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डॉ. आंबेडकर की नजर में ब्राह्मणवाद और हिंदू धर्म क्या है?

बहुजन आंदोलन ब्राह्मणवाद का विनाश करके स्वतंत्रता, समता और बंधुता पर आधारित न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करना अपना लक्ष्य मानता है, लेकिन ब्राह्मणवाद क्या है और इसका हिंदू धर्म से क्या रिश्ता है, इसके बारे में तरह-तरह की धारणाएं हैं। डॉ. आंबेडकर की नजर में ब्राह्मणवाद क्या है, बता रहे हैं, सिद्धार्थ :

डॉ. आंबेडकर ने अपनी किताब ‘पाकिस्तान ऑर दी पार्टिशन आफ इण्डिया’ (1940) में चेताया था कि ‘‘अगर हिन्दू राज हकीकत बनता है, तब वह इस मुल्क के लिए सबसे बड़ा अभिशाप होगा। हिन्दू कुछ भी कहें, हिन्दू धर्म स्वतन्त्रता, समता और बन्धुता के लिए खतरा है। उस आधार पर वह लोकतन्त्र के साथ मेल नहीं खाता है। हिन्दू राज को किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए।[1]” आंबेडकर के लिए हिंदू राष्ट्र का सीधा अर्थ द्विज वर्चस्व की स्थापना था यानी ब्राह्णवाद की स्थापना था। वे हिंदू राष्ट्र को मुसलमानों पर हिंदुओं के वर्चस्व तक सीमित नहीं करते थे, जैसा कि भारत का प्रगतिशील वामपंथी या उदारवादी लोग करते हैं। उनके लिए हिंदू राष्ट्र का मतलब दलित, ओबीसी और महिलाओं पर द्विजों के वर्चस्व की स्थापना था।

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लेखक के बारे में

सिद्धार्थ

डॉ. सिद्धार्थ लेखक, पत्रकार और अनुवादक हैं। “सामाजिक क्रांति की योद्धा सावित्रीबाई फुले : जीवन के विविध आयाम” एवं “बहुजन नवजागरण और प्रतिरोध के विविध स्वर : बहुजन नायक और नायिकाएं” इनकी प्रकाशित पुस्तकें है। इन्होंने बद्रीनारायण की किताब “कांशीराम : लीडर ऑफ दलित्स” का हिंदी अनुवाद 'बहुजन नायक कांशीराम' नाम से किया है, जो राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है। साथ ही इन्होंने डॉ. आंबेडकर की किताब “जाति का विनाश” (अनुवादक : राजकिशोर) का एनोटेटेड संस्करण तैयार किया है, जो फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित है।

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