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आसाम में लड़कियों को उठाकर जबरन विवाह का विरोध

बीते 27 अप्रैल को आसाम के लखीमपुर जिले में तीन युवकों ने मिशिंग आदिवासी समुदाय की एक नाबालिग लड़की का अपहरण करने का प्रयास किया। स्मृतिशिखा और मनस्वी नामक दो युवतियों ने उसे बचाया। इस घटना के बाद मिशिंग समुदाय में लड़कियों को उठाकर जबरन विवाह की परंपरा का विरोध शुरू हो गया है। काकाेलि महंता की रिपोर्ट :

देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार में वृद्धि दर्ज की गयी है। पूर्वोत्तर भारत का राज्य आसाम भी अछूता नहीं है। यहां भी पिछले एक महीने में डेढ़ दर्जन से अधिक मामले सामने आये हैं। वहीं बीते 27 अप्रैल को लखीमपुर जिले में एक नाबालिग का अपहरण कर जबरन उसकी शादी करने के प्रयास को दो बहादुर युवतियों स्मृतिशिखा और मनस्वी ने नाकाम कर दिया। स्थानीय पुलिस ने पहले तो इस मामले को परंपरा का सवाल बताकर खारिज करने का प्रयास किया लेकिन वह स्थानीय लोगों के विरोध के कारण कामयाब नहीं हो सकी। नतीजतन नाबालिग के अपहरण का प्रयास करने वाले तीनों आरोपियों को पुलिस ने घटना के पांचवें दिन गिरफ्तार किया।

वैसे यह मामला केवल अपहरण तक सीमित नहीं है।

स्मृतिशिखा : जानपर खेलकर नाबालिग को बचाया

बताते चलें कि आसाम के 8 और अरूणाचल प्रदेश के 3 जिलों में मिशिंग जनजाति समुदाय रहता है। इनमें आसाम के धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनथ चरिआली, सोनितपुर, तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, शिबसागर, माजूली, चारायदेव, जोरहट और गोलाघाट व अरूणाचल प्रदेश का पूर्वी शियांग, दिबांग घाटी का निचला इलाका और लोहित जिला शामिल है। मिशिंग जनजाति में विवाह को लेकर एक परंपरा है कि लड़का पक्ष के लोग लड़की को बिना बताये जबरन उसका अपहरण कर लेते हैं। फिर लड़की को यह स्वीकार करना ही पड़ता है। अब इस परंपरा का व्यापक विरोध शुरू हो गया है।

नाबालिग को अपहरणकर्ताओं से बचाने वाली स्मृतिशिखा और उनकी सहेली मनस्वी दोनों माजूली जिले की रहने वाली हैं। दोनों एक स्वयंसेवी संस्था से जुड़ी हैं जो इन दिनों आसाम सरकार के पहल पर सुदूर इलाकों में मनरेगा के सोशल ऑडिट का कार्य कर रही है। स्मृति शिखा के मुताबिक बीते 27 अप्रैल को वह एक गांव में जा रही थीं। तभी नदी(छोटी नदी) के उस पार तीन लड़के एक लड़की को जबरदस्ती नाव पर चढ़ा रहे थे। वह लड़की रो रही थी। स्मृतिशिखा ने बताया कि उन्होंने इस पूरी घटना का वीडियो बनाया। साथ ही स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी।

जैसे ही तीनों लड़के लड़की को लेकर नदी के इस पार पहुंचे, स्मृतिशिखा और उनकी सहेली मनस्वी ने उन्हें रोका। इस बीच लड़कों ने उनके उपर भी हमला बोला। दोनों लड़कियों ने जानपर खेलकर उनका सामना किया। इस घटना में स्मृतिशिखा का हाथ टूट गया। करीब तीन घंटे बाद पुलिस वहां पहुंची और पीड़िता को अपने साथ नारायणपुर थाना ले गयी।

बीते 1 मई को नारायणपुर थाना के प्रभारी ने घटना की पुष्टि की और बताया कि आरोपियों के खिलाफ परंपरा के नाम पर नाबालिग का शादी के उद्देश्य से अपहरण किये जाने के संबंध में मामला दर्ज किया गया है। वहीं उन्होंने तब किसी के गिरफ्तारी की बात नहीं कही। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि लड़का और लड़की दोनों पक्षों के लोगों से उनकी बातें हुई हैं। उनके मुताबिक पीड़िता का संबंध आदिवासी समाज से है, जिसमें लड़की को उठाकर जबरदस्ती शादी करने की परंपरा है।

आसाम में मिशिंग समुदाय का एक परिवार

बहरहाल, 3 मई को नारायणपुर थाना प्रभारी ने पूछने पर बताया कि सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं पीड़िता को 5 मई को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया। जहां उसका बयान धारा 164 के तहत दर्ज कराया गया। वहीं नाबालिग को जबरन शादी से बचाने वाली स्मृतिशिखा का कहना है कि मिशिंग जनजाति में जो परंपरा है, वह आज के समय के लिहाज से प्रासंगिक नहीं रह गया है। इसलिए इसे खत्म किया जाना चाहिए।

(कॉपी एडिटर : अनिल)

लेखक के बारे में

काकोलि महंता

अर्थशास्त्र में स्नातक काकोलि महंता स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य करती हैं। उनकी रचनाएं व लेख विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं।

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