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मनुस्मृति से नहीं, बाबा साहेब के संविधान से आगे बढ़ेगा भारत : उर्मिलेश

जो मनु को मानते हैं वे भारत को नहीं मानते हैं। भारत का संविधान सामाजिक  विषमता को समाप्त करने वाला है तो मनुस्मृति विषमता की खाई को बढ़ाता है। आरएसएस मनुस्मृति को थोपना चाहता है। बीते दिनों आयोजित एक विचार गोष्ठी को वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश सहित अन्य पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया। एक खबर :

आरक्षण का विरोध जितना उत्तरी भारत में हुआ उतना मध्य भारत दक्षिण भारत में नहीं हुआ क्योंकि   बहुजनों के आंदोलन ने वहाँ के दलितों को सामाजिक रूप से बराबरी का एक दर्जा पहले से प्रदान कर रखा था। बहुजन समाज के जिन नायकों ने यह महत्वपूर्ण कार्य किया उनमें पेरियार, जोतीराव फुले, सावित्रीबाई फुले और बाबा साहेब आंबेडकर अग्रणी रहे।  ये बातें वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने बीते 7 अगस्त 2018 को दिल्ली विश्वविद्यालय के मानसरोवर हॉस्टल के सभागार में आयोजित एक विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। गोष्ठी का विषय ‘मंडल कमीशन राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी पहल’ था।  

इस विचार गोष्ठी में फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की कालजयी रचना ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ के हिंदी अनुवाद ‘जाति का विनाश’ का लोकार्पण किया गया। (फोटो : क्षितिज कुमार)

गोष्ठी के प्रारंभ में डीएमके प्रमुख करूणानिधि के निधन पर शोक व्यक्त किया गया और इस क्रम में एक मिनट का मौन रखा गया। बाद में फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की कालजयी रचना ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ के हिंदी अनुवाद ‘जाति का विनाश’ का लोकार्पण किया गया।

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इस मौके पर पत्रकार दिलीप मंडल, फ्रैंक हूजूर, सत्येन्द्र पीएस आदि ने अपने विचार रखे। वहीं मंच संचालन इंजीनियर संतोष यादव ने किया। जबकि स्वागत संबोधन शशांक किशोर सिंह ने की।

अपने संबोधन में उर्मिलेश ने जोर देते हुए कहा कि  उन्होंने कहा कि आरएसएस देश को 1947 के पीछे ले जाना चाहता है। वह मनुस्मृति को अपना संविधान मानते हैं और देश पर इसे ही थोपना चाहते हैं। उन्होंने मायावती द्वारा सवर्णों को आरक्षण देने की मांग को एकबारगी में खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह देश मनुस्मृति के आधार पर नहीं बल्कि बाबा साहेब के द्वारा लिखे गये संविधान के आधार पर ही आगे बढ़ सकता है।

पत्रकार सत्येन्द्र पीएस ने कहा कि मनमोहन सिंह के समय जो खुली अर्थव्यवस्था थी वह भाजपा के समय में नंगी अर्थव्यवस्था हो गयी है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस देश की राजधानी में छोटीछोटी बच्चियों के साथ बलात्कार होता हो, जिस देश में भूख से मौत हो रही हो और लोग दुःखी हो रहे हो वह एक राष्ट्र नहीं हो सकता।

वहीं पत्रकार दिलीप मंडल ने कार्यक्रम के विषय की तरफ इशारा करते हुए बताया कि जिस समय मंडल कमीशन लागू हुआ था उस समय यह जगह खुशहाल नहीं थी। उन्होंनेव्हाट इज नेशन?’ नामक किताब की चर्चा करते हुए कहा कि धर्म, भाषा, नस्ल या भूगोल के आधार पर भी राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता है। उन्होंने साझे दुःखों, सुखों हितों को राष्ट्र होने का आधार बताया। भारत एक राष्ट्र नहीं है। आरक्षण गरीबी हटाने का कार्यक्रम नहीं है और जो लोग भी आरक्षण का विरोध करते हैं वह राष्ट्र का विरोध करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सवर्णों का एक हिस्सा ऐसा है जो दलितों पिछड़े जातियों को उनका वाजिब हक दिलाना चाहता है और स्व.वी.पी.सिंह व अर्जुन सिंह उन्हीं में से आते हैं। उन्होंने राजसत्ता के चरित्र की ओर इशारा करते हुए कहा कि स्वर्ग हमारा भी है और हमें भी स्वर्ग पर धावा बोलना चाहिए।

(कॉपी एडिटर : एफपी डेस्क)


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महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

जय गोविंद सिंह

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