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गुजरात में ओबीसी युवाओं की मूंछें उखाड़ रहे ऊंची जाति के लोग

उत्तरी गुजरात के बनासकांठा में ऊंची जातियों के हिंसक झुंडों ने ओबीसी नौजवानों पर एक महीने के अंदर चार से ज्यादा बर्बर हमले किए हैं। यह गुजरात में बन रही ‘न्यू इंडिया’ की तस्वीर है जिसका पूरा फ्रेम फासिस्टों ने जड़ा है। कमल चंद्रवंशी की रिपोर्ट :

 ओबीसी पर अत्याचारों का बनासकांठा अध्याय

उत्तरी गुजरात, खासकर बनासकांठा में ओबीसी समाज पर ऊंची जातियों के अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। यहां 30 मई को एक गरीब और पिछड़े परिवार के नौजवान रंजीत ठाकोर की मूंछे इसलिए छील दी गईं कि उसने अपने परिवार में अपने भतीजे के मुंडन कार्ड में अपने नाम के साथ ‘सिंह’ उपनाम जोड़कर लगा दिया था। नाम में सिंह छपा देखकर ऊंची जातियों वाले ठाकुर और राजपूताना मोहल्लों में रहने वालों के खून में आग लग गई।

शादी के कार्ड में नाम के आगे सिंह लिखा तब सवर्णों ने उखाड़ ली मुंछ

बताते चलें कि इसी बनासकांठा में कुछ ही हफ्ते पहले एक दलित परिवार पर भी हमला हुआ था जहां शादी करने वाले शख्स ने अपने नाम के साथ  ठाकुरों की ठसक वाले ‘सिंह’ को अपने नाम के आगे लगा दिया था। यहां की ऊंची जातियों का तानाबाना (रोजबरोज का आपसी व्यवहार) सिंह उपनाम देखकर तय होता है। इस इलाके के एक सरपंच के अनुसार, उनके समाज में, “यह ऊंच-नीच की सोच नहीं बल्कि सामान्य और सहज सामाजिक व्यवहार है जहां कभी-कभी कोई अप्रिय घटना भी हो जाती है। लेकिन ऐसा कहां नहीं होता?” सरपंच गलत नहीं हैं। इसीलिए भी कि दो घटनाएं ही नहीं- यहां पिछले दो महीने के अंतराल में ओबीसी लोगों की मूंछों को सरेआम बेइज्जत करके उखाड़ दिया गया।

लेकिन अभी मुख्य बनासकांठा की इन खबरों की तह में जाने की हम कोशिश कर ही रहे थे कि यहां से 70 किलोमीटर दूर पालनपुर में 2 जून को ओबीसी समाज के कोली ठाकोर परिवार के हिम्मत सिंह चौहान को अपने नाम के साथ सिंह लगाने पर ऊंची जातियों के दबंगों ने उसके साथ लूटपाट के बाद मारपीट कर दी। यह घटना बनासकंठा जिले के ही कंकरेज तहसील के गांव की है। थारा पुलिस पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर ए. के. भारवाड़ ने बताया कि आईपीसी धारा 394, 395 (डकैती) और 506 (बी) (आपराधिक धमकी) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर दी गई। पुलिस अधिकारी के अनुसार, “चौहान को भीड़ ने मारा। आरोपियों ने हिम्मत के सोशल मीडिया पेज पर उसके नाम के साथ सिंह लिखा देखा जिस पर उन्हें परेशानी हुई।” पीड़ित ने कहा कि उसके स्कूल सर्टिफिकेट में नाम के साथ पहले से ‘सिंह’ लगा है लेकिन भीड़ में किसी ने उसकी एक नहीं सुनी। पुलिस ने 3 जून को छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

मुंछ उखाड़ने की एक घटना के मामले को लेकर बनासकांठा के पालनपुर गांव में तहकीकात करने पहुंची गुजरात पुलिस

ध्यान दिलाते चलें कि पालनपुर में ही 27 मई को एक ओबीसी शख्स की पिटाई कर दी गई थी जब यहां पास के गौड़ गांव में धार्मिक समारोह के निमंत्रण पत्र में वहां के लोगों ने उनके नाम में सिंह लिखा देखा। इससे पांच दिन पहले 22 मई को अहमदाबाद जिले के ढोलका में राजपूतों के झुंड ने दलित शख्स को सिंह लगाने पर मूंछे हटवाने पर मजबूर किया। यहां के स्थानीय निवासी मौलिक जाधव ने अपने सोशल मीडिया पेज में कहा था कि उन्होंने अपना पूरा नाम मौलिक सिंह जादव कर दिया है। इसी के बाद वहां आसपास की ऊंची जातियों के लोग भड़क गए।

रंजीत ठाकोर मामले में राजपूतों की ऊंची जाति के रसूखदारों ने उसका पहले अपहरण किया और फिर एक अज्ञात जगह पर ले गए। उससे कहा गया वह अपनी दाढ़ी काटे।  लेकिन जब रंजीत ने मूछों को नहीं काटा उसे एक आरोपी ने जोर से लात मारकर गिराया। आरोपियों ने इस सबका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बनासकांठा पुलिस ने चार लोगों की कई संगीन धाराओं में धरपकड़ की। पुलिस का कहना है कि दरबार (राजपूत) समाज के मयूर सिंह डाभी को गिरफ्तार किया गया है जबकि घोट गांव के एक और आरोपी हरपाल सिंह डाभी को गिरफ्तार करने के लिए दबिश डाली जा रही है। पुलिस के अनुसार, इस मामले में पीड़ित शख्स ने बताया कि वो पुलिस में शिकायत नहीं करता अगर उसका वीडियो वायरल ना किया जाता। वायरल वीडियो में साफ देखा जा रहा है कि पीड़ित नौजवान हमलावरों के झुंड से लगातार गुहार लगा रहा है लेकिन उस पर कोई रहम नहीं किया जा रहा है।

बनासकांठा की घटनाओं पर बारीकी से नजर रखने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ ओबीसी नेता बलदेव ठाकोर ने इन पंक्तियों के लेखक से कहा, “ऐसे हमले गुजरात के हालिया चुनावों के बाद तेज हुए हैं। जिस बीस साल के रंजीत के साथ ये वाकया हुआ वो मेरी ही जाति और समाज का है। इस मामले में ऊंची जाति के लोगों को माफी मांगनी पड़ी है जिसके बाद हम लोग फिलहाल चुप हैं लेकिन ऊँची जातियों को बीजेपी के नेता इसी तरह शह देते रहे तो हम सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।”

गुजरात के बुद्धिजीवी उमाकांत माकंड ने ओबीसी और दलित समुदायों पर बढ़ते हमले पर गहरी चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि दबे कुचले हर समाज के लोगों के साथ बीजेपी सरकार, उसके प्रशासन अमले और पुलिस का एक जैसा रवैया है। एक के बाद एक ऐसी घटनाएं हमारे समाज में फासिस्ट ताकतों की बढ़ती पैठ का आईना हैं।

 

(कॉपी एडिटर : नवल)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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