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आदिवासियों ने दिखाए तेवर, तैयार रहे सरकार

विश्व आदिवासी दिवस जश्न की तारीख है। इसे आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन की स्थापना की 25वीं वर्षगांठ को वे यूएनओ की भावनाओं के अनुरूप मनाना चाहते हैं; मनाएंगे भी, इसीलिए वे सरकारी तंत्र को झूठे प्रचार के लिए अपना मंच देने को हर्गिज तैयार नहीं हैं। फॉरवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :

देश के आदिवासी समाज ने 9 अगस्त के गौरव दिवस के जश्न के लिए जोरशोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार सबसे खास बात ये है आदिवासी समुदायों ने न सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं बल्कि अपने हकों के लिए जेल भरो आंदोलन और जगह-जगह शक्ति प्रदर्शन के भी कार्यक्रम बनाए हैं।

आदिवासियों के संघर्ष और विरोध के तेवर देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार को 20 जिलों में सरकारी अवकाश घोषित करना पड़ा है तो झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी कई जिलों में प्रशासनिक स्तर लिए गए फैसलों में इस दिन छुट्टी रखने की घोषणा की गई है। मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदाय और और उनके नेताओं ने ऐलान किया है कि मुख्यमंत्री अपने सरकारी तंत्र के प्रचार कार्यक्रमों को लेकर उनके इलाके में आए तो उनको काले झंडे दिखाए जाएंगे।

मध्यप्रदेश के आदिवासी अपनी मांगों के सिलसिले में विचार करते हुए

बताते चलें कि दुनिया के तमाम आदिवासी और जनजाति समुदायों के लो 1994 से आदिवासी गौरव दिवस मनाते हैं। विश्वभर के आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए 1982 मेँ संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक कार्यदल (यूएनडब्ल्यूजीईपी) के उप-आयोग की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 9 अगस्त 1994 में जेनेवा में विश्व के आदिवासी प्रतिनिधियों का विशाल अन्तर्राष्ट्रीय आदिवासी सम्मेलन आयोजित किया। आदिवासियों की संस्कृति, भाषा, उनके मूल हकों को सभी ने एक मत से स्वीकार किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में व्यापक चर्चा के बाद से दुनियाभर के देशों को तभी से आदिवासी दिवस मनाने का निर्देश दिया गया था।

विश्व आदिवासी दिवस को आदिवासी समुदाय गौरव दिवस के रूप में मनाता है (फोटो : टेलीग्राफ)

मध्यप्रदेश सरकार में जनसंपर्क मंत्री ने हमें बताया कि प्रदेश में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस नौ अगस्त के मौके पर 89 आदिवासी विकासखंड वाले बीस जिलों में सरकारी छुट्टी रखी गई है। इस दिन आदिवासियों के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और सरकार कुछ नई योजनाओं की भी शुरुआत करेगी। उन्होंने बताया कि झाबुआ, अलीराजपुर सहित कुछ अन्य जिलों में प्रशासन स्थानीय अवकाश घोषित करता रहा है लेकिन प्रदेश स्तर पर इस तरह की व्यवस्था पहली बार बनाई जा रही है। अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सीधी,बालाघाट, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खंडवा, बड़वानी, खरगोन, झाबुआ, अलीराजपुर, धार, रतलाम, श्योपुर जिलों में छुट्टी रखने की घोषणा की गई है।

कोरबा (छत्तीसगढ़) में आदिवासी संयुक्त आयोजन समिति के तत्वावधान में 9 अगस्त तैयारी के सिलसिले में 5 अगस्त से विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत हो रही है। आदिवासी नेताओं ने बताया कि 5 अगस्त को कोरबा जिला के पांचों ब्लाकों में खेल और सांस्क़ृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ होगा। 6 अगस्त को गेवरा मातृ शक्ति के तत्वावधान में गोंड़वाना के गुरसिया व तिवरता में पढ़ने वाले बच्चों के विभन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं वहीं 7 अगस्त को आदिवासी शक्तिपीठ कोरबा में इलाके के प्रतिभाशाली खिलाड़ी जमा होंगे।

किसानों का साथ मिला

गोड्डा (झारखंड) विश्व आदिवासी दिवस की खास तैयारी है। 6 अगस्त 2018 को अनुसूचित जाति एवं जनजाति के नेता धर्मेंद्र पासवान के द्वारा झारखंड सरकार रघुवर दास का पुतला दहन का कार्यक्रम किया जाएगा। आदिवासी समुदाय का कहना है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून को अविलंब वापस लिया जाना चाहिए, सरना कार्ड को जल्द से जल्द लागू किया जाए। साथ ही पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों और पेशा कानून को भी लागू करने की मांग उठाई गई है। आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार आदिवासियों को आपस में बांटने काम बंद कर दे।

गोड्डा (झारखंड) में आदिवासी दिवस की तैयारी को लेकर बैठक हुई

राजस्थान के उदयपुर से  नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन और जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दी गई है। आंदोलन अखिल भारतीय किसान सभा और आदिवासी जनाधिकार मंच के संयुक्त तत्वावधान में होगा। ये वही अखिल भारतीय किसान सभा है जिसके महागठबंधन ने महाराष्ट्र और देश के दूसरे हिस्सों में किसानों के लिए आंदोलन चलाए थे। किसान सभा के नेता हाकर चन्द खराड़ी ने बताया कि 9 अगस्त को संभागीय आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन के पहले सभा होगी।

शिवराज का होगा विरोध

रतलाम (मध्य प्रदेश) में जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) और कांग्रेस ने एक मंच से कहा कि सीएम को कार्यक्रम प्रशासन इसलिए रख रहा है क्योंकि सरकार को आदिवासियों के त्योहार की फ्रिक नहीं है। इन संगठनों ने कहा कि वो सीएम और बीजेपी नेताओं को काले झंडे दिखाएंगे। जयस ने साफ किया है कि वोट की राजनीति के लिए कभी पीएम तो कभी सीएम आदिवासियों को रिझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अब वो बहकावे में नहीं आएंगे। एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक आदिवासी दिवस पर 9 अगस्त को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान झाबुआ भी जाएंगे। वे यहां से प्रदेशभर के आदिवासियों को संबोधित करेंगे। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण प्रदेशभर में होगा। सभी जिलों में सीधा प्रसारण आदिवासियों को दिखाने की व्यवस्था की जाएगी। सीएम के कार्यक्रम को लेकर जयस ने विरोध करते हुए कहा है कि उनको सरकारी मशीनरी के प्रचार कार्यकम से कोई लेना देना नहीं है।

झारखंड में आदिवासी दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की छटा देखते ही बनती है

पता चला है कि सीएम के आदिवासी दिवस कार्यक्रम की घोषणा होते ही झाबुआ में भाजपा नेता और प्रशासनिक अधिकारी हरकत में हैं। करीब एक लाख लोगों को कार्यक्रम में लाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए भाजपा ने मंडल स्तर की बैठकें शुरू कर दी हैं। कार्यक्रम में लोगों को लाने के लिए लक्ष्य तय किए जा रहे हैं। पीजी कॉलेज मैदान और गोपालपुरा के पास हवाई पट्टी के मैदान में से किसी एक स्थान पर सभा कराने की तैयारी है।

 जयस की दो टूक

जयस के नेता महेश भाबर का कहना है जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए आदिवासियों को जागरूक करना जरूरी है। इसी उद्देश्य से यूएनओ ने 9 अगस्त को आदिवासी दिवस घोषित किया था। इस दिन राजनीतिक पार्टियों को आदिवासियों के बीच पहुंच कर उनके कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए जबकि देखा जा रहा है कि वोट बैंक की राजनीति के लिए आदिवासियों को ढाल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। आदिवासी नेताओँ का कहना है बीजेपी विश्व आदिवासी दिवस का नाम बदलकर भाजपा आदिवासी जन कल्याण दिवस करना चाहती है। इस तरह आदिवासियों के त्योहार पर अपना ठप्पा लगाना चाहती है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। पुरजोर विरोध किया जाएगा। आदिवासी दिवस पर समाज के लोग एक-दूसरे से मिलते हैं। खुशी मनाते हैं। भाजपा इस दिन अपनी राजनीतिक रोटियां सेकना चाहती है। प्रशासन को टारगेट देकर समाज के लोगों को जबरन सभा स्थल तक लाकर त्योहार बिगाड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री चाहे तो दूसरे किसी दिन कार्यक्रम कर लें, त्योहार को हम बिगाड़ने नहीं देंगे।

मध्यप्रदेश के हरदा में आदिवासी समाज ने नेता रमेश मसकोले ने बताया कि इस बार वो आदिवासी दिवस मंडी में मनाएंगे। इसमें समाज के जिलेभर से लोग आएंगे। पारंपरिक आयोजन होंगे। आदिवासी समाज द्वारा देश के विकास व आजादी की लड़ाई में दिए योगदान पर चर्चा होगी। शिक्षा सामाजिक एकता और राजनीति में समाज की भागीदारी पर चर्चा की जाएगी। डूंगरपुर (राजस्थान) में विश्व आदिवासी दिवस की खास तैयारी है। अरावली आदिवासी मुक्ति संगठन के नारायणलाल रोत और राजस्थान आदिवासी महासमिति सुंदरलाल परमार ने बताया कि समाज के सामाजिक कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारी तय अनुसार काम कर रहे है। विश्व आदिवासी दिवस पर पंच, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य,जिला परिषद, जिला प्रमुख, विधायक, सांसद, मंत्री, मेट, कोतवाल व अन्य भाग लेंगे।

हजारीबाग (झारखंड) में आदिवासी छात्र संघ की बैठक के बाद प्रीति एक्का ने कहा कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी कार्यक्रम का आयोजन पूरे धूमधाम से करने का किया जाएगा। कार्यक्रम में आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों, वक्ताओं व ग्रामीणों को आमंत्रित किया जाएगा। बैठक में संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष सुशील ओडेया ने कहा कि आदिवासियों को बचाने व उन्हें विकासोन्मुख करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की बचनबद्धता के अनुरूप कार्य किया जाएगा। राजस्थान के रतापुर, परतापुर के भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा शाखा गढ़ी ने डीएम से मिलकर के 9 अगस्त को विश्व आदिवासी पर स्थानीय अवकाश घोषित करने की मांग की है। प्रशासन को चेताया गया कि 5 अगस्त से पहले स्थानीय अवकाश घोषित नहीं किए जाने पर मुख्यालयों पर क्रमिक अनशन व प्रदर्शन किया जाएगा।

झारखंड में लातेहार, दुमका, पाकुड़, रांची, सरायकेला, जामताड़ा, पूर्वी सिंहभूमि और साहेबगंज जिलों में आदिवासियों ने जिला और मंडल स्तर पर आयोजन किए हैं। यहां के आदिवासी संगठनों का कहना है कि उन्होंने पिछले 25 सालों में समाज को आगे बढ़ने में जितनी मदद की है उतनी कथित मुख्यधारा के लोगों ने नहीं की। मध्य प्रदेश के आठ जिलों में सिंगरौली बड़वानी, गुना, विदिशा, खंडवा, छतरपुर, दमोह और राजगढ़ के आदिवासी समुदाय का मानना है कि उनके इलाकों की तस्वीर कहीं ज्यादा बदली दिखती अगरपिछड़ेपन के लिए सरकार औद्योगिक विकास को रफ्तार देती। लेकिन हालत तो ये है कि बारिश की दो बूंदें ना गिरें तो हर साल सूखा हो जाए। जाहिर है इन इलाकों में सिंचाई,शिक्षा और स्वास्थ्य के हालत बदतर हो चले हैं।


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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