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कर्नाटक में स्थापित होगा सिर्फ दलित, आदिवासी उद्यमियों के लिए औद्योगिक जोन

भारत में उद्यमिता का अर्थ अभी तक सिर्फ वैश्य-उद्यमिता ही रही है। पर अब दलित और आदिवासी उद्यमियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में कर्नाटक की एच. डी. कुमारास्वामी सरकार धारवाड़ में दलित और आदिवासी उद्यमियों के लिए विशेष जोन बनाने जा रही है। पढ़िए यह रपट :  

कर्नाटक में एच. डी. कुमारास्वामी सरकार एक ऐसा औद्योगिक जोन बनाने जा रही है जो सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्यमियों के लिए ही होगा। यह कदम निश्चित रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के उद्यमियों को अपने सपने साकार करने का मौक़ा देगा और वे भी एक उद्यमी के रूप में देश में अपने को स्थापित कर सकेंगे। ऐसा कर्नाटक के धारवाड़ जिला में किया जा रहा है जहां कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) केलागेरी औद्योगिक क्षेत्र में यह जोन बनाने जा रही है।  

भारत में सामाजिक स्थिति आज भी ऐसी नहीं है जो दलित और आदिवासी वर्ग के उद्यमियों को अपना सपना साकार करने का पूरा मौक़ा दे। उन्हें आज भी कई तरह के भेदभाव झेलने पड़ते हैं।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक खबर के अनुसार, कर्नाटक सरकार इस जोन की स्थापना पर 7।89 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस जोन में दलित और आदिवासी उद्यमी अपना उद्योग लगा पाएंगे जिसके लिए इन्हें यहाँ जमीन उपलब्ध कराई जाएगी।

एच. डी. कुमारास्वामी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री

कर्नाटक के इस केलागिरी क्षेत्र के आसपास काफी बड़ी संख्या में शैक्षिक संस्थान हैं और इसलिए यह योजना बनाई गई है कि इस क्षेत्र में हरित उद्योग लगाए जाएंगे ताकि यहाँ प्रदूषण न हो। इसी वजह से इस क्षेत्र में खाद्य और फैब्रिकेशन, पैकेजिंग और इसी तरह के अन्य उद्योग लगाए जा सकेंगे। कर्नाटक राज्य वित्त निगम में काम कर चुके ए.एल. गोरेबल को इस रिपोर्ट में उद्धृत करते हुए कहा गया है कि एससी/एसटी के लिए इस जोन में जमीन की कीमत में 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी और कर्नाटक राज्य वित्त निगम (केएसएफसी) उन्हें  4 प्रतिशत ब्याज की दर पर उन्हें ऋण उपलब्ध कराता है। पर उन्होंने यह चिंता भी जताई कि इसके बावजूद कि इस क्षेत्र में एससी/एसटी को उद्योग लगाने में मदद दी जाएगी पर होता यह है कि समुदाय के ज्यादा अमीर लोग इसका ज्यादा लाभ उठाते हैं जबकि वे लोग पीछे रह जाते हैं जिनके पास कम पैसा है। उनके लिए उद्योग लगाना मुश्किल भरा काम रह जाता है।  

केआईएडीबी के विकास अधिकारी के. वी. सतीश ने कहा कि इस जोन में एससी/एसटी उद्यमियों को जमीन दी जाएगी ताकि वे अपना उद्यम यहाँ लगा सकें।

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बताते चलें कि कर्नाटक से पहले तेलंगाना भी दलित और आदिवासी उद्यमियों को पोषित करने की योजना की कुछ समय पहले घोषणा कर चुका है। अपनी इस घोषणा में तेलंगाना ने कहा था कि औद्योगिक पार्कों में दलित और आदिवासी उद्यमियों को 22 प्रतिशत भूमि दी जाएगी ताकि वे इस पर अपनी निर्माण इकाइयां लगा सकें।  

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भारत सरकार भी दलित उद्यमियों को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है और उसके संगठन अनुसूचित जातियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड ने अभी तक 71 कंपनियों के लिए कुल 255.37 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। इनमें से अभी तक 56 कंपनियों को ऋण दिया जा चुका है और दी गई कुल राशि 176.51 करोड़ रुपये है। दलितों और आदिवासियों को स्टैंडअप इंडिया और मुद्रा योजना के तहत सहायता भी दी जाती है।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

अशोक झा

लेखक अशोक झा पिछले 25 वर्षों से दिल्ली में पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत हिंदी दैनिक राष्ट्रीय सहारा से की थी तथा वे सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट, नई दिल्ली सहित कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े रहे हैं

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