किया। धरना में विशेष रूप से गुजरात के उना दलित उत्पीड़न के खिलाफ लोगों ने अपने उदगार व्यक्त किये।

सर्वप्रथम दल के तमाम शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके सपने को साकार करने का संकल्प लिया गया। रामविलास प्रसाद, राज्यमंत्री, बिहार ने अतिथियों को माला पहनाकर उनका स्वागत किया। विशाल धरना का स्वागत ई. दीपनिहारिका कुशवाहा (दिल्ली) ने किया और समतामूलक समाज बनाकर मानववाद की स्थापना की अपील की ।

अध्यक्षता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रसिद्द आंबेडकरवादी साहित्यकार रघुनीराम शास्स्त्री ने की और जबकि उद्घाटन अर्जक साप्ताहिक के संपादक रामबाबू कन्नौजिया ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मानववादी विचारक लक्ष्मण चौधरी और अर्जक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. सिंह ने धरना को संबोधित किया।

धरने को मुख्य रूप से सर्वश्री कुंवर लाल सचान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, श्रीमती उषा शरण, राष्ट्रीय मंत्री, विश्वनाथ साह, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सहित प्रो. बैजनाथ पाल, डा.  भूप सिंह सावरवास, जगदीश चौधरी, अरुण कुमार गुप्ता, राम प्रसाद सिंह, रामप्रवेश सिंह यादव, बृजनन्दन सिंह, गुपुत सिंह, रामदुलार मौर्य, डा. सेवाराम पटेल, डा.  राम उदय शर्मा, उमेश पटेल, राधेश्याम, शिवदास, मथुरा प्रसाद अकेला, टेंगर पासवान, राजेन्द्र प्रसाद सिंह अधिवक्ता, पूनम देवी, उर्मिला भारती सहित दर्जनों नेताओं ने संबोधित किया।

वक्ताओं ने पूँजीवाद, सामंतवाद, सम्प्रदायवाद और वंशवाद की राजनीति को समाप्त करके समतामूलक समाजवाद की स्थापना पर बल दिया। इस अवसर पर भाजपा सरकार पर कारपोरेट घरानों को प्रोत्साहित करने और आरएसएस के एजेण्डे को लागू करने का आरोप लगाया गया। धरने का समापन राष्ट्रीय महामंत्री रामचन्द्र वर्मा ने किया। पूर्व जज आद्याशरण चौधरी, धरना के संयोजक ने धन्यवाद ज्ञापित किया। रामलखन अर्जक, संत भिखारी, मंडल जी, रामकुमार वर्मा ने क्रांतिकारी गीत पेश किया ।

उद्घाटनकर्ता रामबाबू कन्नौजिया ने धरना की मांगों का पुरजोर समर्थन किया और कहा कि ‘शिक्षा मे मूलभूत बदलाव करके ही राष्ट्र को मजबूत बनाया जा सकता है’ उन्होंने समान शिक्षा पर जोर दिया और तमाम कर्मचारियों, पदाधिकारियों, मंत्रियों के लड़के-लड़कियों को सरकारी स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘शोषित समाज दल को मजबूती प्रदान करके ही अर्जक संघ के उद्देश्यों को पूरा किया जा सकता है।’

मुख्य अतिथि व अर्जक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. सिंह ने कहा कि देश में अकेला दल शोषित समाज दल है, जो अर्जक संघ की नीतियों को मूल रूप में स्वीकार कर साम्प्रदायिकता का पुरजोर विरोध कर रहा है। उन्होंने सपा, बसपा की तानाशाही, और वंशवाद से देश को सावधन रहने की अपील की।

शोषित समाज दल के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मण चौधरी ने किसानों की समस्या पर प्रकाश डाला और बताया कि ‘दुनिया के किसी देश में खाद, बीज, बिजली, कीटनाशक दवा आदि पर कोई टैक्स नहीं लगता है। परन्तु भारत में कृषि संसाधनों पर बेतहाशा टैक्स लादकर सरकार किसानों की कमर तोड़ रही है, जिसका दुष्परिणाम है कि लाखों किसान खुदकुशी करने को मजबूर हैं।’ उन्होंने खेती और कारखाने से उपजे सामान की कीमत में समानुपात कायम करने पर बल दिया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. रघुनीराम शास्त्री ने देश में दलितों पर बढ़ते जुल्म-अन्याय का प्रतिकार किया और कहा कि ‘देश के किसी भी राजनीतिक दलों के पास दलित उत्पीड़न की समस्या का समाधान और राष्ट्र का नव-निर्माण का विकल्प नहीं है। ये सारे दल दलितों के वोट तो लेते हैं, पर उनके हक-हकूक तथा स्वावलंबन और स्वाभिमान का कार्यक्रम पेश नहीं करते।’ श्री शास्त्री ने चुनौती देते हुए कहा कि ‘देश में एकमात्र शोषित समाज दल ही है, जो लिखित रूप में नीति, सिद्धांत और कार्यक्रम पेश करके दलितों की समस्याओं का समाधन और नव-निर्माण करना चाहता है।’

उन्होंने कहा कि ‘देश के सारे पुस्तकालयों में डा. आंबेडकर साहित्य लागू करने, दलित प्रतिनिधियों का चुनाव दलित मतदाताओं द्वारा कराने, दलितों की नियुक्ति में दलित पदाधिकारियों द्वारा साक्षात्कार कराने से ही दलितों पर से उत्पीड़न समाप्त किया जा सकता है, जिसकी लड़ाई शोषित समाज दल अपने स्थापना काल (1972) से लड़ रहा है।’ उन्होंने तमाम दलित भूमिहीनों को इन्सानी बस्ती में बसाकर निरादर और दरिद्रता का नाश करने का कार्यक्रम पेश किया तथा जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण लागू करने की पुरजोर मांग की।

15 नवंबर को अर्जक संघ ने रखी शिक्षा से संबंधित मांगें

दूसरे दिन 15 नवंबर जंतर-मंतर पर अर्जक संघ ने धरना दिया और राष्ट्पति को मांग-पत्र सपर्पित किया। इसके पूर्व राज्यों व जिला मुख्यालयों पर भी अर्जक संघ के द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया था।

अर्जक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और चार्टर्ड एकांउंटेंट एस.आर.सिंह की अध्यक्षता में आयोजित धरना का उदघाटन करते हुए सांस्कृतिक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनाथ सिंह यादव ने कहा कि ‘पुनर्जन्म,भाग्यवाद, जाति-पांति छुआछूत और चमत्कार पर आधारित शिक्षा से देश और समाज का कभी भला नहीं हो सकता।  इसलिए अर्जक संघ ने इसके खिलाफ अपना स्थापना काल जून 1968 से ही आंदोलन छेड़ रखा है। ’

unnamed-10
अर्जक संघ बिहार के अध्यक्ष अरूण गुप्ता अर्जक संघ के धरना को संबोधित करते हुए

मुख्य वक्ता की हैसियत से शोषित समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष औऱ आंबेडकरवादी पत्रकार रघुनीराम शास्त्री ने कहा कि ‘वर्तमान सरकार वेद मंत्र,ज्योतिष विद्या, गीता और रामायण का पाठ पढाकर देश के लोगों को अंधविश्वास और शोषण के चक्कर में घसीटना चाहती है, जिससे समाज का कभी भला नहीं हो सकता, इसलिए अर्जक संघ चाहता है कि वैज्ञानिक सोच पैदा करने वाली शिक्षा दी जाए,राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने वाली शिक्षा, एक समान और सारी शिक्षा मुफ्त करने के लिए अर्जक संघ आंदोलन करता रहा है जिसे शोषित समाज दल ने भी अपने आंदोलन का हिस्सा बना लिया है।’

विशिष्ट अतिथि और शोषित समाज दल के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मण चौधरी ने कहा कि ‘अर्जक संघ ने जो शिक्षा संबंधी आंदोलन को शुरू किया है इसे सभी मानववादियों, समाजवादियों को समर्थन देना चाहिए। क्योंकि अर्जक संघ की शिक्षा नीति से ही देश और समाज का सर्वांगीण विकास हो सकेगा।’

अर्जक साप्ताहिक के संपादक रामबाबू कनौजिया ने शिक्षा संबंधी मांगो पर विस्तार से चर्चा करते हुए सरकार से इसे तुरंत अमल में लाने की मांग की। सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुमार पथिक ने कहा कि अर्जक संघ के संस्थापक महामना रामस्वरूप वर्मा कहा करते थे कि यदि सरकार अर्जक संघ की शिक्षा संबंधी मांगों को मानकर अमल में ले आए तो देश में अपराध,अशिक्षा, अंधविश्वास,बेरोजगारी, आतंकवाद,नक्सलवाद आदि समस्याएं खुद कम हो जाएंगी, जिससे भारत में जेलों में भी कमी आएगी। श्री पथिक ने कहा कि अर्जक शिक्षा पद्धति से समाज में व्याप्त अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियां समाप्त हो जाएंगी और मानववाद का रास्ता खुल जाएगा।’

शोषित समाज दल के राष्ट्रीय मंत्री उषा शरण ने कहा कि ‘टीवी चैनलों से अंधविश्वास बढानेवाले सिरियलों, कार्यक्रमों को तुरंत बंद करके वैज्ञानिक संच पर आधारित कार्यक्रम प्रसारित करना चाहिए।’

धरना को अन्य अर्जकों के अलावा अद्य शरण चौधरी(अवकाश प्राप्त जज), बिहार अध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता,राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष-शिवनंदन प्रभाकर, सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, राम प्रसाद सिंह,राजगृहि भगत,  उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष- रामजी वर्मा, विजय पाल,रविन्द्र कटियार,चंद्रबली पटेल,उमेश चंद्र पटेल,अरविन्द यादव, हरियाणा के भूप सिंह सारवाल, झारखंड के डीडी राम, रामसागर दास, , सीडी रजक,ब्रज किशोर सिंह ,अशोक शर्मा, राम उदय शर्मा, उमेश पटेल,ललिता कुमारी, पुनम कुमारी आदि दर्जनों अर्जकों एवं मानववादियों ने अर्जक संघ की शिक्षा संबंधी मांगों को अमल में लाने की मांग की।

संघ के राष्ट्रीय महामंत्री सिया राम महतो ने तमाम आगत अर्जकों, अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए धरना को सफल बनाने पर आभार प्रकट किया।

धरना में बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ,दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों से हजारों अर्जक प्रतिनिधि भाग लेने यहां आए थे। धरना के उपरांत एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को संबोधित एक मांग-पत्र भी समर्पित किया गया-

1- शिक्षा का उद्देश्य राष्ट्रीय स्वाभिमान और एकता कायम करना हो।

2- संपूर्ण शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए संविधान में संशोधन करके शिक्षा को केन्द्रीय विषय बनाया जाए,ताकि संपूर्ण देश की एकता और अखंडता के लिए एक सी राष्ट्रीय शिक्षा दी जा सके।

3- सारी शिक्षा निशुल्क,मानववादी, राष्ट्रीयकृत हो,तथा दसवी तक शिक्षा अनिवार्य हो।

4- प्राथमिक शिक्षा में केवल पांच विषय-राष्ट्रीयता, नागरिकता,गणित, भूगोल और वैज्ञानिक उपलब्धियां ही पढ़ाई जाए,और किसी भी स्तर के पाठ्यक्रम में ब्राह्मणवाद के पांचांग-पुनर्जन्म, भाग्यवाद, जाति पाति, छुआछूत और चमत्कार शामिल नहीं हो।

5- दसवीं के बाद शिक्षा के दो भाग किए जाएं, पहला, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और दूसरा- माध्यमिक और उच्च शिक्षा।

6- सभी स्तर की शिक्षा में मानव मानव की बराबरी का मानवीय सिद्धांत प्रतिपादित रहे और स्कूलों में परस्पर समता का व्यवहार व आचरण करना अनिवार्य हो।

7- तकनीकी, व्यावसायिक और विज्ञान की शिक्षा के स्कूल जरूरत भर पर्याप्त संख्या में खोले जांए, ताकि हर शिक्षार्थी मन-पसंद रोजगार-परक शिक्षा प्राप्त कर स्वाबलंबी बन सकें।

8- शिक्षा में किसी भी व्यक्ति, सामाजिक या धार्मिक संस्था का प्रवेश एवं हस्तक्षेप पूरी तरह निषिद्ध रहे।

9- शिक्षा का बजट, रक्षा के बजट के बराबर किया जाए।


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

उपेन्द्र पथिक

सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार उपेंद्र पथिक अर्जक संघ की सांस्कृतिक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। वे बतौर पत्रकार आठवें और नौवें दशक में नवभारत टाइम्स और प्रभात खबर से संबद्ध रहे तथा वर्तमान में सामाजिक मुद्दों पर आधारित मानववादी लेखन में सक्रिय हैं

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...