h n

सवर्ण बंद : पप्पू यादव और श्याम रजक पर जानलेवा हमला

सवर्णों ने द्वारा भारत बंद का आह्वान भले ही एससी-एसटी के एक्ट नाम पर किया, लेकिन इसका असल उद्देश्य दलित-बहुजनों के न्याय और समता की मांग को कुचलना है और उनकी बढ़ती एकता को तोड़ना है। दलित-बहुजनों के प्रति सवर्णों की हिंसात्मक आक्रामकता एक प्रतीक पप्पू यादव और श्याम रजक पर जानलेवा हमला भी है। वीरेंद्र यादव की रिपोर्ट

बिहार में सवर्णों के बंद का असर, भूमिहार-राजपूत इलाकों में दिखा

देश भर में दलितों और पिछड़ों की बढ़ती एकता के खिलाफ आज सवर्ण जातियों ने अपनी एकता प्रदर्शित करने के लिए भारत बंद का आह्वान किया था। इसे एससी-एसटी एक्‍ट के खिलाफ भारत बंद का नाम दिया गया। राजधानी पटना समेत प्रदेश के तकरीबन सभी जिलों में सवर्ण संगठन के कार्यकर्ता सुबह से ही सड़कों पर उतर आये थे। बंद समर्थकों ने कई जगहों पर रेल परिचालन बाधित किया तो वहीं सड़कों पर आगजनी कर आवागमन को ठप कर दिया गया। सड़क जाम के कारण सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी।

उधर पटना से मधुबनी जा रहे मधेपुरा के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्‍पू यादव के काफिले पर मुजफ्फरपुर में बंद समर्थकों ने हमला कर दिया, जिसमें वे बाल-बाल बचे। हालांकि उनके कई समर्थक जख्‍मी भी हो गये हैं। काफिले में शामिल कई वाहन क्षतिग्रस्‍त हो गये। सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के जवानों की तत्‍परता के कारण पप्‍पू यादव की जान बच सकी। घटना के बाद मुजफ्फरपुर में पत्रकरों से पप्‍पू यादव ने कहा कि सीआरपीएफ के जवानों के कारण उनकी जान बची। उनके का‍फिले पर पीछे से बंद समर्थकों ने हमला कर दिया। उनके हाथों में पिस्‍तौल और अन्‍य हथियार भी थे। अचानक हुए हमले से पप्‍पू यादव भी सकते में आ गये। लेकिन वाई श्रेणी सुरक्षा प्राप्‍त पप्‍पू यादव की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने सतर्कता और तत्‍परता दिखायी और बड़ा हादसा टल गया। इस बीच हमले में कई वाहन क्षतिग्रस्‍त हो गये और कार्यकर्ता जख्‍मी हो गये। घटना की जानकारी देते हुए पप्‍पू यादव फफक-फफक कर रोने लगे। उन्‍होंने कहा कि हमले के दौरान ही उन्‍हों एसपी व डीआइजी को फोन लगाया, लेकिन किसी ने फोन रिसीव नहीं किया।

भूमिहार ब्रजेश ठाकुर समर्थकों पर भी आरोप

सवर्णों द्वारा बेरहमी से पीटे जाने के बाद रोते-विलखते सांसद पप्पू यादव

सांसद पप्‍पू यादव के नेतृत्‍व में आज से जन अधिकार पार्टी (लो) के तत्‍वावधान में मधुबनी से नारी बचाओ पदयात्रा की शुरुआत होने वाली थी। इसी में शामिल होने के लिए पप्‍पू यादव पटना से मधुबनी मुजफ्फरपुर के रास्‍ते जा रहे थे। सांसद पप्‍पू यादव ने मुजफ्फरपुर बालिका आश्रयगृह बलात्‍कार कांड के खिलाफ लंबा संघर्ष किया था और इसी मुद्दे को लेकर नारी बचाओ पदयात्रा प्रस्‍तावित थी। पप्‍पू यादव का यह भी मानना है कि मुजफ्फरपुर बालिका आश्रयगृह बलात्‍कार कांड के मुख्‍य आरोपी भूमिहार जाति के ब्रजेश ठाकुर के समर्थकों ने उन पर हमला किया। बंद में शामिल लोगों में ब्रजेश ठाकुर के समर्थक भी शामिल थे और इन्‍हीं लोगों ने सांसद के काफिले पर हमला किया।

सुरक्षा पर उठे सवाल

सवर्ण बंद के दौरान आगजनी करते सवर्ण

सांसद पप्‍पू यादव पर हुए हमले के बाद सुरक्षा पर सवाल भी उठने लगे हैं। सुशासन का दावा भी हवा हो गया है। श्री यादव कहते हैं कि जब सरकार सांसद को सुरक्षा देने में नाकामायब साबित हो रही है तो आम आदमी की सुरक्षा कौन करेगा। सांसद पर हुए हमले की सूचना मुख्‍यमंत्री सचिवालय को भी दी गयी है, लेकिन इस पर क्‍या कार्रवाई हुई, अभी पता नहीं चला है।

श्याम रजक पर हमला 

बिहार के पूर्व मंत्री  श्याम रजक ने बताया कि बेगूसराय में एक कार्यक्रम से लौटने के दौरान उनके क़ाफ़िले पर भारत बंद समर्थकों ने हमला किया। इस हमले में श्याम रज़क की गाड़ी को बंद समर्थकों ने क्षतिग्रस्त कर दिया।  गाली-गलौज करने के साथ-साथ उन पर ईंट-पत्थर से भी प्रहार किया गया। इस दौरान गाड़ी का शीशा टूटने से पूर्व मंत्री को चोट लगी और उनका सिक्यूरिटी गार्ड भी घायल हो गया। यह घटना बेगूसराय जिले के लाखो थाना क्षेत्र के इनयार की है।

सवाल सिर्फ एक्‍ट का नहीं है

सवर्ण संगठनों का भारत बंद सिर्फ एससी-एसटी एक्‍ट के विरोध का नहीं है। सवर्ण संगठन इसकी आड़ में एससी,एसटी और ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण को भी टारगेट करना चाहते हैं। सवर्णों का भारत बंद अपने आप में पहला प्रयोग है और इसके परिणाम आगे की रणनीति तय करने के आधार बनेंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।

मूकदर्शक बना रहा प्रशासन

पटना से औरंगाबाद जा रहे अमरेंद्र कुमार की यात्री बस बंद में फंस गयी। उन्‍होंने बताया कि जगह-जगह पर बंद समर्थकों ने वाहनों को रोके रखा। राजपूत व भूमिहार बहुल गांवों के सामने यात्रियों को ज्‍यादा फजीहत झेलनी पड़ी। बंद को सफल बनाने में इन्‍हीं दो जातियों के लोग लगे हुए थे। दरभंगा, आरा, जहानाबाद, गया, बेगूसराय, नवादा, मुंगेर में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों को रोककर रेल सेवा को बाधित कर दिया है। राजगीर में श्रमजीवी एक्‍सप्रेस और आरा में लोकमान्‍य तिलक एक्‍सप्रेस को रोका गया। बंद के दौरान समर्थकों के उत्‍पात और हमले के कारण आम लोगों के फजीहत झेलने पड़ी। विरोध करने वालों के साथ मारपीट भी की गयी। सड़कों पर पुलिस मूकदर्शक बनी रही और बंद समर्थक उत्‍पात करते रहे। लोगों का कहना है कि बंद समर्थकों को प्रशासन का समर्थन प्राप्‍त था। इस कारण आम आदमी खुद को विवश बना रहा और बंद समर्थक उत्‍पात मचाते रहे।

कॉपी-संपादन : सिद्धार्थ


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। हमारी किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, संस्कृति, सामाज व राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के सूक्ष्म पहलुओं को गहराई से उजागर करती हैं। पुस्तक-सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

वीरेंद्र यादव

फारवर्ड प्रेस, हिंदुस्‍तान, प्रभात खबर समेत कई दैनिक पत्रों में जिम्मेवार पदों पर काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र यादव इन दिनों अपना एक साप्ताहिक अखबार 'वीरेंद्र यादव न्यूज़' प्रकाशित करते हैं, जो पटना के राजनीतिक गलियारों में खासा चर्चित है

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...