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सवर्ण बंद : ओबीसी ने सवर्णों का साथ नहीं दिया

मीडिया के समर्थन और सवर्ण नेताओं के प्रोत्साहन के बावजूद भी सवर्ण बंद विफल रहा। दलित-ओबीसी एकता तोड़ने में सवर्ण नाकामयाब रहे। एसटी-एसटी एक्ट के विरोध में ओबीसी समुदाय सवर्णों के साथ है, इस दावे की पोल खुल गई। हां कुछ बहुजन नेताओं पर हमले बोल कर सवर्णों ने अपनी घृणा का इजहार जरूर किया। अरूण कुमार की रिपोर्ट :

6 सितम्बर 2018 को एससी-एसटी एक्ट के विरोध में आहूत भारत बंद पूरी तरह विफल रहा। पूरे भारत से जो तस्वीरें आईं उनमें से किसी में भी 50-60 से ज्यादा बन्द समर्थकों की भीड़ नहीं दिखी। सोशल मीडिया पर भी बन्द समर्थक कोई भी ऐसी तस्वीर अपलोड नहीं कर पाए जिसे देखकर कहा जा सके कि बन्द में बहुत भीड़ शामिल थी। दोपहर के डेढ़ बजे तक ट्विटर ट्रेंड से भारत बंद गायब हो गया। हालांकि मुख्य धारा की मीडिया ने यह दिखाने की कोशिश की कि बन्द के कारण पूरे भारत में अफरा-तफरी की स्थिति रही लेकिन एनडीटीवी खबर. कॉम और ‘आज तक’ ने अपने फेसबुक पर 2 अप्रैल 2018 की तस्वीरें पोस्ट कर बन्द को सफल दिखाने का प्रयास किया।

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लेखक के बारे में

अरुण कुमार

अरूण कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से 'हिन्दी उपन्यासों में ग्रामीण यथार्थ' विषय पर पीएचडी की है तथा इंडियन कौंसिल ऑफ़ सोशल साईंस एंड रिसर्च (आईसीएसएसआर), नई दिल्‍ली में सीनियर फेलो रहे हैं। संपर्क (मोबाइल) : +918178055172

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