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बीमार लालू पर बढ़ता जा रहा मुकदमों का बोझ, मौत के मुंह में धकेलने की साजिश का आरोप

राजद प्रमुख लालू प्रसाद आगामी 30 अगस्त 2018 को डॉक्टरों की अनुशंसा के बावजूद अदालत में आत्मसमर्पण करेंगे। मुंबई के चिकित्सकों के मुताबिक उन्हें संक्रमण से खतरा हो सकता है। उनके परिजन और समर्थक उन्हें मौत के मुंह में धकेलने की साजिश का आरोप भी लगा रहे हैं। फारवर्ड प्रेस की खबर :

इन दिनों राजद प्रमुख लालू प्रसाद के सितारे गर्दिश में हैं। एक तरफ उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा है तो दूसरी ओर उनके व उनके परिजनों के उपर मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है। हालत यह हो गयी है कि मुंबई के एशिया हर्ट अस्पताल में इलाजरत रहे लालू प्रसाद को आगामी 30 अगस्त 2018 को रांची में न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया। इस निर्देश के चलते उन्हें मुंबई से पटना लाया गया। उनके परिजनों व समर्थकों का कहना है कि उनके हत्या की साजिश की जा रही है। उन्हें संक्रमण से गंभीर खतरा हो सकता है।

बताते चलें कि 25 अगस्‍त 2018 को राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू यादव मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट से अपना इलाज करवाकर लौटे। चिकित्सकों ने हिदायत दी थी कि उन्हें किसी भी हाल में संक्रमण के खतरे से बचाया जाना चाहिए। उन्हें वैसे कमरे में रखा जाये, जिसे पहले ही संक्रमणमुक्त कर लिया गया हो। इस बीच पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उनके स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। उन्‍हें 30 अगस्‍त को रांची हाईकोर्ट में हाजिर होना है। इसलिए 29 अगस्‍त 2018 को वे पटना से रांची के लिए रवाना होंगे।

उल्लेखनीय है कि अविभाजित बिहार के देवघर, दुमका और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजायाफ्ता श्री यादव को इलाज के लिए इस वर्ष 11 मई को न्यायालय ने छह हफ्ते की औपबंधिक जमानत मंजूर की थी। इसे बढ़ाकर 14 अगस्त तक और उसके बाद 27 अगस्त तक कर दी गई थी।

पटना में अपने सरकारी आवास में बीमार लालू और उनकी देख-रेख करतीं राबड़ी देवी

इस मामले में राजद समर्थकों का कहना है कि लालू प्रसाद के साथ भेदभाव किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर छिड़े इस बहस के अनुसार कोर्ट ने गंभीर स्वास्थ्य कारणों को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व चारा घोटाले में दोषी करार दिये जा चुके जगन्नाथ मिश्र को नियमित जमानत दिया है। लेकिन लालू प्रसाद के साथ ऐसा नहीं किया जा रहा है। उनके समर्थक इसे भेदभाव करार दे रहे हैं।

तेजस्वी भी जांच एजेंसियों के रडार पर

खैर, पिछले 30 वर्षों से बिहार की राजनीति लालू यादव के आसपास ही घुमती रही है। लालू यादव सत्‍ता में हों, विपक्ष में हों, जेल में, अस्‍पताल में हों या कोर्ट में। राजनीति इनसे इतर नहीं होती है। 1988 में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद से लालू यादव बिहार में पहली बार सत्‍ता की राजनीति के केंद्र में आये और उसके बाद से सत्‍ता भले जाती रही हो, लेकिन लालू यादव कभी बहस और चर्चा से बाहर नहीं रहे। इतना ही नहीं, बिहार में विपक्ष की राजनीति भी लालू यादव के विरोध पर टिकी रही और आज भी विरोधियों को राजनीतिक ‘ताकत’ लालू यादव से ही मिलती है। उधर रेलवे होटल टेंडर घोटाले की चपेट में लालू यादव का पूरा परिवार आ गया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने लालू यादव के साथ उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके पुत्र एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव,  लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी तथा अन्य के विरुद्ध के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

तेजस्वी यादव पर भी जांच एजेंसियों ने कसा शिकंजा

1996 में पहली बार लालू यादव चारा घोटाले को लेकर चर्चा में आये थे और इसके बाद चारा घोटाला से आज तक पिंड नहीं छूटा है। उन्‍हें सजा भी इसी घोटाला से जुड़े केस में हुई और इसी मामले में 30 अगस्‍त को फिर कोर्ट में हाजिरी लगानी है। रांची स्थित झारखंड उच्च न्यायालय ने चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता राजद अध्यक्ष लालू यादव की औपबंधिक जमानत की अवधि बढ़ाये जाने की याचिका 24 अगस्‍त को खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुये श्री यादव की औपबंधिक जमानत की अवधि बढ़ाये जाने की याचिका खारिज करते हुए 30 अगस्त तक हाजिर होने का आदेश दिया था। राजद अध्यक्ष इलाज के लिए औपबंधिक जमानत पर हैं। न्यायालय ने 17 अगस्त को इस मामले की सुनवाई करते हुये श्री यादव की औपबंधिक जमानत की अवधि 27 अगस्त तक बढ़ा दी थी। इसके बाद 24 अगस्त को सुनायी के बाद जमानत अवधि बढ़ाने से इंकार दिया।

रेलवे टेंडर घोटाला मामले में भी बढ़ी मुश्किलें

उधर रेलवे टेंडर घोटाले में लालू यादव परिवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने रेलवे होटल टेंडर घोटाला मामले में पूर्व रेलमंत्री लालू यादव,  उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके पुत्र एवं विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी तथा अन्य के विरुद्ध के खिलाफ 24 अगस्‍त को आरोप पत्र दाखिल कर दिया।  ईडी के अनुसार, इस मामले में डिलाइट मार्केटिंग की 44.75 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त किये जाने को सक्षम अधिकारी ने पुष्टि कर दी है। लालू यादव के रेलमंत्री रहने के दौरान भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के दो होटलों को पटना की कंपनी डिलाइट मार्केटिंग को संचालन के लिए दे दिया गया था। बाद में उसे सुजाता होटल्स को हस्तांतरित कर दिया गया था। डिलाइट मार्केटिंग अब लारा प्रोजेक्टस बन चुकी है।

उधर लालू यादव की पुत्री व सांसद मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार के खिलाफ मनी लॉड्रिंग का मामला कोर्ट में चल रहा है। मीसा भारती और उनके पति पर आरोप है कि उन्होंने बिजनेसमैन सुरेंद्र जैन और वीरेंद्र जैन की कंपनी के साथ मिलकर 8 हजार करोड़ के काले धन को सफेद किया है। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मीसा भारती के दिल्ली स्थित एक फॉर्म हाउस को जब्त कर लिया था। ईडी ने कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई की थी।

पार्टी चलाना हो रहा मुश्किल

लालू यादव और उनका परिवार एक के बाद एक मामलों में सीबीआई, ईडी और कोर्ट का चक्‍कर लगाने में ही व्‍यस्‍त है। जमानत, पेशी और पूछताछ परिवार के लिए रुटीन बन गया है। इसका असर लालू यादव परिवार की राजनीति पर भी पड़ रहा है। पार्टी और संगठन से ज्‍यादा ध्‍यान कोर्ट की तारीखों पर देना पड़ रहा है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव सीबीआई, ईडी और कोर्ट के साथ ही पार्टी के लिए समय निकालने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। संगठन पर भी ध्‍यान दे रहे हैं। लेकिन लालू यादव की पार्टी राजद लालू यादव की सक्रियता के अभाव में शिथिल न हो जाए, इसका खतरा भी बना हुआ है। लालू यादव के नाम पर कार्यकर्ताओं में जिस ऊर्जा का संचार होता था, उनके अभाव में वह ऊर्जा नहीं दिख रही है। पार्टी और परिवार के लिए यह एक बड़ा खतरा है और इससे निपटने का हर स्‍तर पर प्रयास किया जाना चाहिए। संगठन के स्‍तर पर भी और परिवार के स्‍तर पर भी।  

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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