h n

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस : बहुजन युवाओं के लिए दुनिया मुठ्ठी में करने का मौका

इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के अंत में तकनीक का विस्तार मशीनों से आगे निकल चुका है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की संज्ञा दी गयी है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिए बहुजन युवा अपने सुनहरे भविष्य का आधार बना सकते हैं। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :

वैश्विक स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस रोजगार के दृष्टिकोण से अहम बनता जा रहा है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें असीम संभावनायें हैं। बहुजन युवा यदि इस क्षेत्र में आगे अाएं तब आने वाले समय में दुनिया मुट्ठी में करने के अपने सपने को साकार कर सकते हैं।

हाल के समय में रोजगार के संबंध में जितनी रिपोर्टें सामने आयी हैं उनके मुताबिक बाजार से नौकरियां लगातार गायब हो रही हैं और काफी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं, जिनमें नौकरियों के लिए लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे। मसलन, औद्योगिक रिपोर्ट के मुताबिक आज की तारीख में भारत में 50 हजार नौकरियां डाटा साइंस व मशीन लर्निंग की खाली पड़ी है क्वालीफायड टैलेंट (अनुभवी योग्यता) की कमी के कारण। इन नौकरियों के लिए जरूरत केवल और केवल गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण की है। दलित-बहुजन युवाओं को इन क्षेत्रों में आगे आने की आवश्यकता है। ये क्षेत्र न सिर्फ शानदार वेतन वाले हैं, बल्कि माना जा रहा है कि इन्हीं नए क्षेत्रों में काम करने वाले लोग निकट भविष्य में दुनिया की चाल तय करने लगेंगे।  

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में है असीम संभावनायें

इस क्षेत्र में कौशल विकास के कई कोर्स व कार्यक्रम सरकार व विभिन्न संस्थाओं द्वारा निःशुल्क व मामूली शुल्क पर कराए जाते हैं। इसके लिए गूगल पर जाकर इस तरह की ऑनलाइन व ऑफलाइन कोर्स के बारे में जानकारियां हासिल की जा सकती हैं।

ऑनलाइन एंड हाइब्रिड एजूकेशन कंपनी ग्रेट लर्निंग की रिपोर्ट में भी स्किल्ड मैन पावर की कमी की बात का जिक्र है। रिपोर्ट में साफ-साफ शब्दों में कहा गया है कि युवाओं को जरूरत के हिसाब से उच्च गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है। इसकी एक वजह स्कूल व कॉलेजों के सिलेबस को भी माना गया है। ‘ग्रेट लर्निंग कंपनी’ के सीईओ हरि कृष्ण नायर के मुताबिक, “स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाए जाने वाले सिलेबस का औद्योगिक जगत में उपयोग नहीं हो पाता है। हमें इस बात पर गौर करना चाहिए और प्रोफेशनल कोर्सेज की तर्ज पर स्कूल, कॉलेजों में भी सिलेबस में बदलाव कर पढ़ाई होनी चाहिए ताकि शुरू से बच्चे खुद को अपनी रूचियों के हिसाब से अपने स्किल को डेवलप कर सकें।”

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस : मशीन व मानव मस्तिष्क का समन्वय

सीईओ नायर के मुताबिक सबसे ज्यादे मौके डाटा क्षेत्र में हैं, इसलिए युवाओं को जरूरत के हिसाब से डाटा क्षेत्र में उच्च गुणवत्तायुक्त प्रशिक्षण देने की जरूरत है। सबसे ज्यादा वेकेंसी इसी क्षेत्र में देखने को मिल रही है। नए मौकों (नई अपोर्चुनिटी) का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि “बैंकिंग और फाइनेंसियल सर्विसेज सबसे बड़ा बाजार है एनालायटिक्स व डाटा साइंस प्रोफेशनल के लिए। इस क्षेत्र में साल 2017 में 44 प्रतिशत नौकरियों का मौका मिला था। इसके अलावा ई-कॉमर्स भी एनालेटिक्स प्रोफेशनल्स के लिए बड़ा बाजार है। ई-कॉमर्स वेबसाइट पर इससे संबंधित काफी जानकारियां हासिल की जा सकती हैं। पिछले साल 2017 में ई-कॉमर्स क्षेत्र में 12 प्रतिशत नौकरियों का सृजन हुआ था जबकि हेल्थ केयर सेक्टर में भी 12 प्रतिशत, ऊर्जा व यूटिलिटी सेक्टर में 8 प्रतिशत, टेलीकॉम व मीडिया सेक्टर में क्रमशः छह-छह प्रतिशत जॉब का मौका मिला था। इसके अलावा रिटेल, ऑटोमोबाइल, ट्रैवेल सेक्टर भी डाटा साइंस प्रोफेशनल्स के लिए काफी उपयोगी है और यहां इनके लिए मौके ही मौके हैं।

सच तो यह है कि भारत में मानव संसाधन की कमी नहीं है बल्कि स्क्लिड लोगों की कमी है। कहा जा रहा है कि स्किल नहीं होने के कारण डाटा एनालायटिक्स, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस अत्यंत ही प्रतिकूल स्थिति में है। यही वजह है कि रिसर्च एंड एडवायजरी फर्म गार्टनर जिसमें दस लाख से भी अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, इनमें से 75 प्रतिशत मशीन लर्निंग और डाटा साइंस में निवेश करने जा रहा है। यहां डाटा साइंटिस्ट, डाटा एनालिस्ट, डाटा आर्किटेक्ट, डाटा स्टेटिस्टिसियन, मशीन लर्निग इंजीनियर, मशीन लर्निंग स्पेशलिस्ट, टेक्निकल आर्किटेक्ट, डाटा इंजीनियर का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। इस प्रशिक्षण के बाद 45 प्रतिशत तक वेतन में छलांग देखी गई है। मांग और आपूर्ति के हिसाब से कहीं कहीं तो इससे भी ज्यादा सैलरी में छलांग देखी गई है। इसी तरह नॉन ट्रेडिशनल सेक्टर में भी डाटा साइंस तेजी से बढ़ कर रहा है। एविएशन, साइबर सिक्यूरिटी, कृषि, हेल्थ केयर, ड्राइवरलेस ट्रांस्पोर्टेशन सेक्टर में भी बहुत मौके हैं और 2020 तक इन सेक्टरों में भी काफी कुछ बदलाव देखने को मिलने की उम्मीद है।

भविष्य का मनुष्य

गूगल भी मुफ्त देता है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में जानकारियां

तकनीक के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) पर खासा ध्यान दिया जा रहा है और यही वजह है कि गूगल भी इस पर जानकारियां उपलब्ध करा रहा है, वो भी मुफ्त। गूगल ने ‘लर्न विथ गूगल एआई कोर्स’ लांच किया है ताकि आम लोगों को इस बारे में जानकारियां हासिल हो सके। गूगल ने उपरोक्त नाम से वेबसाइट भी शुरू कर दी है ताकि तकनीक के दौर में कोई एआई व एमएल मसले पर पीछे ना रह जाए। गूगल ने ‘मशीन लर्निंग क्रैश (एमएलसी) कोर्स’ शुरू किया है जिसका सिलेबस विशेषज्ञों से तैयार करवाया गया है। गूगल का यह कोर्स भी निशुल्क है। इस कोर्स की अवधि 15 घंटे की है। इस कोर्स में गूगल रिसर्चर लेक्चर देंगे। एमएलसी कोर्स को गूगल की इंजिनयरिंग एजूकेशन टीम ने तैयार किया है।

ये वेबसाइट हैं महत्वपूर्ण

अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस क्षेत्र में भारत के टाॅप टेन कोर्सेज कौन-कौन और कहां-कहां है, इस बारे में भी जानकारी हासिल कर लेते हैं। एनालायटिक्स इंडिया मैग्जीन की तरफ से देश के टेन टाॅप एआई कोर्सेस की सूची जारी की है जहां से फ्रेशर्स, एनालायटिक्स प्रोफेशनल्स व डाटा साइंटिस्ट कोर्सेस का चुनाव को अपने-अपने स्किल को डेवलप कर सकते हैं। पहले पायदान पर ‘पीजी प्रोग्राम इन मशीन लर्निंग एंड एआई फ्राम आईआईआईटी-बी’। यहां भी आनलाइन ही ट्रेनिंग दी जाती है और यह कोर्स 11 महीने का होता है। कुल 400 घंटे की क्लास ऑन लाइन उपलब्ध करायी जाती है और इसके लिए 2,85,000 रुपए का भुगतान करना पड़ता है। दूसरे पायदान पर आईआईआईटी, हैदराबाद है जो टैलेंट स्पिरिट के एऐसोसिएशन से फाउंडेशन आफ आर्टफिशियल इंटेलीजेंस एंड मशीन लर्निंग कोर्स मुहैया करा रहा है। यहां आॅनलाइन क्लासेज की सुविधा नहीं है बल्कि वीकेंड पर क्लासेस हैदराबाद व बेंगलुरु में लगती है। कोर्स 16 हफ्ते का होता है और इस दौरान 168 घंटे की क्लासेस होती हैं। यहां इस कार्स का शुल्क 2,00,000 रुपए रखा गया है। हालांकि महिलाओं व यंग प्रोफेशनल्स के लिए स्कॉलरशिप की सुविधा यहां है।

तीसरा स्थान ग्रेट लर्निंग द्वारा चवाए जा रहे पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम इन आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस एंड मशीन लर्निंग को दिया गया है। यह प्रोग्राम बेगलुरु, चंन्नई, गुरुगांव, हैदराबाद, पुणे व मुंबई में उपलब्ध है। यहां वीकेंड क्लास के विकल्प के साथ साथ आनलाइन का भी विकल्प है। इस प्रोग्राम की अवधि एक साल की होती है और कुल 400 घंटे की क्लासेस मुहैया करायी जाती है। इस कोर्स के लए 3,25,000 रुपए लिए जाते हैं। चौथे पायदान पर जिगशॉ एकेडमी को रखा गया है जहां आनलाइन व हायब्रिड दोनों तरह की सुविधा मुहैया करायी जाती हैं। बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद में कोर्सेस की सुविधा है जबकि आन लाइन सुविधा घर बैठे देश विदेश से प्राप्त कर सकते हैं। यहां 24 हफ्ते का कोर्स है और इसके लिए कुल 48,400 रुपए शुल्क के रूप में देने होते हैं।

पांचवें पायदान पर मणिपाल प्रोलर्न को दिया गया है। इसका हेडक्वार्टर बेंगलुरु है और ग्लोबली इसका आपरेशन होता है। छह महीन का कोर्स कुल 340 घंटे की क्लासेस आनलाइन होती है। इसके लिए एक लाख 50 हजार रुपए का शुल्क निर्धारित है।

छठे स्थान पर एप्लायड एआई कोर्स को रखा गया है जहां एप्लायड मशीन लर्निंग कोर्सेस की सुविधा है। यह हैदराबाद से संचालित होती है और आनलाइन एक साल का कोर्स होता है। इसके लिए 29,500 रुपए चार्ज किए जाते हैं।


सातवें पायदान पर एमिटी आनलाइन है और ‘करियर आॅफ टूमाैरो’ के सहयोग से यहां पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मशीन लर्निंग एंड एआई की क्लासेस की सुविधा मुहैया करायी जाती है। इसका आपरेशन नोएडा, मुंबई व बेंगलुरु से होता है। 11 महीने की कोर्स और कुल 400 घंटे की क्लासेस कम से कम होती हैं और इसके लिए 1,35,000 रुपए देने होते हैं।

आठवें पायदान पर कोलंबिया यूनिवर्सिटी के तहत चलाए जा रहे आर्टफिशयल इंटेलीजेंस प्रोग्राम को मिला है जिसका संचालन भारत में पियरसन प्रोफेशनल प्रोग्राम के तहत किया जाता है। इसका मुख्यालय गुरुग्राम(दिल्ली एनसीआर) है. छह महीने का कोर्स होता है और इसके लिए 72,000 रुपए का भुगतान करने होते हैं।

नौंवे स्थान पर जीके लैब को रखा गया है। इसका हेडक्वार्टर बेंगलुरु है और आॅनलाइन क्लासेस की सुविधा मुहैया करायी जाती है। छह महीने का कोर्स होता है और अलग-अलग कोर्सेस के लए 25,000 से 2,50,000 रुपए तक चार्ज किए जाते हैं।

दसवें पायदान पर माइंड मैजिक्स टेक्नोलॉजी को रखा गया है जिसका हेडक्वार्टर भी बेंगलुरु ही है। तीस घंटे की कुल पढ़ाई होती है और इसके लिए 30,000 रुपए पे करने होते हैं।  

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। हमारी किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, संस्कृति, सामाज व राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के सूक्ष्म पहलुओं को गहराई से उजागर करती हैं। पुस्तक-सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

संबंधित आलेख

यूपी : दलित जैसे नहीं हैं अति पिछड़े, श्रेणी में शामिल करना न्यायसंगत नहीं
सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखा जाय तो भी इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से दलितों के साथ अन्याय होगा।...
बहस-तलब : आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पूर्वार्द्ध में
मूल बात यह है कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है तो ईमानदारी से इस संबंध में भी दलित, आदिवासी और पिछड़ो...
साक्षात्कार : ‘हम विमुक्त, घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जनजातियों को मिले एसटी का दर्जा या दस फीसदी आरक्षण’
“मैंने उन्हें रेनके कमीशन की रिपोर्ट दी और कहा कि देखिए यह रिपोर्ट क्या कहती है। आप उन जातियों के लिए काम कर रहे...
कैसे और क्यों दलित बिठाने लगे हैं गणेश की प्रतिमा?
जाटव समाज में भी कुछ लोग मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं, कैडराइज नहीं हैं। उनको आरएसएस के वॉलंटियर्स बहुत आसानी से अपनी गिरफ़्त...
महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं ने कहा– रावण हमारे पुरखा, उनकी प्रतिमाएं जलाना बंद हो
उषाकिरण आत्राम के मुताबिक, रावण जो कि हमारे पुरखा हैं, उन्हें हिंसक बताया जाता है और एक तरह से हमारी संस्कृति को दूषित किया...