h n

राजनीति करने के लिए नहीं है भीम आर्मी : विनय रतन सिंह

भीम आर्मी राजनीतिक संगठन नहीं लेकिन वह राजनीति पर निगाह रखेगी ताकि कोई दलितों के अधिकारों का हनन नहीं कर सके। भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह बताते हैं कि उनका संगठन राजनीति करने के लिए नहीं बल्कि दलितों के अधिकारों को लेकर लड़ने के लिए है। जिन्हें राजनीति करनी है वे कोई पार्टी ज्वायन कर लें। फारवर्ड प्रेस के संपादक(हिन्दी) नवल किशोर कुमार से बातचीत का संपादित अंश :

पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में घटित एक घटना रातोंरात देश भर में चर्चा का विषय बन गई। शब्बीरपुर में सवर्णों द्वारा दलितों पर किया गया हमला और बाद में इसके लिए भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण की गिरफ्तारी, पूरे देश में दलितों को उद्वेलित कर गया। ‘द ग्रेट चमार’ का स्लोगन भी राष्ट्रीय स्तर पर बहस का विषय बना। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा चंद्रशेखर रावण पर रासुका लगाये जाने के बाद दलितों में आक्रोश है। इसके अलावा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसएसी/एसटी कानून में ढील दिये जाने और यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा में विश्वविद्यालय के बदले विभाग को इकाई मानकर रोस्टर का निर्माण करने संबंधी अधिसूचना को लेकर देश भर के दलितों में आक्रेश बीते 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान देखने को मिला। इसके अलावा चंद्रशेखर की रिहाई व भीम आर्मी की रणनीतियों को लेकर फारवर्ड प्रेस के संपादक (हिंदी) नवल किशोर कुमार ने भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह से विशेष बातचीत की।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के घडकौली में ‘द ग्रेट चमार’ बोर्ड के साथ चंद्रशेखर रावण

 

विनय जी, आपकी पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को उत्तरप्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में रखा है। उनकी रिहाई के लिए क्या आपके द्वारा कोई नया आंदोलन चलाया जाएगा?

विनय रतन सिंह : उत्तरप्रदेश की योगी सरकार हमारे शेखर भाई की हत्या करने का आमदा है। वह उन्हें रिहा नहीं करना चाहती है। अभी दो दिन पहले ही हमारे दो साथी शेखर भाई से जेल में मुलाकात कर आये हैं। वे बता रहे थे कि शेखर भाई की तबीयत दिन पर दिन खराब होती जा रही है। एक तो यह है कि उनका इलाज उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नहीं करवा रही है। दूसरी ओर वह उन्हें प्रताड़ित भी कर रही है। लेकिन योगी सरकार के दमन से न तो शेखर भाई डरने वाले हैं और न ही हम। 2 अप्रैल की घटना के बाद जिस तरह से देश भर में दलित युवाओं को गिरफ्तार किया जा रहा है, उनके उपर झूठे मुकदमे लादे जा रहे हैं। हम उसके खिलाफ हैं। शेखर भाई ने जेल में आंदोलन छेड़ दिया है। वे एक समय के खाने का बहिष्कार कर रहे हैं। हमलोगों ने भी 18 अप्रैल को दिल्ली के संसद मार्ग पर विरोध मार्च का आहवान किया है।

 

मेरा सवाल चंद्रशेखर जी की रिहाई से संबंधित था।

विनय रतन सिंह : देखिए, यह तो साबित हो गया कि यूपी की योगी सरकार की मंशा क्या है। जब हाईकोर्ट ने सभी मामलों में शेखर भाई को जमानत दे दी। फिर अगले ही दिन उनके उपर रासुका लगाने का निर्णय सरासर अन्याय है। हम भीम आर्मी के सदस्य इस बात को समझ रहे हैं  और देश भर के लोग भी। शेखर भाई की रिहाई के लिए पूरे देश में दलित समाज के युवा और बुद्धिजीवी सवाल उठा रहे हैं। अभी एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा भी मिस्ड कॉल अभियान चलाया जा रहा है। हमलोग अभी यूपी सरकार को कानूनी भाषा में जवाब दे रहे हैं। आने वाले समय में हम उन्हें अपने आंदोलनों के जरिए भी जवाब देंगे। इसके लिए पूरे देश में प्रयास भीम आर्मी द्वारा तेज किया गया है।

भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह

 

क्या आपको लगता है कि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती एवं अन्य दलित नेताओं द्वारा चंद्रशेखर रावण की रिहाई के लिए आवाज नहीं उठाना भी एक राजनीतिक साजिश है?

विनय रतन सिंह : देखिए, राजनीति में जो जैसा बोता है, उसे वैसा ही काटना पड़ता है। मैं बहन जी की बात नहीं कर रहा हूं। लेकिन सच क्या है, यह सभी देख रहे हैं।

मायावती जी ने राज्यसभा से इस्तीफा जिन कारणों के लिए दिया था, उसमें एक कारण चंद्रशेखर रावण का मुद्दा भी था।

विनय रतन सिंह : मैं बहन जी का बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन उन्होंने चंद्रशेखर रावण की रिहाई या फिर भीम आर्मी के आंदोलन को लेकर इस्तीफा दिया, यह कहना सही नहीं है। उन्होंने चाहे जिस कारण से इस्तीफा दिया हो, वे कारण भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। मैं ऐसा मानता हूं।

आपने थोड़ी देर पहले कहा कि भीम आर्मी राष्ट्रीय स्तर पर अभियान छेड़ेगी। क्या इसके लिए कोई कार्यनीति बनायी गयी है?

विनय रतन सिंह : जी, अभी भीम आर्मी का विस्तार देश के लगभग सभी हिस्सों में हो रहा है। लोग अपने-अपने स्तर से इस आंदोलन से जुड़ रहे हैं। हमने अभी कोई औपचारिक शुरूआत नहीं की है। आने वाले समय में हम संगठनात्मक कार्यों पर अधिक से अधिक जोर देंगे ताकि संगठन मजबूत हो।

कैदी के रूप में चंद्रशेखर रावण को इलाज के लिए अस्पताल ले जाती यूपी पुलिस

अतीत में भारत में दलित पैंथर आंदोलन हुआ। वह भी केवल दो वर्षों तक चल सका। इसके पीछे जो कारण थे, लगभग वही कारण आज भी मौजूद हैं। आपका आंदोलन दूरगामी और प्रभावकारी हो, इसके लिए और क्या रणनीति आपने तैयार किया है।

विनय रतन सिंह : अतीत में हुए आंदोलनों की बुनियाद के कारण ही आज हम यहां हैं। दलित पैंथर आंदोलन का इतिहास हमने भी जाना है। हम यह समझते हैं कि यदि संगठन में प्रतिबद्ध लोग अधिक से अधिक आयें तो यह न केवल हमारे संगठन को मजबूत करेगा बल्कि हमारे आंदोलन को भी नयी धार देगा। जल्द ही हम भीम आर्मी की सदस्यता के लिए औपचारिक तौर पर नियमावली आदि जारी करेंगे। हम नहीं चाहते हैं कि हमारे आंदोलन में वैसे लोग शामिल हों, जिनकी प्रतिबद्धता हमारा आंदोलन नहीं हो। यदि कोई राजनीति करना चाहता है तो वह कोई राजनीतिक दल ज्वायन करे। भीम आर्मी दलितों के मुद्दे भी पर लड़ने वाली गैर राजनीतिक संगठन है। लेकिन हम राजनीति पर निगाह रखेंगे ताकि कोई दलितों के अधिकारों का हनन न कर सके।

यानि भीम आर्मी चुनावों में भाग नहीं लेगी?

विनय रतन सिंह : मैंने पहले ही कहा कि हमारी भीम आर्मी का मकसद चुनाव लड़ना नहीं है। लेकिन हम हमारे मुद्दों और विचारों से सहमति रखने वाली पार्टियों से अनुरोध जरूर करेंगे कि वे उन लोगों को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनायें जो दलितों के सवालों को लेकर प्रतिबद्ध हैं। ऐसे लोग अधिक से अधिक संख्या में संसद और विधानसभाओं में पहुंचें ताकि दलितों की राजनीतिक हिस्सेदारी का मतलब सार्थक हो। केवल नाम के लिए दलित सांसदों या विधायकों का कोई मतलब नहीं है।

 (रिकार्डेड इंटरव्यू का लिप्यांतर : प्रेम बरेलवी)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें :

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...