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सवालों के घेरे में ओबीसी छात्रा की खुदकुशी, कटघरे में योगी सरकार की नीति

बीते एक मई को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के झांसी ओबीसी कन्या छात्रावास में एक ओबीसी छात्रा ने खुदकुशी कर ली। खुदकुशी नोट में जो बातें सामने आयी हैं, उनसे विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। साथ ही शिक्षा नीति पर भी सवालिया निशान लगा है। एक रिपोर्ट :

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के कार्यकाल में ओबीसी और दलित जाति के लोगों पर अत्याचार और शोषण की वारदातें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले एक मई को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की बायोमेडिकल साइंस विभाग में प्रथम वर्ष की ओबीसी छात्रा स्मृति सचान ने अपने छात्रावास में खुदकुशी कर ली। वह तीन दिन पहले ही परिजनों से मिलकर छात्रावास वापस आयी थी। उसकी खुदकुशी के बाद सरकार की शिक्षा नीतियों और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन व छात्रावास प्रबंधन सवालों से बचता नजर आ रहा है। वहीं दूसरी ओर इस घटना के बाद छात्रावास में रहने वाली अन्य छात्राएं भी दहशत में हैं। इसका अनुमान इसीसे लगाया जा सकता है कि ओबीसी वर्ग की एक और छात्रा ने खुदकुशी करने की कोशिश की।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के अमरौधा निवासी सुरजीत सचान की बेटी स्मृति सचान (24) बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की बायोमेडिकल साइंस विभाग में प्रथम वर्ष की छात्रा थी। वह ओबीसी कन्या छात्रावास के एफ-7 कमरे में रहती थी। बीते एक मई को मंगलवार की सुबह स्मृति से उसके कुछ दोस्तों ने फोन के जरिए सम्पर्क साधने की कोशिश की तो उसका फोन नहीं उठा। कई बार मिलाने पर भी जब स्मृति का फोन नहीं उठा तो उन्होंने उसके साथ रहने वाली छात्रावास की दूसरी छात्रा से फोन पर सम्पर्क किया। इस छात्रा ने स्मृति के कमरे में दस्तक देकर दरवाजा खुलवाने की कोशिश की लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। इस पर छात्रा ने छात्रावास प्रशासन व विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों को जानकारी दी। छात्रा की सूचना पर प्रॉक्टर आर.के. सैनी, छात्रावास वार्डन डॉ. श्वेता पाण्डेय, विभागाध्यक्ष डॉ. लवकुश द्विवेदी समेत कई कर्मचारी मौके पर पहुंचे। सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी भी पहुंचे। सभी के सामने कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो अन्दर स्मृति का शव खिड़की में दुपट्टे से लटक रहा था।

सुसाइड नोट के कारण सामने आए कई सवाल

बायोमेडिकल साइंस विभाग की छात्रा स्मृति सचान के अचानक आत्महत्या कर लेने से विभाग के शिक्षक सहित अन्य लोग भी सकते में हैं। छात्रावास प्रशासन के अनुसार स्मृति 23 से 27 अप्रैल तक के लिए छुट्टी लेकर अपने घर गई थी, जिसके बाद स्मृति 30 अप्रैल को छात्रावास वापस आई थी। आखिर क्या वजह थी कि घर से आने के तीन दिन बाद उसने खुदकुशी कर ली?

स्मृति के खुदकुशी नोट से जाहिर होता है कि वह बायोमेडिकल डिपार्टमेंट के कक्षा आधारित आंतरिक मूल्यांकन और परीक्षा में निचले पायदान पर आने और सही अंक नहीं दिये जाने की वजह से मानसिक दवाब में थी। स्मृति ने कमरे में जो सुसाइड नोट मिला, उसमें उसने अपने माता-पिता से ‘सॉरी’ कहा है। उसने यह भी लिखा था कि अच्छी पोजीशन से उसकी लो पोजीशन आ गई जिस कारण वह परेशान है और वह यह कदम अपनी मर्जी से उठा रही है।

सच बोलने से कतरा रहा है विश्वविद्यालय प्रशासन

खुदकुशी के पीछे का सच अभी आना बाकी है। मगर छात्रा की आत्महत्या के बाद बायोमेडिकल साइंस डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष का बयान मृतका के सुसाइड नोट में उल्लेखित कारण काे खारिज करता है। विभागाध्यक्ष के अनुसार स्मृति सचान एक होनहार और प्रतिभाशाली छात्रा थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि  उसे क्लास असेसमेंट में लो पोजीशन क्यों दी गई? आखिर क्या वजह रही है कि उसके अच्छे मार्क्स नहीं आए? इन सवालों पर कॉलेज, छात्रावास प्रशासन भी बोलने से कतरा रही है।

इसी छात्रावास में रहती थी स्मृति सचान

बॉयोमेडिकल साइंस डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. लवकुश द्विवेदी ने बताया कि स्मृति रेगुलर स्टूडेंट थी। टेस्ट में भी मार्क्स औसत से अधिक आते थे। विश्वविद्यालय में होने वाली गतिविधियों जैसे सेमिनार आदि में भी काफी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती थी। उन्होंने बताया कि उनकी आखिरी मुलाकात स्मृति से तब हुई थी, जब वह छुट्टी लेने आई थी। तब वह कुछ परेशान दिखाई दे रही थी।

वहीं इस मामले में स्थानीय नावाबाद के थाना प्रभारी ने बताया कि छात्रावास में मृतका की लाश के साथ ही एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। अभी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी है। उनका कहना है कि जब कोई प्राथमिकी ही दर्ज नहीं करायी गयी है तो ऐसे में खुदकुशी के पीछे परीक्षा में कम अंक प्राप्त करना था या कोई और कारण रहा, पुलिस इसकी जांच कैसे कर सकती है।

स्मृति की खुदकुशी के बाद दहशत में छात्रावास की छात्राएं

उधर स्मृति की खुदकुशी के बाद से छात्रावास परिसर में छात्राएं दहशत के साये में जी रही हैं। मिली जानकारी के अनुसार छात्रावास की एक और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की ओबीसी छात्रा ने खुद को घायल कर लिया है। छात्राएं डरी-सहमी हुई हैं। कॉलेज के दूसरे छात्रावासों में जाकर ओबीसी गर्ल्स छात्रावास की छात्राएं रात में जाकर सो रही हैं। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा छात्रावास की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है लेकिन भय और आशंका के माहौल में कई छात्राएं छात्रावास छोड़कर घर भागने का मन बना रही हैं।

वहीं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे छात्रा की खुदकुशी की घटना के बाद से छात्रावास परिसर में बिगड़ते माहौल से घबराए हुए हैं। उन्होंने छात्रावास जाकर सभी छात्राओं की खुद ही काउंसलिंग की और उनके अंदर आत्मविश्वास जगाने का प्रयास किया। प्रो. दुबे कहते हैं कि फिलहाल स्थिति सामान्य है। स्मृति की खुदकुशी के बाद जिस छात्रा ने असमान्य हरकत की थी उसे उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।  

बहरहाल ओबीसी छात्रा स्मृति सचान की खुदकुशी के बाद कई गंभीर सवाल सामने हैं। ये सवाल वर्ष 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला की खुदकुशी के बाद उठे सवालों से कम नहीं हैं। क्या स्मृति सचान के साथ डिपार्टमेंट के शिक्षक न्याय नहीं कर रहे थे? क्या कॉलेज की परीक्षाओं और क्लास के इंटरनल असेसमेंट में उसके प्रतिभा और काबिलियत को कुचला जा रहा था? इस घटना के मुतल्लिक कई अन्य पिछड़े वर्ग के वरिष्ठ प्रोफेसर भी सच बोलने से कतरा रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है कि झांसी ओबीसी गर्ल्स छात्रावास की छात्रा स्मृति सचान भी उन्हीं मानसिक दवाबों और यंत्रणाओं से तो नहीं गुजर रही थी, जिससे रोहित वेमुला गुजर रहे थे। जांच इस दिशा में भी होनी चाहिए।  

(कॉपी एडिटर – ब्रह्मदेव/नवल)


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लेखक के बारे में

सतीश वर्मा/एचडी भारतीय

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर सतीश वर्मा 10 सालों की सक्रिय पत्रकारिता के बाद सामाजिक आन्दोलनों में सक्रिय हैं। जबकि एचडी भारतीय झांसी के एक कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं

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