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महागुन सोसायटी : धनाढ्यों की ताल पर नाचते राष्ट्रवादी

अमीरों की दिल्ली और गरीबों की दिल्ली दोनों अलग-अलग है। दोनों के लिए अलग-अलग कानून है। कोई यकीन करेगा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पॉश इलाके में एक महिला पर जुल्म करने वाले धनाढ़्य के पक्ष में देश का एक केंद्रीय मंत्री भी कानून व संविधान की मर्यादा को दरकिनार कर खड़ा हो जाता है। डॉ. सिद्धार्थ एवं उनके साथियों का तथ्यान्वेषण :

यह कल्पना से परे है कि एक केंद्रीय मंत्री खुलेआम यह ऐलान करे कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि अभियुक्तों की जमानत न होने पाए। लेकिन यह सच है। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने खुलेआम यह ऐलान किया है कि वह महागुन सोसाइटी के बगल की स्लम बस्ती के उन 13 व्यक्तियों की जमानत कभी न होने पाए जो धारा 307 और अन्य अपराधों के आरोप में जेल में बंद हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग स्लम बस्ती के कामगारों की मदद कर रहे हैं, उनका मुहंतोड़ जवाब भाजपा कार्यकर्ताओं को देना चाहिए। सवाल यही है कि महागुन सोसाइटी से सटे स्लम बस्ती के कामगार स्त्री-पुरूषों ने ऐसा क्या कर दिया है कि एक केंद्रीय मंत्री कानून को खुलेआम अपने हिसाब से संचालित करने की घोषणा करता है और भाजपा कार्यकर्ताओं को कानून को अपने हाथ में लेने के लिए ललकारता है। यही जानने हमारी टीम (संदीप राउजी, कमलेश कमल, नन्हे लाल और डॉ. सिद्धार्थ) 16 जुलाई को महागुन सोसायटी और उसके बगल में उजाड़े गये स्लम बस्ती पहुंचे।

रोजी-रोटी से लेकर जेल जाने के भय से दहशत में गरीब

ध्यातव्य है कि दिल्ली की संसद से लगभग 35 किलोमीटर के घेरे में ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन बसाया जा रहा है, कुछ हिस्सों में गगनचुंबी इमारतें खड़ी हो चुकी हैं, जिसमें ऐशो-आराम के सभी साधन उपलब्ध हैं। इसी हाई प्रोफाइल सोसायटी के बगल में एक स्लम बस्ती है जहां बड़ी संख्या में गरीब रहते हैं जो मुख्य रूप से महागुन सोसायटी में रहने वाले धनाढ्यों की सेवा ही करते हैं। यह हमारे लिए कौतूहल का विषय था कि आखिर सेवा करने के बावजूद गरीबों के साथ ऐसी अमानवीयता क्यों?

जोरा बीबी के साथ हुआ अत्याचार और पुलिस का दोहरा रवैया

जब हम पहुंचे तब हमें स्थानीय लोगों ने जो जानकारियां दी, उसके मुताबिक स्लम बस्ती में अपने परिवार के साथ रहने वाली जोरा बीबी 11 जुलाई को महागुन सोसायटी के 102 नंबर फ्लैट में काम करने गयी थी। लेकिन देर शाम तक नहीं लौटी तब उसके पति अब्दुल और पुत्र राहुल ने साेसायटी जाकर पता करने की कोशिश की। जवाब देने के बजाय सोसायटी के गार्ड ने तंज कसते हुए कहा – जाओ बाहर ढूंढो। किसी यार के साथ भाग गई होगी

अब्दुल ने 100 नंबर पर फोन कर पुलिस से सहायता मांगी। दिलचस्प यह कि पुलिस मौके पर पहुंची और जोरा बीबी को खोजने सोसायटी के अंदर भी गयी। परंतु उसके पति अब्दुल को अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली। पुलिस ने अब्दुल से कहा कि जोरा बीबी अंदर नहीं है। साथ ही उसे थाना जाकर शिकायत दर्ज कराने लोगों ने बताया कि जब जोरा बीबी के पति अब्दुल ने दबाव डाला तक गार्ड ने राजिस्टर दिखाया जिसमें सोसायटी के अंदर हर आने-जाने वाले का नाम और समय दर्ज किया जाता है। राजिस्टर में जोरा बीबी के सोसायटी से बाहर आने का समय दर्ज नहीं था। इसके बाद की सलाह भी दी।

जोरा बीबी को घायलावस्था में टांग कर महागुन सोसायटी से बाहर लाते सुरक्षाकर्मी (तस्वीर साभार : द इंडियन एक्सप्रेस)

पुलिस की बात मानकर अब्दुल स्थानीय नोएडा सेक्टर 49 के थाना में पहुंचे लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया और सुबह आने की बात कही। उधर जोरा बीबी के वापस नहीं आने और पुलिस के उपेक्षापूर्ण रवैये से आजिज अब्दुल और बस्ती के लोगों ने सोसायटी के गेट पर पहुंचे। वे जोरा बीबी को बाहर निकालने की मांग कर रहे थे। इस बीच सोसायटी के सुरक्षा प्रहरियों और बस्ती वालों के बीच कहासुनी हुई और इस क्रम में झड़प भी हुई। स्लम के निवासियों के मुताबिक उनलोगों ने कुछ ईंट और पत्थर सोसायटी के अंदर फेंके जिसके जवाब में सुरक्षा प्रहरियों ने हवाई फायरिंग की। इस एक घटना का असर यह हुआ कि जोरा बीबी के पति अब्दुल के गुहार के बाद भी कान में तेल डालकर सोये रहने वाली पुलिस कुंभकर्णी निद्रा से जाग गयी और मौके पर पहुंच गयी। दूसरी ओर बस्ती वाले जोरा बीबी को बाहर निकालने की मांग पर अड़े रहे। इस बीच सोसायटी के सुरक्षा प्रहरियों ने जोरा बीबी को टांगकर बाहर निकाला।

जोरा बीबी को घायल देख आक्रोशित हुए गरीब

जोरा बीबी को इस हालात में देखकर लोगों ने उसके नियोक्ता मितुल सेठी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। स्थानीय लोगों के मुताबिक पुलिस जोरा बीबी को अपने कब्जे में लेकर चली गयी लेकिन उनके परिजनों को न तो साथ ले गयी और न ही उन्हें कोई जानकारी दी गयी। बाद में में परिजनों ने कई अस्पतालों का चक्कर लगाया तब जाकर सीएमओ में जोरा बीबी के होने की जानकारी मिली। स्थानीय लोगों के मुताबिक अब्दुल को मेडिकल जांच की रिपोर्ट नहीं दी गयी।

कामगार यूनियन के आलोक ने बताया कि जोरा बीबी को जो दवायें दी गयीं उनमें अन्दरूनी चोट, मसल चोट और हड्डियों में चोट की दवाएं शामिल थीं। इस बीच महागुन सोसाइटी के 102 नंबर फ्लैट के मालिक मितुल सेठी(जोरा बीबी के नियोक्ता) ने नोएडा सेक्टर 49 के थाने में स्लम के लोगों के खिलाफ प्राथामिकी दर्ज कराया। साथ ही एक एफआईआर सोसाइटी का मेंटीनेंस देखने वाली विदेशी कंपनी जेएलएल ने स्लम के 300 लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश, सामूहिक हमला आदि का आरोप लगाकर दर्ज कराया।

जोरा बीबी का किशोर पुत्र राहुल

स्थानीय लोगों ने बताया कि पुलिस ने 12 जुलाई की आधी रात को बस्ती पर धावा बोलकर 58 लोगों को हिरासत में ले लिया और इनमें से 13 लोगों को अगले दिन जेल भेज दिया। जबकि जोरा बीबी के पति अब्दुल द्वारा मितुल सेठी के खिलाफ कराये गये प्राथमिकी पर कोई संज्ञान नहीं लिया। कामगार यूनियन के आलोक ने बताया कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के बौद्धिक प्रकोष्ठ के लोग महागुन सोसाइटी में आए थे, सोसाइटी वालों को आवश्वासन दे गए थे कि आप लोग निश्चिंत रहिए, अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

थाना प्रभारी ने कहा – सब तय करेंगे महेंद्र शर्मा मंत्री जी

जब हम लोगों ने नोएडा सेक्टर 49 के थाने के एसएचओ परशुराम से घटन के बारे में पूछा तो उन्होंने लगभग खुद को न्यायाधीश साबित करने के अंदाज में कहा कि मितुल सेठी पूर्णतया निर्दोष हैं, सारे प्रमाण यही बताते हैं। साथ ही परशुराम जी ने यह भी बताया कि जोरा ने मितुल सेठी का हजारों रूपये चुराये थे। यह पूछने पर कि क्या जोरा पर चोरी का एफ.आई.आर. दर्ज है, उन्होंने कहा नहीं। वहीं सोसायटी के लोगों के नुकसान एवं चोट आदि के बारे में पूछने पर भी नकारात्मक जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि मेंटनेंस करने वाली कंपनी ने जो एफआईआर दर्ज कराया, वह हमने दर्ज कर लिया। अंत में उन्होंने केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के हस्तक्षेप के बारे में भी बताया।

दहशत में गरीब

बहरहाल महागुन सोसायटी के गगनचुंबी अटटालिकाओं को दूर से निहारती स्लम बस्ती के गरीब दहशत में जी रहे हैं। वजह यह है कि अधिकांश लोगों की आजीविका महागुन सोसायटी के सहारे चलती है। नतीजतन राेजी-रोजगार जाने की चिंता सताने लगी है। इसके अलावा उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठी के रूप में दुष्प्रचारित किया जा रहा है जबकि वे मूलरूप से भारतीय हैं और पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों से रोजी-रोटी की तलाश में आये हैं। इनमें हिंदू और मुसलमान सभी शामिल हैं।


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लेखक के बारे में

सिद्धार्थ

डॉ. सिद्धार्थ लेखक, पत्रकार और अनुवादक हैं। “सामाजिक क्रांति की योद्धा सावित्रीबाई फुले : जीवन के विविध आयाम” एवं “बहुजन नवजागरण और प्रतिरोध के विविध स्वर : बहुजन नायक और नायिकाएं” इनकी प्रकाशित पुस्तकें है। इन्होंने बद्रीनारायण की किताब “कांशीराम : लीडर ऑफ दलित्स” का हिंदी अनुवाद 'बहुजन नायक कांशीराम' नाम से किया है, जो राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है। साथ ही इन्होंने डॉ. आंबेडकर की किताब “जाति का विनाश” (अनुवादक : राजकिशोर) का एनोटेटेड संस्करण तैयार किया है, जो फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित है।

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