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एक हजार ओबीसी शोधार्थियों को फेलोशिप देगी सरकार, यूजीसी ने जारी किया विज्ञापन

केंद्र सरकार ने ओबीसी वर्ग के लिए एक और बड़ा फैसला लिया है। पहले सरकार प्रति वर्ष तीन सौ ओबीसी शोधार्थियाें को फेलोशिप देती थी। अब इस संख्या को बढ़ाकर एक हजार कर दिया गया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक हजार शोधार्थियों को केंद्र सरकार फेलोशिप दे रही है। इसके लिए सरकार द्वारा विज्ञापन जारी किया जा चुका है। यूजीसी द्वारा जारी इस विज्ञापन में वर्ष 2018-19 के लिए ‘नेशनल फेलोशिप फॉर स्टृडेंडट्स ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेज’ की घोषणा की गयी है। इससे एमफिल और पीएचडी करने वाले शोधार्थियों को आर्थिक सहायता मिल सकेगी। शोधार्थियों के चयन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति मेधा के आधार पर शोधार्थियों का चयन करेगी। इसके बाबत यूजीसी के अधिकारिक वेबसाइट www.ugc.ac.in/nfobc का अवलोकन किया जा सकता है। बताते चलें कि इस योजना का लाभ लेने के लिए शोधार्थियों को विज्ञापन के प्रकाशन की तिथि के दो महीने के अंदर आवेदन करना होगा।

गौर तलब है कि केंद्र सरकार ने पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर और 2021 में होने वाली जनगणना में अलग से ओबीसी की गणना की घोषणा कर पिछड़े वर्गों के लिहाज से बड़े कदम उठाए हैं। इन दोनों मांगों के लिए लंबे समय से ओबीसी वर्ग के सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों की ओर मांग की जा रही थी।

यूजीसी द्वारा जारी विज्ञापन

इससे पहले डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने 2008 में अनुसूचित जाति/जनजाति के शोधार्थियों के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय फेलोशिप और अल्पसंख्यक शोधार्थियों के लिए मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फेलोशिप देने की घोषणा की थी। इन फेलोशिप योजना के तहत उस समय सोलह हजार रुपए प्रतिमाह प्रत्येक शोधार्थी को देने की घोषणा हुई थी। वर्तमान केंद्र सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर लगभग तीस हजार रुपए प्रतिमाह हो गयी है।

बहुजन विमर्श को विस्तार देतीं फारवर्ड प्रेस की पुस्तकें

उन दिनों जब यूपीए सरकार ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के शोधार्थियों के लिए फेलोशिप की घोषणा की थी तब पिछड़े वर्ग के छात्रों के अधिकारों के लिए संघर्षरत एक संगठन ओबीसी विद्यार्थियों को भी फेलोशिप देने की मांग की थी। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बाहर भी दिया गया था। इस धरना में शरद यादव, रमा देवी, गणेश सिंह, कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद आदि कई ओबीसी सांसदों ने शिरकत की थी। परंतु तत्कालीन सरकार द्वारा कोई पहल नहीं की गयी थी।

बाद में जब नरेंद्र मोदी सरकार अस्तित्व में आयी तब ओबीसी वर्ग के शोधार्थियों को फेलोशिप देने की पहल की गयी। प्रारंभ में सरकार ने ओबीसी वर्ग के 300 शोधार्थियों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति की घोषणा की। लेकिन यह संख्या नाकाफी थी। इस संख्या को बढ़ाये जाने की मांग लगातार की जा रही थी।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


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लेखक के बारे में

अरुण कुमार

अरूण कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से 'हिन्दी उपन्यासों में ग्रामीण यथार्थ' विषय पर पीएचडी की है तथा इंडियन कौंसिल ऑफ़ सोशल साईंस एंड रिसर्च (आईसीएसएसआर), नई दिल्‍ली में सीनियर फेलो रहे हैं। संपर्क (मोबाइल) : +918178055172

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