h n

जातिवाद का आरोप : जेएनयू में फिर बिखरा ओबीसी का कुनबा

जेएनयू के ओबोसी फोरम ने जातिवाद के आरोप में अपने छात्र-नेता को निष्कासित कर दिया है। क्या है सच, क्यों बार-बार इसी आरोप में बिखरता है ओबीसी का कुनबा? कमल चन्द्रवंशी की रिपोर्ट :

नई दिल्ली, 22 अगस्त, 2018 : महज पांच-सात साल पुरानी घटना को अगर इतिहास कहा जा सकता हो तो आप कह सकते हैं, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में इतिहास दोहराया गया है!

आज यूनिवर्सिटी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों का संगठन ‘यूनाइटेड ओबोसी फोरम’ बिखर गया। संगठन के चेहरे के रूप में प्रचारित छात्र-नेता मुलायम सिंह यादव और दिलीप यादव पर उनके साथियों ने जातिवाद के गंभीर आरोप लगाए हैं।….

पूरा आर्टिकल यहां पढ़ें : 

https://www.forwardpress.in/2018/08/jativad-ka-aarop-jnu-me-phir-bikhara-obc-ka-kunba/

लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...