h n

महाराष्ट्र पुलिस का दावा : ‘शहरी नक्सली’ हैं महिषासुर को पुरखा मानने वाले डिग्री चौहान!

डिग्री प्रसाद चौहान ने छत्तीसगढ़ में महिषासुर आंदोलन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। वे दलित-आदिवासियों के सांस्कृतिक व सामाजिक अधिकारों के लिए लडने वाले जमीनी कार्यकर्ता हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें ‘शहरी नक्सली’ करार दिया है। छत्तीसगढ़ से फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :

दलित-आदिवासी हितों के लिए लडने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर छापेमारी कर महाराष्ट्र पुलिस अपने ही बुने जाल में फंसती जा रही है।

गत 31 अगस्त को मुंबई में एक खचाखच भरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) परमबीर सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि सामाजिक कार्यकर्ता व वकील सुधा भारद्वाज ने किसी कामरेड प्रकाश को एक पत्र लिखा था। उन्होंने उस पत्र की पंक्तियां संवाददाताओं के समक्ष पढते हुए दावा किया ये ‘शहरी नक्सली’ आतंकवाद समेत अनेक प्रकार की देश विरोध गतिविधियों में संलिप्त हैं। उन्होंने सुधा भारद्वाज के कथित पत्र के हवाले से बताया कि छत्तीसगढ़ के  डिग्री प्रसाद चौहान द्वारा एक ऑपरेशन गुप्त रूप से किया गया था, जिसके लिए उन्हें धन दिया जाना था।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : महाराष्ट्र पुलिस का दावा : ‘शहरी नक्सली’ हैं महिषासुर को पुरखा मानने वाले डिग्री चौहान!

 

लेखक के बारे में

तामेश्वर सिन्हा

तामेश्वर सिन्हा छत्तीसगढ़ के स्वतंत्र पत्रकार हैं। इन्होंने आदिवासियों के संघर्ष को अपनी पत्रकारिता का केंद्र बनाया है और वे विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रिपोर्टिंग करते हैं

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...