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मुझे जनता ने बाबा साहेब के संविधान की रक्षा के लिए चुना है : भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले

सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ द्वारा एससी/एसटी एक्ट के संदर्भ में दिये गये एक फैसले के विरोध में सत्तारूढ भाजपा में भी बगावती स्वर तेज हो गये हैं। उत्तरप्रदेश के बहराइच सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र की भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले यह मानती हैं कि वे किसी पार्टी के लिए नहीं बल्कि संविधान की रक्षा के लिए संसद में हैं। फारवर्ड प्रेस के संपादक (हिंदी) नवल किशोर कुमार ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत का संपादित अंश :

सावित्री जी, एससी/एसटी एक्ट के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसला आया है। इससे दलितों और आदिवासियों की चिंता बढ़ गयी है। वे सशंकित हो गये हैं। आपने भी विरोध किया है। आपके विरोध की वजह क्या है?

देखिए, भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण के तहत बहराइच लोकसभा सीट से मैं सांसद बन कर आई हूँ। और मेरी जिम्मेदारी बनती है कि भारत के संविधान में जो दी गई व्यवस्था है, यदि उसके साथ छेड़छाड़ हो तो विरोध करूं। भारत का संविधान पूरी तरह से लागू हो। आए दिन कुछ न कुछ बयानबाजी होती है। कभी कहा जा रहा है कि हम संविधान को बदलने आए हैं। कभी कहा जा रहा है कि हम भारत के संविधान की समीक्षा करेंगे। कभी कहा जा रहा है कि हम संविधान आरक्षण को खत्म कर देंगे। यह भी कहा जा रहा है कि हम इसकी हालत ऐसी कर देंगे कि रहना या न रहना बराबर हो। मैं मानती हूं कि अगर हमारा आरक्षण और संविधान खत्म हुआ, तो हमारे बहुजन समाज का अधिकार खत्म हो जाएगा। मैं सुरक्षित सीट से सांसद बन कर आई हूँ।  मेरी जिम्मेदारी बनती है कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के संविधान के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ न हो और भारत का संविधान पूरी तरह से लागू हो।

लोकसभा में अपनी बात रखतीं सांसद सावित्री बाई फुले


क्या आप को लगता है कि ये जितनी बातें हो रही हैं, यह सब आरएसएस के कहने पर हो रही हैं?  

यह तो टीवी, रेडियो, अखबार के माध्यम से आपको देखने-सुनने और पढ़ने को मिलता होगा। आप लोग खुद जानते हैं और चाहते हैं कि संविधान के साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ न हो, और जो आरक्षण को पूर्णरूपेण लागू करने के संबंध में विधेयक लोकसभा में लंबित पड़े हैं, उन्हें मंजूरी मिलनी चाहिए। इसके अलावा प्रोन्नति में आरक्षण की नीति में साजिश की गयी है। इसके कारण जिन्हें प्रोमोशन मिलना चाहिए था उनका डिमोशन हो गया। सभी बहुजनों का पुनः उनका प्रमोशन होना चाहिए।

मैं मानती हूं कि भारत का संविधान दुनिया के संविधान में सबसे अच्छा संविधान है।  इसलिए भारत का संविधान पूरी तरीके से लागू जिस दिन कर देंगे, उस दिन भारत में चिराग उठाकर भी गरीब ढूँढेंगे तो नहीं मिलेंगे। इसलिए अनुसूचित, जाति अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जातियों के लिए जो संविधान में व्यवस्था है और जो आरक्षण दिया गया है। उसको पूरी तरह से लागू करना चाहिए।


ऐसा भी हो सकता है कि बीजेपी आपके खिलाफ अनुशासनहीनता का आरोप लगाए और आपको विरोध झेलना पड़े! क्या करेंगी आप?

देखिए, मैं कोई गलत काम नहीं कर रही हूँ। बहुजनों के हित की बात कर रही हूँ। बहुजन समाज जिसकी हिस्सेदारी सबसे अधिक है। संविधान में दिये गये आरक्षण के कारण ही आज आरक्षित वर्गों को आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, मास्टर, सांसद, विधायक जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख से लेकर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक बनने का मौका मिल रहा है।  इसलिए भारत के संविधान में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। अगर छेड़छाड़ हुई तो बहुजन समाज का आरक्षण खत्म हो जाएगा।

बहराइच से भाजपा की सांसद सावित्री बाई फुले

आप यह मानती हैं कि बहुजनों के अधिकारों में कटौती की जा रही है। आप क्या करेंगी?

इस बात को मैं लोकसभा में निरंतर उठा रही हूँ, कि लोकसभा में भारत का संविधान पूरी तरह से लागू किया जाए। आरक्षण को पूरी तरह से लागू किया जाए।

यदि सरकार अपने रूख में बदलाव नहीं लाती है तो क्या करेंगी?

मैं तो सदन से सड़क तक लड़ रही हूँ भैया कि हम आरक्षण के तहत जीत कर आए हैं। हमारा संविधान पूरी तरीके से लागू करो।

मतलब आप हर तरह की लड़ाई लड़ेंगी?

मैं संविधान, आरक्षण को पूरी तरीके से लागू कराने के लिए लड़ाई लड़ रही हूँ। और हम चाहेंगे कि भारत की चाहे जो भी पार्टी हो, सभी लोगों को मिलकर संविधान को लागू कराना चाहिए। उसकी रक्षा करनी चाहिए।

तो क्या आप भी पार्टी लाइन से हटकर विरोध कर रही हैं?

संविधान को लेकर तो यह लड़ाई चल रही है। संविधान के तहत जो भी आदमी जीतकर सांसद, विधायक जाता है। चाहे जिस दल से लोग जीत कर जाते हैं, वे संविधान की शपथ लेते हैं कि हम संविधान के अनुसार हर काम करेंगे। तो हम संविधान के अनुसार ही काम करेंगे। संविधान के अनुसार ही देश का संचालन होता है। तो हम संविधान को लागू करने की ही बात कर रहे हैं। तो इसके लिए मेरे खिलाफ कार्यवाही होगी, तो इसका मतलब होगा कि संविधान का उल्लंघन हो रहा है।  हम कोई गलत काम तो नहीं कर रहे हैं। हम अपने अधिकार की बात कर रहे हैं। हम संविधान को लागू करने की बात ही तो कर रहे हैं, तो इसमें हमने क्या गलत कर दिया। इसलिए हम चाहते हैं कि आप लोग भी सब इसमें सहयोग करें। आप लोग भी संविधान को लागू करने की मांग कीजिए।

अापने फारवर्ड प्रेस से बातचीत की। इसके लिए आपके प्रति आभार

धन्यवाद। जय भीम भैया

(लिप्यांतर : पंडित प्रेम बरेलवी)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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