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फारवर्ड प्रेस की खबर शेयर करने पर भड़के सवर्ण, थाने में दर्ज करायी शिकायत

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में दलित कार्यकर्ता प्रह्लाद मेघवाल के खिलाफ सैंकड़ों की संख्या में जुटे सवर्णों ने इसलिए शिकायत दर्ज करायी, क्योंकि उन्होंने केरल में बाढ़ के दौरान हुए दलितों के साथ भेदभाव संबंधी फारवर्ड प्रेस की  खबर को व्हाट्सअप ग्रुप पर शेयर किया था। तमाम तथ्यों के बावजूद पुलिस प्रह्लाद पर गिरफ्तारी का दबाव बना रही है। फारवर्ड प्रेस की खबर :

वह परसों सवर्णों द्वारा आयोजित भारत बंद का दिन 6 सितंबर 2018 था, जब राजस्थान के दलित सामाजिक कार्यकर्ता प्रह्लाद मेघवाल के खिलाफ 400-500 सवर्ण लोगों का हुजूम थाने में उनके द्वारा केरल में दलितों के साथ हो रहे भेदभाव की फारवर्ड प्रेस की एक खबर वाट्सअप पर शेयर करने के आधार पर शिकायत दर्ज कराने पहुंचा।

राजस्थान स्थित प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी ब्लॉक स्थित पुलिस स्टेशन में दलित जाति से ताल्लुक रखने वाले, पेशे से वकील प्रह्लाद मेघवाल के खिलाफ ब्राहमण समाज के लोगों ने शिकायत दर्ज की है कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से सवर्णों के खिलाफ फेक (फर्जी) खबर दुष्प्रसारित कर रहे हैं कि केरल बाढ़ के दौरान अलापुझा जिले के हरिपद में 20 लोगों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। ब्राह्मण सभा का कहना है कि प्रह्लाद ब्राह्मण समाज को बदनाम करने के लिए साजिशन ऐसी खबरें प्रसारित कर रहे हैं कि वहां सवर्णों ने दलितों का खाना अपने साथ नहीं बनने दिया और न ही उनका बनाया खाना खाया। सवर्णों के लिए राहत कैंप में दूसरा चूल्हा जलाना पड़ा।

इसी खबर पर भड़के हैं राजस्थान के सवर्ण – केरल : बाढ़ में फंसे सवर्णों ने दलितों के हाथ से बना खाना खाने से किया इंकार, मामला दर्ज

गौरतलब है कि इन पंक्तियों की लेखक ने फारवर्ड प्रेस प्रकाशित अपनी पिछली रिपोर्ट  (शीर्षक :  ‘केरल : बाढ़ में फंसे सवर्णों ने दलितों के हाथ से बना खाना खाने से किया इंकार, मामला दर्ज’  ) में बताया था कि केरल में बाढ़ राहत कैंपों में दलितों के साथ भेदभाव बरता गया और उनके हाथ का बना खाना सवर्णों ने नहीं खाया। मैंने यह भी बताया था कि केरल में एक ब्राह्मण परिवार ने तो राहत का काम कर रहे एक क्रिश्चियन की नाव में चढ़ने से मना कर दिया था और दुबारा वह परिवार नाव में चढ़ा भी तो अपनी शर्तों पर कि तुमसे हमारा शरीर ‘टच’ नहीं करना चाहिए। ये बातें पूरी तरह तथ्यों पर आधारित हैं, जिनका हवाला मैंने अपनी रिपोर्ट में दिया था।  प्रह्लाद ने फारवर्ड प्रेस की वेबसाइट से उस खबर को व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर किया था। 

प्रह्लाद कहते हैं, “मैं जाति से दलित हूं, वकील और दलित कार्यकर्ता के बतौर काम करता हूं। व्हाट्सअप ग्रुप पर फारवर्ड प्रेस  की रिपोर्ट मैंने आरक्षण के खिलाफ लगाई गई एक पोस्ट को टैग करते हुए लगाई थी। रिपोर्ट में तमाम फैक्ट होने के बावजूद मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई।” 

 

दलित अधिवक्ता प्रह्लाद मेघवाल, प्रतापगढ़, राजस्थान

मॉब लिंचिंग बढ़ती घटनाओं को लेकर दहशत में हैं प्रह्लाद

प्रह्लाद ने कहा कि मेरे खिलाफ फेक न्यूज फैलाने की शिकायत करने वाले ब्राह्मण समाज के ये लोग सत्ताधारी  पार्टी से जुड़े हुए हैं। कोई जिला स्तर पर प्रवक्ता है तो कोई महामंत्री और कोई कार्यकर्ता। ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष घनश्याम मेनारिया की अगुवाई में मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई है। अब ब्राह्मण समाज के दबाव में पुलिस मुझे परेशान कर रही है। मैं घर से बाहर हूं। घर पर पुलिस बार-बार जा रही है। दबाव बनाया जा रहा है कि मुझे जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कार्रवाई की जाए। मुझे डर है कि देशभर में घर रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं की तरह कहीं मैं भी इनका शिकार न हो जाउं।

प्रह्लाद कहते हैं कि मुझे इसलिए टारगेट किया जा रहा है क्योंकि मैं पिछले 4-5 सालों से अपने दलित समाज के दमन के खिलाफ आवाज उठाता हूं, कोर्ट में उनके पक्ष में दलीलें देता हूं, जिससे सवर्ण चिढ़े हुए हैं। जो किसी मूवमेंट को लीड करता है उसे ही प्रेशर में ले जाएंगे तो पूरा मूवमेंट ही खत्म हो जाएगा। सवर्णों के कई सारे मामलों को उजागर करने में मेरी मुख्य भूमिका रही है, एक षड्यंत्र के तहत भारत बंद का सहारा लेते हुए मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई।

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी कस्बे की तस्वीर

प्रह्लाद के अनुसार उनके गांव कारूंडा में 2015 में एक घटना घटी थी जिसमें सवर्णों ने श्मशान घाट पर एक दलित की लाश जलाने का विरोध किया था। जब दलित के परिजन अपने प्रिय के फूल चुनने वहां तीसरे दिन गए तो वहां पर उन्हें एक चुटकी राख तक नसीब नहीं हुई। इस मामले को प्रह्लाद ने उठाया था, जिसके बाद गांव के ही सवर्ण उनसे चिढ़े हुए थे।

शिकायत के संबंध में हमने छोटी सादड़ी थाना के प्रभारी प्रवीण टांक से दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। इस संबध में  संपर्क करने पर प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक शिवराज मीणा ने कहा कि वे थाना प्रभारी से इस संबंध में जानकारी ले रहे हैं।  गौरतलब है कि अनेक दक्षिण भारतीय पत्रकारों ने भी केरल में बाढ राहत शिविरों में दलितों के साथ अमानवीय भेदभाव की घटनाओं को रिपोर्ट किया है। 

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क/प्र.)


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लेखक के बारे में

प्रेमा नेगी

प्रेमा नेगी 'जनज्वार' की संपादक हैं। उनकी विभिन्न रिर्पोट्स व साहित्यकारों व अकादमिशयनों के उनके द्वारा लिए गये साक्षात्कार चर्चित रहे हैं

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