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सुकमा मुठभेड़ की कहानी, स्थानीय लोगों की जुबानी

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के नुलकातोंग गांव के बाहर एक झोपड़ी में सोये लोगों पर पुलिस ने बीते 6 अगस्त 2018 को हमला बोला। इस घटना में 15 लोग मारे गये। पुलिस के मुताबिक मारे गये लोग जन मलेशिया(नक्सली संगठन) के सदस्य थे। जबकि गांव वालों के मुताबिक निर्दोष। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट :

बीते 6 अगस्त 2018 को छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सुकमा जिले के कोंटा ब्लाक के नुलकातोंग इलाके में सुरक्षा बल के जवानों ने 15 कथित माओवादियों को मार गिराने का दावा किया था। साथ ही 16 हथियार बरामद करने की बात भी प्रेस कांफ्रेंस में कही । लेकिन स्थानीय ग्रामीण पुलिस के दावे को खारिज करते हैं। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया है कि फर्जी मुठभेड़ के दौरान निर्दोष आदिवासियों को मारा गया है। इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस पर अनेक संगीन आरोपों के साथ  सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसकी पहली सुनवाई बीते 13 अगस्त 2018 को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने की। यह याचिका सिविल लिबर्टी कमेटी के नारायण राव द्वारा दायर की गयी है।

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लेखक के बारे में

तामेश्वर सिन्हा

तामेश्वर सिन्हा छत्तीसगढ़ के स्वतंत्र पत्रकार हैं। इन्होंने आदिवासियों के संघर्ष को अपनी पत्रकारिता का केंद्र बनाया है और वे विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रिपोर्टिंग करते हैं

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