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आदिवासी किसानों का नरंसहार, पुलिस ने की फर्जी मुठभेड़?

छत्तीसगढ़ के सुकमा, जगदलपुर में 15 ‘नक्सलियों’ के मारे जाने के बाद पुलिस और खुफिया महकमा वाहवाही लूट रहा है। कलई तब खुल गई जब यह बात सामने आयी कि पुलिस वालों ने नाबालिग मारे और मासूम और महिलाओं पर हमला किया गया :

छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों को खात्मे के नाम पर 15 बेकसूर आदिवासियों के मारे जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सुकमा और जगदलपुर में दर्दनाक मंज़र है। पूरी दुनिया के आदिवासी आज (9 अगस्त को) जश्न मना रहे हैं तो यहां के 4 गांवों के अभागे आदिवासी अपने नाबालिग मासूमों और परिजनों के ठंडे कलेजे को सीने से लगाए ज़ार-ज़ार बिलख रहे हैं। इसके साथ ही लंबे समय बाद नक्सल प्रभावित इलाके की आड़ में देश की सुरक्षा एजेंसियों, नक्सल ऑपरेशन टीम और खुफिया विभाग की सारी कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गई है। 6 अगस्त को पुलिस और सरकार ने कहा था कि जिले में सुरक्षाबलों के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है जब कोंटा के नलकातुंग गांव के पास जंगल में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई और 15 नक्सली मार गिराए गए।

पॉलीथीन में रखे आदिवासियों के शव और प्रेस कांफ्रेंस करते स्पेशल डीजी एंटी नक्सल, छत्तीसगढ़

पॉलीथीन में लाशें

स्थानीय पत्रकार लिंगाराम कोपोडी से हमने घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा लिया। लेकिन पहले देखते हैं उन्होंने अपने एक आलेख का क्या लिखा है। कोपोडी कहते हैं हम गाँव के लोगों को कैसे विश्वास दिलाएं की इस महादेश में आदिवासियों के लिए लोकतंत्र, संविधान, कानून ये सब मूलनिवासियों के रक्षक हैं। 15 आदिवासियों को मार कर पॉलीथिन में लाया गया। आज छोटे-बड़े अखबारों में बड़े-बड़े अक्षरों में सुकमा पुलिस प्रशासन को शाबाशी मिली है कि जिला सुकमा की पुलिस ने 15 नक्सलियों को मारकर बहुत  गौरवपूर्ण कार्य किया हैं। जिला सुकमा एसपी अभिषेक मीणा, डीएम अवस्थी, एडीजे. नक्सल ऑपरेशन इन सभी ने पुलिस अधिकारियों को शाबाशी दी है। सीएम रमन सिंह ने भी दी है। कुछ दिन बाद इन पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। शायद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को यह नहीं पता कि मरने वाले नक्सली नहीं बल्की मासूम आदिवासी युवक युवती हैं।

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न मासूमों को छोड़ा न महिलाओं को

बस्तर संभाग के आदिवासी- माड़िया, मुरिया, गोंड जंगलों में रहकर जीवन यापन करते हैं। इन मूलनिवासियों को भारत सरकार, पुलिस प्रशासन नक्सली कहती हैं और आए दिन मारती है। 15 आदिवसियों को जिला सुकमा के मेहता पंचायत के चार गांवों,  नुलकातोग से सात आदिवासी नाबालिग बच्चे थे। (1) हिड़मा मुचाकी/लखमा, (2) देवा मुचाकी/हुर्रा, (3)मुका मुचाकी/मुका (4) मड़कम हुंगा/हुंगा, (5) मड़कम टींकू/लखमा, (6) सोढ़ी प्रभु/भीमा (7) मड़कम आयता/सुक्का। सभी नाबालिग हैं। सभी की उम्र 14, 15, 16 और 17 साल है जैसा परिजनों का भी दिया ब्यौरा भी करता है। ग्राम वेलपोच्चा से वंजाम हुंगा/नंदा को पुलिस ने पकड़ा है और उसे इनामी नक्सली कह रही है। इनके अलावा और तीन युवकों को पकड़ा है। कई गांव वालों को पुलिस कर्मियों ने दौड़ा-दौड़ा कर मारा हैं, जिनमें गर्भवती महिलाएं भी हैं। यह बात हमे तब पता चली जब मैं और सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी, रामदेव बघेल परिजनों से मिले। परिजनों ने अपनी पूरी व्यथा सोनी सोरी को सुनाई। चारों गाँव के ग्रामीणों का कहना हैं कि यह सारे ग्रामीण हैं। कोई मुठभेड़ नहीं हुई है। गांव मे कोई नक्सली था ही नहीं, आप सब से मेरी अपील है कि आपको और सच्चाई जाननी हैं तो आप मेहता पंचायत के गोमपाड़ गांव में जा सकते हैं, और चारों गांव के ग्रामीणों से मिल सकते हैं।”

कई गांवों की महिलाएं पुलिस की करतूत से बेसहारा हो गईं (फोटो सौजन्य एल कोपोडी)

पत्रकार ने आगे कहा, सुकमा जिले के चार गाँव गोमपाड़, किन्द्रेमपाड़, नुलकातोग, वेलपोच्चा 15 आदिवासियों के मारे जाने के दुख में गमगीन हैं। हम जश्न मनाने वाली मशीनरी से पूछते हैं नक्सलियों के नाम पर मारे गए आदिवासी आपके समुदाय के नहीं है? क्या ये गाँव आपके नहीं हैं? आप सब आदिवासी दिवस किसके साथ मना रहे हैं? आप उस सरकार के साथ मना रहे हैं जो आपके समाज, समुदाय, और लोगों को नक्सलियों के बहाने से मार रही हैं। आज भारत देश में आठ करोड़ से नौ करोड़ आदिवासी, मूलनिवासी जीवन यापन कर रहे हैं। देश के छत्तीसगढ़ राज्य में मूलनिवासी दिवस राज्य सरकार के प्रतिनिधित्व में रायपुर में मना रहे हैं।

 

सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने भी सुकमा जिले के नुलकातोंग में हुए एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए। सोरी का आरोप है कि एनकाउंटर फर्जी है। उनका दावा है, पुलिस एनकाउंटर में मारे गए जिन लोगों को नक्सली बता रही है, उनमें 6 तो नाबालिग हैं। ग्रामीणों को जंगल में एक स्थान पर घेरकर मारा गया है।

डीजीपी और एसपी के सुर

वहीं, सुकमा एसपी अभिषेक मीणा ने मारे गए नक्सलियों की शिनाख्त करते हुए उन पर पुराने मामले होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मारे गए नक्सल कमांडर वाचम हुंगा के परिजन का बयान भी सामने लाया गया है, जिसमें वे पिछले तीन साल से वाचम के नक्सलियों के साथ होने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा एनकाउंटर के दौरान पकड़ी गई घायल महिला नक्सली बुधरी को पुलिस ने जिला अस्पताल में एडमिट कराया। शुरुआत में महिला नक्सली के पैर में गोली लगने की बात सामने आई थी। मीणा ने बताया कि बुधरी के पैर में गोली नहीं लगी है। भागने के दौरान उसका पैर मुड़ गया और वह गिरकर घायल हो गई। जिससे उसे कमर व पैर में मोच आई है। उन्होंने बताया कि बुधरी नुलकातोंग की रहने वाली है। साल भर पहले ही बतौर मिलिशिया सदस्य वह नक्सली संगठन से जुड़ी थी।

नक्सल प्रभावित इलाकों में गश्त करते सुरक्षाबल (फोटो- आईई)

लेकिन पुलिस इस बारे में कोई जवाब नहीं दे पा रही है कि जब भागते लोगों को मारा गया या सामने से एनकाउंटर किया गया तो मासूमों पर कैसे और किसने फायरिंग की। बच्चों को क्यों निशाना बनाया गया।

एंटी नक्सल ऑपरेशन के डीजीपी डीएम अवस्थी के मुताबिक इस एनकाउंटर से नक्सलियों को गहरा धक्का लगा है। उन्होंने बताया कि तमाम नक्सली हथियारबंद थे और वे कैंप में ट्रेनिंग ले रहे थे। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के जवानों ने उनकी तगड़ी घेराबंदी की है। अवस्थी ने बताया कि जवानों ने उन्हें पहले हथियार डालने की चेतावनी दी, लेकिन नक्सलियों ने उन पर लगातार फायर शुरू कर दी। मजबूरन डीआरजी को भी इन्हें मुंहतोड़ जवाब देना पड़ा। पकड़े गए नक्सलियों (एक महिला और एक पुरुष) से गहन पूछताछ हो रही है। कई बड़े नक्सली फोर्स के मूवमेंट से भयभीत है और इस एनकाउंटर की कामयाबी से विवाद पैदा करना चाहते हैं। उधर, मुठभेड़ स्थल से बरामद हथियारों, नक्सली प्रचार सामग्री और दूसरे सामानों को सुकमा जिला मुख्यालय लाया गया है. बस्तर रेंज के डीआईजी रतनलाल डांगी और एसपी अभिषेक मीणा के मुताबिक आत्मसमर्पित नक्सलियों ने इस एनकाउंटर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

(कॉपी एडिटर – एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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