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आदिवासियों ने मनाई अखाड़ी

गांव आदर्श दनोरा के आदिवासी समाज ने अखाड़ी पर्व मनाया। आदिवासी समुदाय के लोग अखाड़ी को साल का प्रथम त्योहार मानते हैं और इसे धूमधाम मनाते हैं। इसी दिन से भगत-भूमका और धर्म गुरु अपने शिष्यों को शिक्षा-दीक्षा देना शुरू करते हैं

बैतूल/सारणी। मध्‍यप्रदेश के बैतूल जिले में स्थित भीमपुर ब्लॉक के आदर्श दनोरा गांव के आदिवासी समाज ने अखाड़ी पर्व मनाया। खास बात यह है कि आदर्श दनोरा के सभी आदिवासियों ने अपने इस पारंपरिक त्योहार को स्वच्छता से जोड़कर अपने गांव में सफाई की। आदर्श दनोरा गांव के लोगों से प्रेरित होकर इस गांव से आसपास के ग्रामीण भी अपने-अपने गांवों में सफाई करने लगे हैं। कहा तो यह जा रहा है कि मध्य प्रदेश का यह पहला गांव है, जिसे यहां के आदिवासियों ने मिलकर अत्यधिक साफ-सुथरा कर दिया है। गांव के सभी पुरुषों व महिलाओं के अलावा भगत-भुमका ने भी साफ-सफाई करवाई।

अखाड़ी पर्व के दौरान बड़ा देव की पूजा करते आदिवासी

हर साल की तरह अखाड़ी त्योहार पर ग्रामीणों ने सूर्योदय से पहले ही गांव के गली-मोहल्लों से कचरा उठाया और झाड़ू लगाकर नालियों की सफाई की। इसके उपरांत गोमूत्र व जल छिड़ककर गांव को पवित्र किया। गांव को पवित्र करने के बाद सभी महिला-पुरुष सारा कचरा मेंढा (गांव की सीमा) पर विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद कचरा छोड़ दिया। ग्रामीण मानते हैं कि ऐसा करने से गांव में न तो किसी भी प्रकार की गंदगी रहेगी और न ही बीमारी किसी को कोई बीमारी होगी। बता दें कि इस गांव में अखाड़ी का त्योहार हर साल इसी तरह से मनाया जाता है और यहां यह अभियान कई पीढ़ियों से चल रहा है।

बड़ा देव का मंदिर

इधर, सारणीे के डेहरी आमढाना के नांदिया घाट पर पूजन कर आदिवासियों ने श्रावण मास का शुभारंभ किया। इस दौरान ग्राम पंचायत सरपंच नकल सिंह मर्सकोले, भाजपा नेता राधेश्याम उइके, भैयालाल धुर्वे समेत दर्जनों लोगों ने पूजन किय। आदिवासियों के आराध्य देव बड़ा देव की पूजा की।

बड़ा देव की पूजा के बाद पारंपरिक नृत्य करते आदिवासी

बता दें कि अखाड़ी को आदिवासी समुदाय के लोग साल का प्रथम त्योहार मानते हैं। अखाड़ी के पहले आदिवासी धान, मक्का की खेती करते हैं। इसके बाद इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। परंपरा के अनुसार महिलाओं ने मवेशी बांधने के कोठे में हलवा बनाती है और पूजा करती हैं। इसके बाद दिन में पूजन कर मंजूरा नृत्य किया जाता है। अगाड़ी के दिन से ही सभी भगत-भूमका और धर्म गुरु अपने शिष्यों की शिक्षा-दीक्षा चालू करते हैं।

 


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लेखक के बारे में

प्रेम बरेलवी

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के प्रेम बरेलवी शायर व स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनकी कई रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं

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