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बस्तर में सांस्कृतिक-धार्मिक विवेक की अनूठी लड़ाई

छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर के इलाके मानपुर निवासी विवेक कुमार को 2015 में पुलिस ने दो साल पहले फेसबुक पर एक पोस्ट को लेकर गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें हाईकोर्ट से जमानत लेनी पड़ी। इस क्रम में उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ। साथ ही अन्य साथियों की गिरफ्तारी से आंदोलन कमजोर हुआ। लेकिन वे हारे नहीं हैं। बता रही हैं प्रेमा नेगी :

छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर इलाके में रहने वाले पिछड़ों आदिवासियों के लिए काम कर रहे लेखक विवेक कुमार ने 2013 में दशहरे से पहले दुर्गा और महिषासुर को लेकर फेसबुक पर एक टिप्पणी थी, जिसे राज्य में भाजपा की सरकार आने के 2 साल बाद उनकी गिरफ्तारी का आधार बनाया गया। कहा गया कि उनकी इस टिप्पणी से समाज में वैमनस्यता और भेदभाव का माहौल कायम हो रहा है, साथ ही वह हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अनर्गल बातचीत भी कर रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि उनकी उसी टिप्पणी को आधार बनाकर छत्तीसगढ़ में पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने उसे शेयर किया था।

पिछले 12 सालों से मानपुर और छत्तीसगढ़ में सामाजिक रूप से सक्रिय और सीए की पढाई कर चुके सीमेंट के व्यापारी विवेक कुमार को 2015 में 2013 में की गई एक फेसबुक पोस्ट के लिए 295ए के तहत जेल में डाल दिया गया। ‘दक्षिण कौशल’ अखबार से जुड़े विवेक आदिवासियों तथा दलित-बहुजन आंदोलन से जुड़े हैं। उनके पिता राम सुशील सिंह कांशीराम जी बसपा से जुड़े रहे हैं। कुर्मी जाति से आने वाला उनका परिवार मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव आ बसा था, फिलहाल वो रायपुर में बस चुके हैं।

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लेखक के बारे में

प्रेमा नेगी

प्रेमा नेगी 'जनज्वार' की संपादक हैं। उनकी विभिन्न रिर्पोट्स व साहित्यकारों व अकादमिशयनों के उनके द्वारा लिए गये साक्षात्कार चर्चित रहे हैं

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