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हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है ‘जाति का विनाश’

ऑल इंडिया डिफेंस-सचिवालय एससी-एसटी इंप्लॉइज फेडरेशन के राष्ट्रीय सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि ‘जाति का विनाश’ किताब हमें रास्ता दिखाती है। बिना इस किताब को पढ़े हम डॉ. आंबेडकर के विचारों को नहीं जान सकते हैं। सम्मेलन में पदोन्नति में आरक्षण का सवाल पर गंभीर चर्चा हुई। एक रिपोर्ट :

पदोन्नति में आरक्षण पर दलित नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाने की जरुरत

बीते 29 जुलाई 2018 दिल्ली के राजा राममोहन रॉय हॉल में ऑल इंडिया डिफेंस-सचिवालय एससी-एसटी इंप्लॉइज फेडरेशन का राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, चंडीगढ़, कर्नाटक समेत तमाम जगहों के एसोसिएशन पदाधिकारी शामिल हुए। सम्मेलन में केंद्रीय मुद्दा पदोन्नति में आरक्षण था। इस मौके पर फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर द्वारा लिखित ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ के हिंदी अनुवाद ‘जाति का विनाश’ का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर सभी वक्ताओं ने एक स्वर में इस किताब को हर व्यक्ति के लिए आवश्यक बताया।

ऑल इंडिया डिफेंस-सचिवालय एससी-एसटी इंप्लॉइज फेडरेशन के राष्ट्रीय सम्मेलन में जाति का विनाश किताब का हुआ लोकार्पण

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ऑल इंडिया डिफेंस-सचिवालय एससी-एसटी इंप्लाॅइज फेडरेशन के अध्यक्ष नेतराम ठगेला ने कहा कि सभी पार्टियों के अधिकांश एससी/एसटी सांसद पदोन्नति में आरक्षण के प्रश्न पर चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी चुप्पी यह बताती कि उन्हें समाज के हितों की नहीं, अपने व्यक्तिगत हितों की चिन्ता है। उन्होंने आह्वान किया कि अब समय आ गया है कि हम किसी नेता या पार्टी पर निर्भर रहने की जगह अपने हितों के लिए सक्रिय तौर पर आगे आयें। हमारी व्यापक पहलकदमी नेताओं बाध्य करेगी कि वे हमारे हितों की चिन्ता करें।

अध्यक्ष के उद्घाटन भाषण के बाद फॉरवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किताब ‘जाति का विनाश’ का लोकार्पण किया गया। नेतराम ठगेला ने कहा कि फॉरवर्ड प्रेस ने डॉ. आंबेडकर की किताब ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ का विस्तृत हिंदी अनुवाद प्रस्तुत कर ऐतिहासिक कार्य किया है। वहीं प्रोफेसर इंदिरा अठावले ने किताब की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह किताब हमें रास्ता दिखाती है। बिना इस किताब को पढ़े हम डॉ. आंबेडकर के विचारों को नहीं जान सकते हैं। हम यह भी नहीं जान सकते हैं कि कैसे जातीय भेदभाव और जाति के विनाश के लिए संघर्ष किया जाय। उन्होंने आह्वान किया कि हर व्यक्ति को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए।

सम्मेलन में फारवर्ड प्रेस के संपादक (हिंदी) डा‍ॅ. सिद्धार्थ ने कहा कि फारवर्ड प्रेस का उद्देश्य बहुजन समाज को वैचारिक उपकरणों से लैस करना है, क्योंकि बहुजनों से उनकी  वैचारिकी छीन कर ही द्विजों ने अपना वर्चस्व कायम किया। डॉ. आंबेडकर की किताब ‘जाति का विनाश’ बहुजनों की मुक्ति का घोषणा-पत्र है। उन्होंने यह भी बताया कि इस किताब में डॉ. आंबेडकर के 1916 के शोध-पत्र जाति की उत्पत्ति, तंत्र और विकास को भी समाहित कर लिया गया है।  पाठकों की सुविधा को ध्यान में रखकर संदर्भ और टिप्पणियां भी लगा दी गई हैं। उन्होंने कहा कि हम इससे पहले ‘महिषासुर: मिथक और परंपराएं’ और ‘दलित पैंथर का इतिहास’ जैसी महत्वपूर्ण किताबें प्रकाशित कर चुके हैं।

सम्मेलन में मौजूद गणमान्य

सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय आंबेडकर महासभा के अध्यक्ष अशोक भारतीय ने बहुजन आंदोलन के हालात पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज हमारे प्रतिनिधि समाज के नाम पर अपने हितों को साध रहे हैं। उन्होंने यह कहा कि हमें अपने जमीनी सघर्षों पर भरोसा करना होगा। उन्होंन  2 अप्रैल संघर्ष को दलित-बहुजनों का ऐतिहासिक संघर्ष की उपलब्धियों की भी चर्चा की।

सम्मेलन में पदोन्नति और अन्य मुद्दों पर व्यापक संघर्ष की रणनीति पर भी चर्चा हुई। सभी वक्ताओं ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से आरक्षण के प्रावधानों को लगातार कमजोर किया जा रहा है। ऐसे नियम बनाए जा रहे हैं, जिससे एससी-एसटी तबका आरक्षण का लाभ नहीं ले सके। पदोन्नति में आरक्षण के विषय पर वक्ताओं ने कहा कि संगठनों द्वारा साझा लड़ाई के बाद पिछली सरकार के कार्यकाल में पदोन्नति में आरक्षण का विधेयक तैयार किया गया था। उस समय यह विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया था। लेकिन, लोकसभा में यूपीए के सदस्यों में सर्वसम्मति नहीं होने की वजह से यह विधेयक पास नहीं हो सका था। अब लोकसभा में भी सत्तासीन भाजपा के पास स्वतंत्र रूप से पर्याप्त बहुमत है। इसलिए इस विधेयक को तत्काल पारित किया जाना चाहिए।

सम्मेलन को ऑल इंडिया डिफेंस-सचिवालय एससी-एसटी इंप्लॉइज फेडरेशन के राष्टीय महासचिव एम.के. वी.के, नरसिंह राव और लीला चन्द्रा ने भी संबोधित किया।

(कॉपी एडिटर : नवल)


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बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार 

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