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अर्जक संघ के राष्ट्रीय सम्मेलन में मूर्ति पूजा का विरोध

ब्राह्मणवाद के विरोध की बुनियाद पर उत्तरप्रदेश के भूतपूर्व वित्त मंत्री व समाजवादी नेता रामस्वरूप वर्मा द्वारा स्थापित अर्जक संघ का राष्ट्रीय सम्मेलन कई मायनों में खास रहा। देश भर के हजारों लोगों ने मूर्ति पूजा और पाखंडों के बदले मानववादी संस्कारों को अपनाने का संकल्प लिया। उपेन्द्र कुमार पथिक की रिपोर्ट :

मानववादी संगठन अर्जक संघ का पांचवां राष्ट्रीय सम्मेलन 6-8 अक्टूबर को बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12 में आयोजित हुई। इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष जाने माने चार्टर्ड एकाउंटेंट एस. आर. सिंह  ने की।

झारखंड के बोकारो में 6-8 अक्टूबर 2017 को संपन्न हुआ अर्जक संघ का पांचवां राष्ट्रीय सम्मेलन

सम्मेलन में मुख्य रूप से दो प्रस्ताव पारित किये गये। पहले प्रस्ताव में मूर्ति पूजा का विरोध किया गया, जबकि दूसरा प्रस्ताव आर्थिक था। इसके तहत अर्जक संघ के सदस्यों से अपनी आय का एक फीसदी संघ को देने का आहवान किया गया।

सम्मेलन में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों के करीब डेढ़ हजार प्रतिनिधि शामिल हुए।

सम्मेलन का उद्घाटन अर्जक साप्ताहिक के संपादक राम बाबू कन्नौजिया ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ब्राह्मणवाद के कारण ही देश और समाज का विकास अवरूद्ध है। उन्होंने आरआरएस के अलावा मीडिया संस्थानों को ब्राह्मणवाद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार बताया।

 

उन्होंने कहा कि सरकार भी ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही है। यह चिंता का विषय है।

श्री कन्नौजिया ने कहा कि ब्राह्मणवाद का एकमात्र विकल्प अर्जक संघ है। यदि अर्जक संघ का मानववादी आचरण व परंपराएं अपनायें जायें तो देश और समाज की उन्नति होगी।

पहले दिन बतौर मुख्य अतिथि प्रख्यात विज्ञानी और अर्जक नेता प्रोफेसर डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने बीमार होने के कारण सासाराम में अपने आवास पर रहते हुए मोबाइल से सम्मेलन को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के बाद अर्जक संघ के संस्थापक रामस्वरूप वर्मा, चौधरी महाराज सिंह भारती, ललई सिंह यादव जैसे कई लोगों ने अर्जक साहित्य की ऐतिहासिक और प्रेरणादायक रचना की।

संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस आर सिंह ने अर्जक संघ की शिक्षा नीति का विस्तार से वर्णन करते हुए आंदोलन और तेज करने का आह्वान किया।

सम्मेलन में देश भर से जुटे करीब डेढ़ हजार प्रतिनिधि

मुख्य वक्ता शोषित समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अर्जक नेता रघुनी राम शास्त्री ने अर्जक संघ के कार्यकलापों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि संघ की विशेषताओं के कारण ही शोषित समाज दल के लोग अर्जक संघ की रीति-नीति को अपनाते रहे हैं।

सम्मेलन को सियाराम महतो, शिवनंदन प्रभाकर, मनोज कुमार, उपेन्द्र पथिक, लक्ष्मण चौधरी, विजय पाल,राजेन्द्र सिंह, अरूण गुप्ता, रामजी वर्मा, शिवकुमार भारती, राम सागर दास, धर्मदेव राम, यमुना राम, गणेश शर्मा, शशिकांत सिंह, चंद्रबलि पटेल, केपी दास, कृष्ण भारती, बलराम मौर्य, रामावती अर्जक, विभा अर्जक, ललिता कुमारी, रामाशंकर शाहवाल, नंदकिशोर पटेल  सहित अनेक वक्ताओं ने संबोधित किया।

सम्मेलन में जादू, नाटक, कविता और सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक विषमता और कुरीतियों को नकारकर अर्जक रीति नीति अपनाने पर बल दिया।

सम्मेलन का समापन संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनाथ सिंह यादव ने की। उन्होंने कहा कि रामस्वरूप वर्मा ने 1968 में अर्जक संघ की स्थापना करके श्रमशील कौमों की एकता और सम्मान के लिए रास्ता दिखाया। साथ ही ब्राह्मणवाद को सबसे बड़ा दुश्मन करार देते हुए उससे दूर रहने का आह्वान किया।

सम्मेलन के अंत में सर्व सम्मति से 20 सदस्यीय नयी राष्ट्रीय समिति का गठन भी किया गया। इसके तहत एस. आर. सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष, सियाराम महतो महामंत्री और शिवनंदन प्रभाकर कोषाध्यक्ष चुने गये।


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लेखक के बारे में

उपेन्द्र पथिक

सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार उपेंद्र पथिक अर्जक संघ की सांस्कृतिक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। वे बतौर पत्रकार आठवें और नौवें दशक में नवभारत टाइम्स और प्रभात खबर से संबद्ध रहे तथा वर्तमान में सामाजिक मुद्दों पर आधारित मानववादी लेखन में सक्रिय हैं

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