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आज आदिवासी दिवस, अब जल जंगल और जमीन से आगे की है लड़ाई

दुनियाभर में आज हर्षोल्लास के साथ आदिवासी समुदाय के लोग जश्न मना रहे हैं। लेकिन भारत में उनका अथक संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। उनके संघर्ष के चलते इतना जरूर है कि वह इस मुकाम पर पहुंच गए कि सीधे सत्ता को चुनौती देने में समर्थ हैं। उनके तेवर समझने की कोशिश कर रहे हैं कमल चंद्रवंशी :

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में आदिवासी दिवस (9 अगस्त) पर कई कार्यक्रम हो रहे हैं। सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री और बीजेपी मिलकर कई कार्यक्रम कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच आदिवासी अधिकार यात्रा की सर्वाधिक चर्चा है जो 29 जुलाई को रतलाम से शुरू हुई और हरदा जैसे कई जिलों से होकर धार में पहुंच गई। इसके संयोजक जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) के संयोजक हीरा लाल अलावा से हमने खास बातचीत की, उसके कुछ अंश सबसे पहले।

मध्यप्रदेश के बडवानी जिले के बदनावर में आदिवासियों ने रैली निकालकर एकता जाहिर की

हीरा लाल अलावा कहते हैं, “संविधान की पांचवीं सूची के तहत उनके (आदिवासियों के) ही क्षेत्र में रोज़गार मिलना चाहिए- क्यों नहीं मिल रहा है? राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री को विशेष अधिकार है कि वो अपने अधिकारों का उपयोग कर आदिवासियों को उनके इलाकों में रोज़गार दिला सकते हैं तो क्यों नहीं संवैधानिक पदों पर बैठे लोग अपने अधिकार का उपयोग कर रोज़गार देते। आरएसएस हमारा विरोध कर रही है। वह हमेशा ही आदिवासी विरोधी है। वह हमें वनवासी कहते हैं, हम आदिवासी हैं। वनों में जानवर रहते हैं, हम शेर, भालू नहीं हैं, मनुष्य हैं। वह अभी तक हमको आदिवासी बोलते ही नहीं हैं। जब हमने विरोध किया तब बीजेपी संगठन वालों ने अपने लोगों से कहा कि इन लोगों को वनवासी नहीं आदिवासी कहिए। लेकिन इनकी हिस्ट्री में हम अभी वनवासी ही चल रहे हैं। हम आदिकाल से से अपने क्षेत्र में हैं इसलिए आदिवासी हैं। हम यहाँ के मूल लोग हैं। वह चाहते नहीं कि आदिवासियों को उनकी पहचान मिले।

धार में आदिवासी समाज के प्रतिनिधि सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हुए

जयस के नेता ने एक और सवाल पर कहा, वे हमारे मुद्दों को भटकाना चाहते हैं। राजस्थान सरकार ने 9 अगस्त को कल्याण दिवस मनाने की घोषणा कर ली। हम इनको कह रहे हैं की जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासी दिवस एक विधिवत नाम दिया है- तो आप नाम बदलने वाले कौन होते हैं। इनकी मंशा साफ़ है, वो आदिवासी का कोई भी हित नहीं चाहते। वह हमारे मूल अधिकारों और मूल पहचान को ख़त्म करना चाहते हैं। हम लोगों ने कहा है कि हम किसी पार्टी का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन अगर आपकी सरकार है तो आप बिजली, सड़क स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं नहीं दे सकते तो आपको वोट मांगने का भी कोई अधिकार नहीं है। हमारा युवा नेतृत्व तैयार है।

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हम नेताओं को अपने इलाके घुसने का विरोध नहीं कर रहे। बस हम चाहते हैं वो प्रतिनिधि हैं तो आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति की बात करें तब हम कांग्रेस, बीजेपी सबका स्वागत करेंगे। किसान, गरीब और आदिवासी की बात करेंगे तो सुनेंगे, सिर्फ अपने मन की बात करेंगे तो नहीं सुनेंगे। हम आदिवासी इलाकों में सांगठनिक तौर पर मजबूत हो रहे हैं और हम अपने लोगों को तैयार कर रहे हैं जिन्हें हम संसद और विधानसभा में भेजेंगे। 29 जुलाई से हमने रतलाम से अधिकार रैली शुरू की। हम जल, जंगल और ज़मीन की हर लड़ाई के जितने खड़े हैं वो तो है ही- उससे भी आगे जा रहे हैं, तैयार हो रहे हैं। हर आदिवासी तैयार है। युग तैयार हो रहा है। यह हमारे आंदोलन की दीर्घ रणनीति है। अधिकार लेना हमारा मकसद है। ज़मीन के नीचे छिपी अपार खनिज संपदा में भी हम अपना हक़ लेकर रहेंगे। जिन भी क्षेत्रों में आदिवासियों का हक़ है वहां से मिलने वाले किसी भी लाभ में आदिवासी को हक़ मिलना चाहिए। आदिवासी इलाकों में कई बाँध बन रहे हैं लेकिन आदिवासियों को बिजली नसीब नहीं है। बड़े-बड़े तालाब बनाए गए हैं लेकिन उनको पानी नहीं मिला है। आप प्राथमिकता के आधार पर आदिवासियों को उनका लाभ दें…।” 

कालीबावड़ी में जोरदार रैली

मध्य प्रदेश के कालीबावड़ी में आदिवासी समाज के नारों की गूंज है। डरो मत अंधियारों से अब भोर होने वाला है। सुन पा रहा हूं गर्जना अब शेर आने वाला है। सुना है जन-जन से अब गांव-गांव में आदिवासी राज आने वाला है।आदिवासी गांव कालीबावड़ी में आदिवासी यात्रा में कहा गया कि अगर सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हम गांव-गांव से आदिवासी नेतृत्व खड़ा करेंगे। टोंकी में अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्टरी के लिए 25 आदिवासी गांवों को खाली करा दिया। जैतापुर, धामनोद में किसानों की खड़ी फसलों पर बुलडोजर चढ़ाया गया। कालीबावड़ी से ये यात्रा उमरबन होते हुए मनावर के लिए निकली। जिसमे बड़ी संख्या में आदिवासी युवा साथ थे। रैली बदनावर बैजनाथ महादेव मंदिर से निकली। हीरालाल ने कहा कि हमारा संगठन किसी को धर्म से दूर नहीं करता कुछ राजनेता संगठन को बदनाम करने के लिए अफवाह फैला रहे हैं।

अधिकार यात्रा के बाद जयस की आदिवासी दिवस पर धार में जनसभा हो रही है। दाएं जयस के संयोजक युवा आदिवासी नेता हीरा लाल अलावा

संगठन का वर्चस्व बढ़ने पर ही मुख्यमंत्री ने भोपाल बुलाकर चर्चा की थी। हमने उन्हें 25 सूत्रीय मांगें दी हैं। जब तक हल नहीं होंगी आंदोलन चलता रहेगा। सरकार जयस के पदाधिकारियों के परिजनों के तबादले करके उनके साथ प्रताड़ना बंद करे। रैली में पहुंचे आदिवासी यात्रा के कालीबावड़ी पहुंचने पर कार्यकर्ता और ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया।

राजस्थान के नवागांव में हनुमान मंदिर परिसर में  पांच पंचायतों की राजा बांसिया भील संस्थान की बैठक हुई। इसमें विश्व आदिवासी दिवस पारंपरिक वेशभूषा में मनाने का निर्णय लिया गया। पांच पंचायतों के युवा जिला मुख्यालय पर कार्यक्रम की प्रस्तुति देंगे। नवागांव में रामलाल खराड़ी, मोहनलाल निनामा, संस्थान के अध्यक्ष दिनेश चरपोटा, धर्मेंद्र डामोर, संपत निनामा, वासुदेव मईड़ा और कई अन्य सक्रिय हैं।

धनबाद में सोनेत  संथाल समाज की जिला परिषद मैदान से रणधीर वर्मा चौक तक झांकी निकालेगी। यह जानकारी झामुमो के जिलाध्यक्ष रमेश टुडू दी। उन्‍होंने कहा कि पड़ोसी राज्य बंगाल में विश्‍व आदिवासी दिवस  के दिन राज्‍य सरकार ने छुट्टी की घोषणा की है। वहीं झारखण्ड आदिवासी बहुल राज्‍य होने के वाबजूद इस दिवस पर छुट्टी नहीं मिलती। राज्य सरकार से उन्‍होंने मीडिया के माध्‍यम छुट्टी की अपील की थी।

रांची में नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर केंद्रीय सरना समिति पारंपरिक वेशभूषा व पारंपरिक मांदर, ढोल, नगाड़े के साथ विशाल शोभायात्रा निकाल रही है। यह सैनिक मार्केट से निकल कर मोरहाबादी स्थित दीक्षांत मंडप तक जाएगी। जहां पर आदिवासी बुद्धिजीवियों का व्याख्यान होगा। समिति ने घाघरा, हरमू, कडरू, धुर्वा, जगन्नाथपुर, हिनू क्षेत्र में प्रचार अभियान चलाया। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने बंगाल की तर्ज पर झारखंड में भी नौ अगस्त को आदिवासी दिवस पर सरकारी अवकाश देने की मांग की है।

उज्जैन में आदिवासी मोंगिया समाज महारैली निकालकर जिला स्तर पर आदिवासी दिवस मना रहा है। रैली में ट्रैक्टर, कार, बाइक शामिल रहेंगे। ढोल, डीजे, बैंड, आदिवासी नृत्य, संस्कृति गीतों के साथ महारैली सामाजिक न्याय परिसर से सुबह निकाली जाएगी जो आयोजन स्थल पर पहुंचेगी। मोंगिया आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश राठौर ने बताया महारैली में पांच हजार से अधिक आदिवासीजन शामिल होंगे।

मध्य प्रदेश के जामताड़ा में विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य पर स्थानीय गांधी मैदान में तीन दिवसीय फुटबाल टूर्नामेंट का शुभारंभ किया गया। जिसका उदघाटन अनुमंडल पदाधिकारी नवीन कुमार एवं मांझी परगना सरदार महासभा के जिला अध्यक्ष प्रो सुनील कुमार हंसदा ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर किया। इस टूर्नामेंट में कुल 8 टीमों ने भाग लिया। वक्ताओं ने कहा कि फुटबॉल झारखंड का लोकप्रिय खेल है जिले के हर क्षेत्र में फुटबॉल खिलाड़ी हैं लेकिन उसकी प्रतिभा निखारने की समुचित सुविधा नहीं हो सकी है। सामाजिक लोग आगे आए हैं और प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रेरित करने के साथ-साथ के खेल संसाधन भी उपलब्ध कराने का प्रयास करें। मांझी परगना सरदार महासभा के जिला अध्यक्ष प्रो सुनील कुमार हांसदा ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस आदिवासियों की पहचान है इससे आदिवासियों में जागरूकता आती है। आदिवासी परिश्रमी व पर्यावरण प्रेमी होते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस का मुख्य कारण है आदिवासी युवा वर्ग में जागरूकता लाना।

सीएम को सुनेंगे लोग

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में सहायक आयुक्त शकुंतला डामोर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। कार्यक्रम कृषि उपज मंडी में होगा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एलईडी से उपस्थित आदिवासी समुदाय के लोगों को संबोधित करेंगे। आदिवासी समुदाय के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जेईई, नीट क्लैट में उत्तीर्ण होने वाले व राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले अभ्यर्थियों को पुरस्कृत किया जाएगा। इसके अलावा आदिवासी समाज के सम्माननीय व्यक्तियों का भी सम्मान होगा।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह रायपुर के इंडोर स्टेडियम में विश्व आदिवासी दिवससमारोह के मुख्य अतिथि हैं। केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णुदेव कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। विश्व आदिवासी दिवस 2018 आयोजन समिति रायपुर द्वारा आयोजित इस समारोह में केंद्रीय जनजातीय कार्यमंत्री जुएल ओराम अति-विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा, आदिम जाति विकास मंत्री केदार कश्यप, वनमंत्री महेश गागड़ा, लोकसभा सांसद दिनेश कश्यप, विक्रम उसेंडी और कमलभान सिंह, राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम, राष्ट्रीय जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय, संसदीय सचिव गोवर्धन मांझी, सुनीता राठिया, चंपादेवी पावले और शिवशंकर पैकरा, बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भोजराज नाग, सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजशरण भगत, विधायक भी शामिल हो रहे हैं।

(कॉपी एडिटर : एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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