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बैतूल में 110 आदिवासी जोड़ों का सामूहिक विवाह संपन्न

मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में आदिवासी समुदाय के लोगों ने बीते 7 मई को सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर 110 आदिवासी जोड़ों ने एक-दूसरे का हाथ थामा। साथ ही सभी ने शराब को ना कहने की शपथ भी ली

बैतुल (मध्य प्रदेश), 7 मई 2017 – आदिवासी समुदाय के विकाल को लेकर सक्रिय समस्त आदिवासी समाज संगठन के तत्वावधान में बीते 7 मई को सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया। आयोजन स्थानीय पुलिस ग्राउंड में किया और इस मौके पर 110 आदिवासी जोड़े परिणय सूत्र में बंध गये। गोंडी धर्माचार्य सुखलाल वडकड़े एवं भुमकाओं ने आदिवासी रीति-रिवाज के तहत विवाह कार्य को संपन्न कराया। इस अवसर पर आदिवासी रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।

इससे पूर्व रैन बसेरा से विवाह स्थल तक गाजे-बाजे के साथ बारात निकाली गई। बारात में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के सदस्य शामिल हुए। परिजनों ने विवाह की खुशियां मनाते हुए पांरपरिक तरीके से जमकर नृत्य भी किया। साथ ही विवाह स्थल पर बारात के पहुंचने पर बारातियों का फूल मालाओं के साथ स्वागत किया गया।

नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद देने के लिए डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक ओमकार सिंह मरकाम, घोड़ाडोंगरी के विधायक मंगल सिंह धुर्वे, जिला पंचायत अध्यक्ष सूरजलाल जावरकर एवं राज्य महिला आयोग की सदस्या गंगा उइके सहित अनेक जनप्रतिनिधि कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष सुरजलाल जावलकर ने कहा कि प्राकृतिक पूजक आदिवासी समाज के बीच जाने से सुकून मिलता है। यह सुकून हमें देश-विदेश जाने पर भी नहीं मिलता है। इस पर हमें गर्व है। वहीं विधायक ओमकार मरकाम ने सभी वरों से आग्रह किया कि आपके चरण छू कर निवेदन करता हूँ कि आप शराब का सेवन कभी न करें। इससे अपना समाज पिछड़ रहा है। जबकि विधायक मंगल सिंह धुर्वे ने इस विवाह सम्मेलन की सराहना की और आगे भी समाज द्वारा इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन पर बल दिया। इस मौके पर पूर्व विधायक अलकेश आर्य, धरमु सिंह सिरसाम,  हेमराज बारस्कर और दुर्गादास उइके ने भी इस आयोजन की सराहना की।

इस अवसर पर समस्त आदिवासी समाज संगठन के प्रतिनिधि मनीष कुमार धुर्वे ने जानकारी दी कि विवाहित जोड़ों को समिति द्वारा उपहार व वैवाहिक प्रमाण पत्र दिया गया। वैवाहिक कार्यक्रम के आयोजन में संगठन के पदाधिकारी सरवन मरकाम, रंजीत धुर्वे, शंकर सिंह अहांके, सुनील सरियाम, समर सरियाम, कौशल परते, अखिलेश कवड़े, गोपाल सिंह धुर्वे, सोहनलाल धुर्वे, दिलीप धुर्वे, अंतु मर्षकोले, कल्लूसिंह उइके, शशि वाड़ीवा राजेश धुर्वे, संदीप धुर्वे, राहुल मर्षकोले, शंकर परते, लोकेश शाह कुमरे, अरविन्द ऊईके, ज्ञान सिंह परते, मयंक उइके, बंटी उइके सहित समाज के सभी आदिवासी महिला-पुरुष सदस्यों का सक्रिय योगदान रहा।


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