h n

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : बीमा कंपनियों की चांदी, किसान हो रहे हैं परेशान

किसानों के लिए शुरू की गयी नयी बीमा योजना को सिर्फ विफल बताना इसमें हुई धोखाधड़ी पर पर्दा डालना है। इस योजना का लाभ पहुंचाने लक्ष्य जितने किसानों तक रखा गया था उसे पूरा नहीं किया गया, दावों को निपटाया नहीं गया, और मुख्य बात यह कि किसानों के बीमा के नाम पर करदाताओं की गाढ़ी कमायी के पैसे पहले से 4 सौ प्रतिशत अधिक खर्च किये गये हैं। लोकेश कुमार की रिपोर्ट :

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) 2016 के खरीफ सीजन से शुरू किया गया।  यह योजना किसानों को असामयिक और खराब मौसम की वजह से फसल के बरबाद होने से किसानों को बचाने के लिए शुरू की गयी थी।  इस योजना ने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना की जगह ली और इसमें संशोधन किया। इस नयी योजना में मौसम-आधारित फसल बीमा योजना (डब्ल्यूबीसीआईएस) को नये रूप में लागू किया गया है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : बीमा कंपनियों की चांदी, किसान हो रहे हैं परेशान

लेखक के बारे में

लोकेश कुमार

इंजीनियरिंग और बिजनेस मैजेमेंट के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त लोकेश कुमार ने कई वर्षों तक आईटी इंडस्ट्री में काम किया। इन दिनों वे भारतीय सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा से संबंधित एक ऑनलाइन पोर्टल बनाने में जुटे हैं।

संबंधित आलेख

पुष्यमित्र शुंग की राह पर मोदी, लेकिन उन्हें रोकेगा कौन?
सच यह है कि दक्षिणपंथी राजनीति में विचारधारा केवल आरएसएस और भाजपा के पास ही है, और उसे कोई चुनौती विचारहीनता से ग्रस्त बहुजन...
महाराष्ट्र : वंचित बहुजन आघाड़ी ने खोल दिया तीसरा मोर्चा
आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने अपनी ओर से सात उम्मीदवारों की सूची 27 मार्च को जारी कर दी। यह पूछने पर कि वंचित...
‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा में मेरी भागीदारी की वजह’
यद्यपि कांग्रेस और आंबेडकर के बीच कई मुद्दों पर असहमतियां थीं, मगर इसके बावजूद कांग्रेस ने आंबेडकर को यह मौका दिया कि देश के...
इलेक्टोरल बॉन्ड : मनुवाद के पोषक पूंजीवाद का घृणित चेहरा 
पिछले नौ सालों में जो महंगाई बढ़ी है, वह आकस्मिक नहीं है, बल्कि यह चंदे के कारण की गई लूट का ही दुष्परिणाम है।...
कौन हैं 60 लाख से अधिक वे बच्चे, जिन्हें शून्य खाद्य श्रेणी में रखा गया है? 
प्रयागराज के पाली ग्रामसभा में लोनिया समुदाय की एक स्त्री तपती दोपहरी में भैंसा से माटी ढो रही है। उसका सात-आठ माह का भूखा...