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संविधान में आदिवासी भाषाओं के लिए कोई जगह नहीं

हाल ही में ओडीसा सरकार ने तीन आदिवासी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया। उसके इस पहल से उन आदिवासी भाषाओं को लेकर विमर्श शुरु हो गया है जो हमारे देश में तुच्छ समझे जाते हैं। सौम्य प्रतीक की खबर :

 

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बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

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