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छत्तीसगढ़ में दिल्ली की तरह ईमानदार सरकार बनाना हमारा लक्ष्य : कोमल हुपेंडी

राजनीति में आने से पहले 37 वर्षीय कोमल हुपेंडी छत्तीसगढ़ सरकार में अधिकारी थे। 2016 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीति में सक्रिय हो गये। आम आदमी पार्टी ने उन्हें इस बार छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश किया है

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पहली बार ताल ठोक रही आम आदमी पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। बीते 10 अक्टूबर 2018 को भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी कोमल हुपेंडी को दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय और सांसद संजय सिंह ने प्रेसवार्ता में इसकी घोषणा की। फारवर्ड प्रेस ने कोमल हुपेंडी से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत का संपादित अंश :

आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। हमारे पाठकों को पहले अपने बारे में बतायें।

मेरा जन्म 8 मई 1981 को उत्तर बस्तर काँकेर जिले स्थित मुंगवाल गांव के आदिवासी परिवार में हुआ। प्राथमिक शिक्षा ग्राम बुदेली व भानबेड़ा में हुई। बारहवीं की परीक्षा हायर सेकंडरी स्कूल, भानुप्रतापपुर से उत्तीर्ण करने के बाद भानुप्रतापदेव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, काँकेर से स्नातक तथा द्वारका प्रसाद विप्र महाविद्यालय बिलासपुर से एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा-2005 उत्तीर्ण कर वर्ष 2008 में सहकारिता विस्तार अधिकारी के पद पर कोटा(बिलासपुर) में पदस्थापित हुआ।  

राजनीति के प्रति झुकाव कब हुआ?

छत्तीसगढ़ के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा थी, जो सरकारी अधिकारी के पद पर रहने के बावजूद नहीं कर पा रहा था। इसी कारण अगस्त 2016 में मैंने अपने पद से त्यागपत्र देकर आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली।  

चुनाव प्रचार के दौरान कोमल हुपेंडी

आप लेखक भी रहे हैं। इस बारे में भी बतायें।

मेरे मन में प्रारंभ से ही आदिवासी संस्कृति को लेकर काम करने की इच्छा थी। मेरी ‘लिंगो ना डाका,गढ़बाँसला एक अनसुलझा अतीत’ तथा एक कविता संग्रह ‘पलाश के फूल’ काफी चर्चित रही। इसके अलावा हुलकी महोत्सव,कोलांग महोत्सव तथा पर्रा जलसा जैसे पारम्परिक उत्सव की शुरुआत कर जनजातीय संस्कृति के संरक्षण में अपना योगदान दिया। साथ ही पूना कर्रे लईंग-लयोर गोटुल संस्थान के माध्यम से गोंडी भाषा तथा कला प्रशिक्षण व प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करवाने में सक्रिय रहा। कई प्रतिभागियों ने सफलता अर्जित की।

आप किन मुद्दों को लेकर इस बार चुनाव मैदान में हैं?

देखिए, छत्तीसगढ़ राज्य बने पूरे अट्ठारह बरस हो गए। नए राज्य में प्रदेश की जनता ने जिस तरह का सपना देखा था, सारे सपने आज धरे के धरे रह गए हैं। आज किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी, युवा, महिलाएं, कर्मचारी व संविदा कर्मी पूरी तरह त्रस्त हैं। इसका मुख्य कारण प्रदेश की भ्रष्ट व्यवस्था है, जिसे सुधारना मेरी पहली प्राथमिकता है। छत्तीसगढ़ की जनता आज निर्णायक बदलाव चाहती है। कांग्रेस-भाजपा से लोग आज परेशान हैं। प्रदेश में लोग आज विकल्प चाहते हैं। चूंकि पार्टी प्रदेश के पूरे 90 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ रही है। 52 से अधिक सीटों में हम मजबूती से लड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि दिल्ली की तरह छत्तीसगढ़ के आम लोग भी इस बार इतिहास रचेंगे।

आम आदमी पार्टी पहली बार ही चुनाव लड़ रही है और उसने आपको उम्मीदवार बनाया है। इसके पीछे क्या रणनीति है?

देखिए, छत्तीसगढ़ में लंबे समय से आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग चल रही थी, जिसे पूरा करने की मंशा कांग्रेस-भाजपा जैसी पार्टियों की नहीं रही। इतिहास में पहली बार किसी आदिवासी युवा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। निश्चित रूप से इसका पॉजिटिव मैसेज आदिवासी समाज व युवाओं को जाएगा।

जनसंपर्क अभियान चलाते कोमल हुपेंडी

राजनीति के लिए आपने आम आदमी पार्टी ही क्यों चुना?

आम आदमी पार्टी देश की अकेली पार्टी है,जो स्वराज की अवधारणा के अनुरूप काम करती है। भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था एवं ईमानदार सरकार के लिए करती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण दिल्ली में अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में चल रही आम आदमी की सरकार है। रही बात मेरी तो आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को अधिकार दिलाना ही मेरा प्रथम कर्तव्य रहेगा। पांचवी अनुसूची, पेसा कानून,वन अधिकार कानून को जमीनी धरातल में लाना लक्ष्य रहेगा। हम दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तरह ईमानदार सरकार बना कर जनता की सेवा एवं युवाओं को रोजगार देना चाहते हैं ताकि छत्तीसगढ़ के वास्तविक विकास का मार्ग प्रशस्त हो सके।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

तामेश्वर सिन्हा

तामेश्वर सिन्हा छत्तीसगढ़ के स्वतंत्र पत्रकार हैं। इन्होंने आदिवासियों के संघर्ष को अपनी पत्रकारिता का केंद्र बनाया है और वे विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रिपोर्टिंग करते हैं

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