h n

ओबीसी क्लर्क व चपरासी के बच्चों को भी नहीं मिलेगा आरक्षण

केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के ताजा आदेश के मुताबिक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग में काम करने वाले चपरासी और क्लर्क के बच्चे आरक्षण के अधिकारी नहीं होंगे। नवल किशोर कुमार की रिपोर्ट :

भारत सरकार के कार्मिक,लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय ने नया आदेश बीते 6 अक्टूबर 2017 को जारी किया है। इसके मुताबिक लोक क्षेत्र के उपक्रमों यानी पीएसयू में क्लर्क और चपरासी के पद पर काम करने वाले ओबीसी वर्ग के कर्मियों के बच्चों को अब आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

नये आदेश के बाद चपरासी और क्लर्क पदों काम करने वाले कर्मियों के बच्चों को नहीं मिलेगा आरक्षण

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मियों के बच्चों के अधिकारों को बरकरार रखा गया है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने बीते 8 अगस्त 2017 को अपनी बैठक में कार्मिक विभाग के इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी।

नये आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार के पीएसयू में बोर्ड लेवल एक्जीक्यूटिव और मैनेजेरियल लेवल के सभी पद क्रीमीलेयर में शामिल होंगे। इनमें ग्रुप सी और ग्रुप डी के ऐसे कर्मी जिनकी वार्षिक आय 8 लाख से अधिक हो,वे भी क्रीमीलेयर में शामिल माने जायेंगे।

सार्वजनिक बैंकों, वित्तीय संस्थानों और बीमा कंपनियों के भी क्लर्क और चपरासी क्रीमीलेयर में शामिल होंगे जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपए से अधिक होगी।

केंद्र/राज्य कर्मियों का वेतन उनके आय का हिस्सा नहीं

भारत सरकार के कर्मियों के लिए प्रावधान  है कि वेतन से प्राप्त आय और कृषि से प्राप्त आय को उनके वार्षिक आय में शामिल नहीं किया जाता है। लेकिन पीएसयू कर्मियों के मामले में क्रीमीलेयर की अवधारणा स्पष्ट नहीं थी। नये आदेश में इसे स्पष्ट किया गया है।

कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आदेश

उपरोक्त आदेश में प्रावधान किया गया है कि पीएसयू में काम करने वाले ओबीसी वर्ग के कर्मियों की वार्षिक आय (जिसमें वेतन व कृषि से प्राप्त आय भी शामिल है) 8 लाख से अधिक हो तो वे भी क्रीमीलेयर में शामिल माने जायेंगे।

गौरतलब है कि  26 अक्टूबर 2015 को पिछड़े वगों के लिए राष्ट्रीय आयोग ने अपनी अनुशंसा में ओबीसी कर्मियों के वार्षिक आय में कृषि और वेतन से प्राप्त आय को शामिल नहीं करने की बात कही थी। इसके अलावा ओबीसी को लेकर गठित संसदीय समिति द्वारा 10 जुलाई 2017 को इसी तरह की अनुशंसा की गयी थी।

केंद्र सरकार ने इन अनुंशसाओं को दरकिनार कर नया आदेश जारी किया है।


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...