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एम्बुलेंस के लिए तडपती रह जाती हैं महादलित महिलाएं

सडक नहीं होने से एक अजीब समस्या शादी–विवाह के समय होती है। बडे अरमान से बारात सजाने के बाद घर से निकलते समय एक अदद सड़क नहीं होने का मलाल गांव में शादी योग्य हो गये सभी नवयुवकों को है। मोतीहारी से वीरेंद्र कुमार गुप्ता की रिपोर्ट :

मोतीहारी (बिहार) : जहां बिहार सरकार महादलित परिवारों के विकास के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही है वहीं सूबे के पूर्वी चम्पारण जिले का एक ऐसी महादलित बस्ती है, जहां के लोगों को आने-जाने के लिए रास्ता तक नसीब नहीं है। जिला के सुगौली प्रखंड के द.श्रीपुर पंचायत के भटवलिया कोलनी स्थित महादलित परिवार विभिन्न मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं।

गाँव से निकलती कच्ची पगडंडी

यहां के लोगों ने इसके लिए हर स्तर पर मांग उठाई है, लेकिन नेताओं के आश्वासन से खुद को ठगी का शिकार मान कर अब वे निराश होकर बैठ गए हैं। कई दशक से यहां रहकर गुजर बसर कर रहे महादलित परिवारों के सामने सड़क की समस्या यथावत है। यहां रह रहे करीब सौ घर के लोगों को अपने टोला से बाहर जाने के लिए एक-डेढ किलोमीटर पैदल चलना पडता है, तब जाकर उन्हें सडक नसीब होती है। सडक नहीं होने से एक अजीब समस्या शादी–विवाह के समय होती है। यहां दूल्हे अपने दरवाजे से चारपहिया वाहन से नहीं निकल पाते। सबसे बड़ी समस्या तब बन जाती, जब शादी के बाद नई-नवेली दुल्हन ससुराल आती है, तो कुछ दूरी पर ही सवारी से उतरकर उसे पैदल आना पडता है। बड़े अरमान से बारात सजाने के बाद घर से निकलते समय एक अदद सड़क नहीं होने का मलाल गांव में शादी योग्य हो गये सभी नवयुवकों को बहुत चोट पहुंचाता है।

महादलित समुदाय के लोग

वहीं किसी की तबियत खराब हो जाए तो फिर क्या पूछना! चारपहिया वाहन से वहां से मरीजों को नहीं ले जाया जा सकता। उन्हें छपवा कोबेया मुख्य मार्ग से एक किमी का सफर पैदल करना पड़ता या फिर साइकिल पर सवार होना पडता है। इस स्थिति में मरीजों की हालत और बिगड़ जाती है। कई दफे महिलाओं को भारी परेशानी झेलनी पड़ी है। प्रसव पीड़ा के दौरान अस्पताल जाने की स्थिति होने जाने पर स्थिति और बुरी हो जाती है। स्थानीय चिकित्सक सड़क के अभाव में यह आना नहीं चाहते।

महादलित समुदाय की स्त्रियाँ

गांव की महिला गजमति देवी ने बताया कि प्रसव पीड़ा के दौरान तड़पती महिलाओं को टांग कर काफी दूर तक ले जाना पडता है, उसके बाद उसे गाड़ी नसीब होती है। यहां कोई एम्बुलेंस भी आने को तैयार नहीं होता। उस समय बड़ी तकलीफ होती है। वे कहती हैं कि हम तीन पीढियों से यहां रहते आ रहे है, वावजूद अबतक किसी ने भी हमारे गांव के सड़क के बारे में नही सोचा। वहीं गांव के नथूनी राम ने बताया कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी सडक, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी इस गांव को नही मिल सकी हैं। वहीं स्थानीय सुदन राम,कंचन राम,जगदेव राम, राजेश राम, भागमती देवी, लालमुनी देवी, संगीता देवी आदि लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियो पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए बताया कि चुनाव के समय लोग सड़क बनाने का वादा करते है और बाद में भूल जाते है। इस संबंध में पूछे जाने पर सुगौली के विधायक रामचन्द्र सहनी ने कहा कि इस समस्याओं को लेकर विधानसभा में मैंने सवाल उठाया है।

लेकिन सवाल यह है कि क्या विधानसभा में उठाया गया उनका सवाल क्या कभी अंजाम तक भी पहुंचेगा?


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लेखक के बारे में

वीरेंद्र कुमार गुप्ता

वीरेंद्र कुमार गुप्ता फारवर्ड प्रेस के पूर्वी चंपारण संवाददाता हैं।

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